MAHAKVI KEDARNATH MISHRA ‘PRABHAT’ SAMAGRA (CHATURTHA KHAND)

Publisher:
Sarv Bhasha trust
| Author:
Kedarnath Mishra 'Prabhat
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

580

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Weight 570 g
Book Type

ISBN:
SKU 9789391414801 Category Tag
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Page Extent:
344

महाकवि केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ समग्र के चतुर्थ खंड में संकलित चारों काव्य-संग्रह (ज्वाला, कलापिनी, काल-दहन, श्वेतनील) की कविताएँ 1920 ई. से लगभग 1940 तक की राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य को बहुत ही संजीदगी के साथ उकेरती है। यदि हम कुछ और आगे बढ़ें तो कह सकते हैं कि उक्त काल-खंड में घटित पूरे वैश्विक परिदृश्य की हलचल चतुर्थ खंड की कविताओं में दृश्यमान हो उठी हैं। प्रत्येक काव्य संग्रह के प्रारंभ में भूमिका के रूप में दी गई महाकवि ‘प्रभात’ जी की विचारोत्तेजक टिप्पणी तत्कालीन परिवेश को समग्रता में समझने में काफी सहयोग करती है जिससे हमारी कच्ची धारणाओं को एक विवेक-संपन्न मजबूती मिलती है।

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Description

महाकवि केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ समग्र के चतुर्थ खंड में संकलित चारों काव्य-संग्रह (ज्वाला, कलापिनी, काल-दहन, श्वेतनील) की कविताएँ 1920 ई. से लगभग 1940 तक की राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य को बहुत ही संजीदगी के साथ उकेरती है। यदि हम कुछ और आगे बढ़ें तो कह सकते हैं कि उक्त काल-खंड में घटित पूरे वैश्विक परिदृश्य की हलचल चतुर्थ खंड की कविताओं में दृश्यमान हो उठी हैं। प्रत्येक काव्य संग्रह के प्रारंभ में भूमिका के रूप में दी गई महाकवि ‘प्रभात’ जी की विचारोत्तेजक टिप्पणी तत्कालीन परिवेश को समग्रता में समझने में काफी सहयोग करती है जिससे हमारी कच्ची धारणाओं को एक विवेक-संपन्न मजबूती मिलती है।

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