Khufiyagiri Yuge Yuge
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ख़ुफ़ियागीरी युगे युगे – कहानी साहित्य की एक ऐसी परिष्कृत विधा है जो गूढ़ और दार्शनिक तत्त्वों के साथ जीवन को अलहदा रूप में देखने को उत्साहित करती है। कहानियाँ यथार्थ और कल्पना के मध्य एक ऐसे सेतु का निर्माण करती हैं जो एक नितान्त भिन्न संसार का अन्य अपरिचित संसार से परिचय कराती हैं। खुफ़ियागीरी युगे-युगे पौराणिक और ऐतिहासिक युग की कहानियों का एक संग्रह है। इसमें शामिल कहानियाँ गुप्तचरी के मिज़ाज में छिपी जासूसी के सूक्ष्म तत्त्वों को उभारती हैं । इन तत्त्वों की उपस्थिति इतनी सूक्ष्म होती है कि यह एक छोटी-सी घटना प्रतीत होती है कि जीवन में कुछ घटा और एक स्मृति की तरह वह समय के किसी छोर पर अटक गया। समय के इस आभास को पाठक अपनी बौद्धिक क्षमतानुसार ग्रहण करते हैं।
जासूसी कहानियों को हिन्दी भाषा में शुरुआती पाठक देने में देवकीनन्दन खत्री के गल्प चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता सन्तति और भूतनाथ का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। यही पाठक कालान्तर में गम्भीर साहित्य की ओर आ गये। बांग्ला साहित्य में भी जासूसी, रहस्य – रोमांच कथाओं की सुदीर्घ परम्परा है। खुफ़ियागीरी युगे-युगे इसी परम्परा का विस्तार है।
इस संग्रह की कहानियों की अनुभूति रोमांचक है । यह विविध कालखण्डों का प्रतिनिधित्व करती हैं। साहित्य लोकरीति और लोक प्रवृत्तियों का आईना होता है और एक अर्थ में इस संग्रह की कहानियाँ इतिहास के पन्नों को खँगालती हुई भविष्य के नये सन्दर्भ निर्मित करती हैं ।
ये कहानियाँ पाठकों को कथा-पात्रों के आस- पास बनाये रखने के लिए प्रयासरत रहती हैं । यह घटनाओं में सिलसिलेवार आभास और सन्देहों की अदृश्य कड़ियों के खुल जाने की प्रतीक्षा भी करती हैं। इन घटती हुई घटनाओं में पाठकों को उन कड़ियों के सुराग मिलते जाते हैं।
ख़ुफ़ियागीरी युगे युगे – कहानी साहित्य की एक ऐसी परिष्कृत विधा है जो गूढ़ और दार्शनिक तत्त्वों के साथ जीवन को अलहदा रूप में देखने को उत्साहित करती है। कहानियाँ यथार्थ और कल्पना के मध्य एक ऐसे सेतु का निर्माण करती हैं जो एक नितान्त भिन्न संसार का अन्य अपरिचित संसार से परिचय कराती हैं। खुफ़ियागीरी युगे-युगे पौराणिक और ऐतिहासिक युग की कहानियों का एक संग्रह है। इसमें शामिल कहानियाँ गुप्तचरी के मिज़ाज में छिपी जासूसी के सूक्ष्म तत्त्वों को उभारती हैं । इन तत्त्वों की उपस्थिति इतनी सूक्ष्म होती है कि यह एक छोटी-सी घटना प्रतीत होती है कि जीवन में कुछ घटा और एक स्मृति की तरह वह समय के किसी छोर पर अटक गया। समय के इस आभास को पाठक अपनी बौद्धिक क्षमतानुसार ग्रहण करते हैं।
जासूसी कहानियों को हिन्दी भाषा में शुरुआती पाठक देने में देवकीनन्दन खत्री के गल्प चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता सन्तति और भूतनाथ का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। यही पाठक कालान्तर में गम्भीर साहित्य की ओर आ गये। बांग्ला साहित्य में भी जासूसी, रहस्य – रोमांच कथाओं की सुदीर्घ परम्परा है। खुफ़ियागीरी युगे-युगे इसी परम्परा का विस्तार है।
इस संग्रह की कहानियों की अनुभूति रोमांचक है । यह विविध कालखण्डों का प्रतिनिधित्व करती हैं। साहित्य लोकरीति और लोक प्रवृत्तियों का आईना होता है और एक अर्थ में इस संग्रह की कहानियाँ इतिहास के पन्नों को खँगालती हुई भविष्य के नये सन्दर्भ निर्मित करती हैं ।
ये कहानियाँ पाठकों को कथा-पात्रों के आस- पास बनाये रखने के लिए प्रयासरत रहती हैं । यह घटनाओं में सिलसिलेवार आभास और सन्देहों की अदृश्य कड़ियों के खुल जाने की प्रतीक्षा भी करती हैं। इन घटती हुई घटनाओं में पाठकों को उन कड़ियों के सुराग मिलते जाते हैं।
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