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Kshitij Ke Us Par Se

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
विजय शर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
विजय शर्मा
Language:
Hindi
Format:
Hardback

285

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In stock

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1-4 Days

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Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789326354653 Category
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Page Extent:
246

क्षितिज के उस पार से –
व्यक्ति सर्वाधिक ज्ञान और संवेदना अपने बचपन में ग्रहण करता है। बचपन में सुनी हुई बातें, बचपन की यह दुनिया उसके मन पर अमिट छाप डालती है, अगर वह बच्चा आगे चल कर रचनाकार बना तो उसके सृजन की खान यही अनुभव बनते हैं। नोबेल पुरस्कृत लेखकों का जीवन और लेखन इसका गवाह है। होसे सारामागो के नाना उन्हें बचपन में प्रेम, मृत्यु, डरावनी, अनोखी लोक कथाएँ सुनाते थे। अपने पूर्वजों की बातें बताते थे। ये उनके लिए लोरी का काम भी करतीं। क्लेजियो अपने पुरखों के विद्रोह, साहस की गाथा सुन कर बड़े हुए। अपने एक साहसी और विद्रोही पूर्वज से उन्हें प्रेरणा मिली, उसे उन्होंने अपना एक नायक बनाया। गैब्रियल गार्षा मार्केस ने बचपन में अपनी नानी तथा कई अन्य स्त्रियों से कहानियाँ सुनी। इन कहानियों में लोक होता था, विश्वास होता था, भूत-प्रेत होते थे और होता था कल्पना का विपुल संसार। मार्केस बाद में ख़ुद विपुल संसार रचते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक साहित्य के नोबेल पुरस्कार प्राप्त साहित्यकारों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित है, जो पाठकों न सिर्फ़ पाठकों का ज्ञानवृद्धि करता है बल्कि प्रेरणा भी देता है। बेहद पठनीय व संग्रहणीय कृति।

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Description

क्षितिज के उस पार से –
व्यक्ति सर्वाधिक ज्ञान और संवेदना अपने बचपन में ग्रहण करता है। बचपन में सुनी हुई बातें, बचपन की यह दुनिया उसके मन पर अमिट छाप डालती है, अगर वह बच्चा आगे चल कर रचनाकार बना तो उसके सृजन की खान यही अनुभव बनते हैं। नोबेल पुरस्कृत लेखकों का जीवन और लेखन इसका गवाह है। होसे सारामागो के नाना उन्हें बचपन में प्रेम, मृत्यु, डरावनी, अनोखी लोक कथाएँ सुनाते थे। अपने पूर्वजों की बातें बताते थे। ये उनके लिए लोरी का काम भी करतीं। क्लेजियो अपने पुरखों के विद्रोह, साहस की गाथा सुन कर बड़े हुए। अपने एक साहसी और विद्रोही पूर्वज से उन्हें प्रेरणा मिली, उसे उन्होंने अपना एक नायक बनाया। गैब्रियल गार्षा मार्केस ने बचपन में अपनी नानी तथा कई अन्य स्त्रियों से कहानियाँ सुनी। इन कहानियों में लोक होता था, विश्वास होता था, भूत-प्रेत होते थे और होता था कल्पना का विपुल संसार। मार्केस बाद में ख़ुद विपुल संसार रचते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक साहित्य के नोबेल पुरस्कार प्राप्त साहित्यकारों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित है, जो पाठकों न सिर्फ़ पाठकों का ज्ञानवृद्धि करता है बल्कि प्रेरणा भी देता है। बेहद पठनीय व संग्रहणीय कृति।

About Author

डॉ. विजय शर्मा - पूर्व एसोशिएट प्रोफ़ेसर। इग्नू एकेडमिक काउंसलर, वर्कशॉप फेसीलिटेटर विज़िटिंग प्रोफ़ेसर हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी तथा रची एकेडमिक स्टाफ़ कॉलेज। देश के विविध स्थानों पर अनेक सेमीनार एवं कार्यशाला आयोजित विश्वविद्यालय परीक्षक। सेमीनार में शोध-पत्र प्रस्तुति। कई हिन्दी और इंग्लिश पत्रिकाओं में सह-सम्पादन। अतिथि सम्पादन 'कथादेश' (दो अंक), 'हिन्दी साहित्य ज्ञानकोश' में सहयोग। प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, आलेख, पुस्तक समीक्षा, फ़िल्म समीक्षा, अनुवाद प्रकाशित। आकाशवाणी से पुस्तक, फ़िल्म समीक्षा, कहानियाँ, रूपक तथा वार्ता प्रसारित। प्रकाशित पुस्तकें—अपनी धरती, अपना आकाश : नोबेल के मंच से; वॉल्ट डिज्नी : ऐनीमेशन का बादशाह; अफ्रो-अमेरिकन स्त्री साहित्य; स्त्री, साहित्य और नोबेल पुरस्कार; विश्व सिनेमा कुछ अनमोल रत्न; सात समुन्दर पार से... (प्रवासी साहित्य विश्लेषण); देवदार के तुंग शिखर से; तीसमार खाँ (कहानी संग्रह); हिंसा, तमस एवं अन्य साहित्यिक आलेख; कथा मंजूषा; विश्व की श्रेष्ठ 25 कहानियाँ (अनुवाद); विश्व सिनेमा में स्त्री; लौह शिकारी (अनुवाद)।

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