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Kusum Khemani Ki Priya Kahaniyan

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
कुसुम खेमानी
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
कुसुम खेमानी
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9789387919365 Category
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114

कुसुम खेमानी की प्रिय कहानियाँ –
‘कुसुम खेमानी की प्रिय कहानियाँ’ नारी-विमर्श की वे कहानियाँ हैं जो बड़े सामाजिक परिदृश्य में एक गम्भीर विमर्श को जन्म देती हैं। भारतीय स्त्री के कई पक्ष इनकी कथाओं में उभर कर सामने आते हैं और इनकी कहानियों में नारी-विमर्श की प्रकृति भी एकदम भिन्न है। वे अपने स्त्री-चरित्रों का ऐसा उदात्तीकरण करती हैं कि वे इस धरती की होते हुए भी अपने अनोखे व्यक्तित्व के कारण किसी और ही संसार की लगती हैं।
इनकी कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें आधुनिक समाज, समय और स्त्री हर पल ख़ुद को एक संयमित और मज़बूत आधार देते हैं। इनकी कहानियों में बरती गयी शैली हर समय और काल के अनुसार हमेशा प्रगतिशील और उदारवादी रही है।
कुसुम खेमानी की कृतियों की लोकप्रियता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उनका अनुवाद बांग्ला, उर्दू, मराठी जैसी भारतीय भाषाओं के अलावा जापानी, अंग्रेज़ी और पोलिश जैसी विदेशी भाषाओं में भी हुआ है।

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Description

कुसुम खेमानी की प्रिय कहानियाँ –
‘कुसुम खेमानी की प्रिय कहानियाँ’ नारी-विमर्श की वे कहानियाँ हैं जो बड़े सामाजिक परिदृश्य में एक गम्भीर विमर्श को जन्म देती हैं। भारतीय स्त्री के कई पक्ष इनकी कथाओं में उभर कर सामने आते हैं और इनकी कहानियों में नारी-विमर्श की प्रकृति भी एकदम भिन्न है। वे अपने स्त्री-चरित्रों का ऐसा उदात्तीकरण करती हैं कि वे इस धरती की होते हुए भी अपने अनोखे व्यक्तित्व के कारण किसी और ही संसार की लगती हैं।
इनकी कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें आधुनिक समाज, समय और स्त्री हर पल ख़ुद को एक संयमित और मज़बूत आधार देते हैं। इनकी कहानियों में बरती गयी शैली हर समय और काल के अनुसार हमेशा प्रगतिशील और उदारवादी रही है।
कुसुम खेमानी की कृतियों की लोकप्रियता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उनका अनुवाद बांग्ला, उर्दू, मराठी जैसी भारतीय भाषाओं के अलावा जापानी, अंग्रेज़ी और पोलिश जैसी विदेशी भाषाओं में भी हुआ है।

About Author

डॉ. कुसुम खेमानी - जन्म: 19 सितम्बर, 1944। शिक्षा: एम.ए. (प्रथम श्रेणी), पीएच.डी. कलकत्ता विश्वविद्यालय। सृजन: सचित्र हिन्दी बालकोश, हिन्दी-अंग्रेज़ी बालकोश (कोश), हिन्दी नाटक के पाँच दशक (आलोचना), सच कहती कहानियाँ, एक अचम्भा प्रेम, अनुगूँज ज़िन्दगी की (कहानी-संवाह), एक शख़्स कहानी सा (जीवनी), कहानियाँ सुनाती यात्राएँ (यात्रा-वृत्तान्त); कुछ रेत... कुछ सीपियाँ.. विचारों की (ललित निबन्ध); लाचण्यदेवी, जड़िया बाई (उपन्यास)। अनुवाद एवं सम्पादन: जन-अरण्य (उपन्यास, शंकर), चश्मा बदल जाता है (उपन्यास, आशापूर्णा देवी), ज्योतिर्मयी देवी के कहानी संग्रह का अनुवाद एवं सम्पादन, 'वागर्थ' का सम्पादन। विशेष: 'लावण्यदेवी' उपन्यास का अंग्रेज़ी, बांग्ला, नेपाली एवं मलयालम में अनुवाद 'कहानियाँ सुनाती यात्राएँ' बांग्ला, राजस्थानी एवं मलयालम में प्रकाशित। 'लावण्यदेवी' उपन्यास का तमिल में डॉ. एन. जयश्री द्वारा एवं तेलगू में लावण्य नारला द्वारा शोध एवं अनुवाद। 'सच कहती कहानियाँ' की कथा भाषा पर डॉ. सुहासिनी (तमिल), करमजीत कौर (पंजाबी), विनीता सिंह (हिन्दी) एवं अंजना कुकरैती (कनड़) द्वारा शोध; 'रश्मिरथी माँ' कहानी पर बांग्ला मे टेलीफ़िल्म का निर्माण। 'साहित्य में उच्च मूल्यों की स्थापना' (सन्दर्भ : 'लावण्यदेवी' उपन्यास) विषय पर औरंगाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा सेमिनार आयोजित। सम्मान : कुसुमांजलि साहित्य सम्मान (दिल्ली), साहित्य भूषण सम्मान (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), हरियाणा गौरव सम्मान (हरियाणा साहित्य अकादमी), भारत निर्माण सम्मान, रत्नादेवी गोयनका वाग्देवी पुरस्कार (मुम्बई), पश्चिम बंग प्रान्तीय मारवाड़ी सम्मेलन पुरस्कार, क़ौमी एकता पुरस्कार, भारत गौरव सम्मान (भारतीय वाड्यपीठ), समाज बन्धु पुरस्कार (मारवाड़ी युवा मंच)।

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