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Machhliyan Gayengi Ek Din Pandumgeet

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
पूनम वासम
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani Prakashan
Author:
पूनम वासम
Language:
Hindi
Format:
Paperback

239

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1-4 Days

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ISBN:
SKU 9789355180506 Category
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Page Extent:
160

मछलियाँ गायेंगी एक दिन पंडुमगीत – एक ऐसी जगह है जहाँ घड़ियाँ उल्टी घूमती हैं और इन्सान सीधे । एक ऐसी जगह है जहाँ का देवता पक्की छत नहीं माँगता वह झुरमुट के नीचे रह लेता है। एक ऐसी जगह है जहाँ गुफाएँ हैं, जहाँ गुफाओं में मछलियाँ हैं, कहा जाता है कि वह अन्धी हैं, बावजूद उसके वो पूरी सभ्यता को एकटक देखती रहती हैं। एक ऐसी जगह है जहाँ नदियाँ हैं, झरने हैं, पहाड़ हैं, जंगल हैं, बावजूद उस मिट्टी में अपनी हड्डियाँ गला देने वाले पैरों के नीचे ज़मीन का एक टुकड़ा भी नहीं। एक ऐसी जगह है जहाँ लोहे के पहाड़ हैं, खनिज सम्पदा का भण्डार है फिर भी पेट का भर जाना वहाँ आज भी उत्सव है। एक ऐसी जगह है जहाँ पेज से भरा तूम्बा लड़ता है भूख व प्यास के खिलाफ, जहाँ तूम्बा का कन्धे पर लटकना प्रतीक है मानवीय सभ्यता के बचे रहने का । एक ऐसी जगह है जहाँ मृत्यु के बाद भी मृतक ज़िन्दा रहता है अपने ही ‘मृतक स्तम्भ’ के मेनहीर में ।

एक ऐसी जगह है जहाँ देवता को भक्त की मन्नत पूरी न करने पर सज़ा देने का प्रावधान है, बावजूद इसके सभ्यता की अदालत में उन्हें असभ्य ठहराया जाता है। एक ऐसी जगह है जहाँ बहुत कमज़ोर हाथों से यह उम्मीद की जाती है कि ताड़ को झोंक लें अपनी हथेलियों में; बावजूद ‘ताड़-झोंकनी’ के क़िस्सों में वे लोग अमर नहीं हो पाये।

एक ऐसी जगह है जहाँ की सभ्यता में तमाम लोकाचारों और प्रकृतिजन्य अनुशासनों के बाद भी ‘कुछ’ गड़बड़ है और यह जो गड़बड़ है, मैं उसे भाषा देने की कोशिश करती हूँ। मैं सैकड़ों साल से महुआ बीनती अपनी पुरखिन की टोकरी के खालीपन को अपनी भाषा से भरना चाहती हूँ। इसी जगह पर मेरा पुरखा बहुत सालों से अपने धनुष की प्रत्यंचा बार-बार बाँध रहा है उसकी कमानी बार-बार फिसलती है। मेरा पुरखा कई बार थक कर मर चुका है।

मैं उसे देखती हूँ और अपनी भाषा में चीखती हूँ ।

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Description

मछलियाँ गायेंगी एक दिन पंडुमगीत – एक ऐसी जगह है जहाँ घड़ियाँ उल्टी घूमती हैं और इन्सान सीधे । एक ऐसी जगह है जहाँ का देवता पक्की छत नहीं माँगता वह झुरमुट के नीचे रह लेता है। एक ऐसी जगह है जहाँ गुफाएँ हैं, जहाँ गुफाओं में मछलियाँ हैं, कहा जाता है कि वह अन्धी हैं, बावजूद उसके वो पूरी सभ्यता को एकटक देखती रहती हैं। एक ऐसी जगह है जहाँ नदियाँ हैं, झरने हैं, पहाड़ हैं, जंगल हैं, बावजूद उस मिट्टी में अपनी हड्डियाँ गला देने वाले पैरों के नीचे ज़मीन का एक टुकड़ा भी नहीं। एक ऐसी जगह है जहाँ लोहे के पहाड़ हैं, खनिज सम्पदा का भण्डार है फिर भी पेट का भर जाना वहाँ आज भी उत्सव है। एक ऐसी जगह है जहाँ पेज से भरा तूम्बा लड़ता है भूख व प्यास के खिलाफ, जहाँ तूम्बा का कन्धे पर लटकना प्रतीक है मानवीय सभ्यता के बचे रहने का । एक ऐसी जगह है जहाँ मृत्यु के बाद भी मृतक ज़िन्दा रहता है अपने ही ‘मृतक स्तम्भ’ के मेनहीर में ।

एक ऐसी जगह है जहाँ देवता को भक्त की मन्नत पूरी न करने पर सज़ा देने का प्रावधान है, बावजूद इसके सभ्यता की अदालत में उन्हें असभ्य ठहराया जाता है। एक ऐसी जगह है जहाँ बहुत कमज़ोर हाथों से यह उम्मीद की जाती है कि ताड़ को झोंक लें अपनी हथेलियों में; बावजूद ‘ताड़-झोंकनी’ के क़िस्सों में वे लोग अमर नहीं हो पाये।

एक ऐसी जगह है जहाँ की सभ्यता में तमाम लोकाचारों और प्रकृतिजन्य अनुशासनों के बाद भी ‘कुछ’ गड़बड़ है और यह जो गड़बड़ है, मैं उसे भाषा देने की कोशिश करती हूँ। मैं सैकड़ों साल से महुआ बीनती अपनी पुरखिन की टोकरी के खालीपन को अपनी भाषा से भरना चाहती हूँ। इसी जगह पर मेरा पुरखा बहुत सालों से अपने धनुष की प्रत्यंचा बार-बार बाँध रहा है उसकी कमानी बार-बार फिसलती है। मेरा पुरखा कई बार थक कर मर चुका है।

मैं उसे देखती हूँ और अपनी भाषा में चीखती हूँ ।

About Author

पूनम वासम - शिक्षा : एम. ए. (समाजशास्त्र एवं अर्थशास्त्र), वर्तमान में बस्तर विश्वविद्यालय से शोध कार्य जारी है। साहित्यिक परिचय : मूलतः आदिवासी विमर्श की कविताओं का लेखन, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, युवा कवि संगम 2017 बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रतिभागी लिटरेरिया कोलकाता 2017 के कार्यक्रम में शामिल, भारत भवन भोपाल में कविता पाठ, रज़ा फ़ाउंडेशन के कार्यक्रम युवा 2018 में शामिल, बिटिया उत्सव ग्वालियर में कविता पाठ, साहित्य अकादेमी, दिल्ली में कविता पाठ, साहित्य अकादेमी, भोपाल में कविता पाठ। छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा पुनर्नवा पुरस्कार 2020 । सम्प्रति : शासकीय शिक्षिका, बीजापुर। निवास : ब्लॉक कॉलोनी बीजापुर, जिला बीजापुर, वस्तर, छत्तीसगढ़-494444

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