कित-कित | KIT-KIT

Publisher:
Setu Prakashan
| Author:
ANU SHAKTI SINGH
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Setu Prakashan
Author:
ANU SHAKTI SINGH
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9788119899180 Category
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144

मन की नदियों, हवाओं, चुप्पियों, कथाओं को रचना में रूप देने के लिए रियाज़ के साथ आत्मसंयम व कलात्मक अभिव्यक्ति का सन्तुलन वांछित होता है,
तब एक रचना अपना प्रसव ग्रहण करने को उन्मुख होती है। जो कलाकार इस गहरे बोध से परिचित होते हैं वे गति से अधिक लय को भाषा में समाने का इन्तज़ार
करते उसे अपना रूप लेने देते हैं। लय, जो अपनी लयहीनता में बेहद गहरे और अकथनीय अनुभव ग्रहण करती है उसे भाषा में उतार पाना ही कलाकार की
असल सिद्धि है। अणु शक्ति ने अपने इस नॉवल में टीस की वह शहतीर उतरने दी है। यह उनके कथाकार की सार्थकता है कि नॉवल में तीन पात्रों की घुलनशील
नियति के भीतर की कशमकश को उन्होंने दृश्य बन कहन होने दिया है। स्त्री, पर-स्त्री, पुरुष, पर-पुरुष, इनको हर बार कला में अपना बीहड़ जीते व्यक्त करने
का प्रयास होता रहा। हर बार रचना में कुछ अनकही अनसुनी कतरनें छितराती रही हैं। वहाँ प्रेम और अकेलापन अपने रसायन में कभी उमड़ते हैं कभी
घुमड़कर अपनी ठण्ड में किसी अन्त में चुप समा जाते हैं। अणु शक्ति इन मन:स्थितियों को बेहद कुशलता से भाषा में उतरने देती हैं व अपनी पकड़ को भी अदृश्य
रखने में निष्णात साबित हुई हैं।

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Description

मन की नदियों, हवाओं, चुप्पियों, कथाओं को रचना में रूप देने के लिए रियाज़ के साथ आत्मसंयम व कलात्मक अभिव्यक्ति का सन्तुलन वांछित होता है,
तब एक रचना अपना प्रसव ग्रहण करने को उन्मुख होती है। जो कलाकार इस गहरे बोध से परिचित होते हैं वे गति से अधिक लय को भाषा में समाने का इन्तज़ार
करते उसे अपना रूप लेने देते हैं। लय, जो अपनी लयहीनता में बेहद गहरे और अकथनीय अनुभव ग्रहण करती है उसे भाषा में उतार पाना ही कलाकार की
असल सिद्धि है। अणु शक्ति ने अपने इस नॉवल में टीस की वह शहतीर उतरने दी है। यह उनके कथाकार की सार्थकता है कि नॉवल में तीन पात्रों की घुलनशील
नियति के भीतर की कशमकश को उन्होंने दृश्य बन कहन होने दिया है। स्त्री, पर-स्त्री, पुरुष, पर-पुरुष, इनको हर बार कला में अपना बीहड़ जीते व्यक्त करने
का प्रयास होता रहा। हर बार रचना में कुछ अनकही अनसुनी कतरनें छितराती रही हैं। वहाँ प्रेम और अकेलापन अपने रसायन में कभी उमड़ते हैं कभी
घुमड़कर अपनी ठण्ड में किसी अन्त में चुप समा जाते हैं। अणु शक्ति इन मन:स्थितियों को बेहद कुशलता से भाषा में उतरने देती हैं व अपनी पकड़ को भी अदृश्य
रखने में निष्णात साबित हुई हैं।

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