Khuda Ki Vapasi

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
नासिरा शर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
नासिरा शर्मा
Language:
Hindi
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Hardback

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ख़ुदा की वापसी –
प्रतिष्ठित हिन्दी-कथाकार नासिरा शर्मा के इस नये कहानी-संग्रह ‘ख़ुदा की वापसी’ को दो अर्थों में लिया जा सकता है—एक तो यही कि यह सोच अब जा चुकी है कि पति एक दुनियावी ख़ुदा है और उसके आगे नतमस्तक होना पत्नी का परम धर्म है; और दूसरा है उस ख़ुदा की वापसी, जिसने सभी इन्सानों को बराबर माना और औरत-मर्द को समान अधिकार दिये हैं। संग्रह की कहानियों में ऐसे सवालों के इशारे भी हैं कि जो हमें उपलब्ध है उसे भूलकर हम उन मुद्दों के लिए क्यों लड़ते हैं जिन्हें धर्म, क़ानून, समाज, परिवार ने हमें नहीं दिया है? जो अधिकार हमें मिला है जब उसी को हम अपनी ज़िन्दगी में शामिल नहीं कर पाते और उसके बारे में लापरवाह रहते हैं, तब किस अधिकार और स्वतन्त्रता की अपेक्षा हम ख़ुद से करते हैं? दरअसल ‘ख़ुदा की वापसी’ की सभी कहानियाँ उन बुनियादी अधिकारों की माँग करती नज़र आती हैं जो वास्तव में महिलाओं को मिले हुए मगर पुरुष समाज के धर्म पण्डित मौलवी मौलिक अधिकारों को भी देने के विरुद्ध हैं।
‘ख़ुदा की वापसी’ की कहानियाँ एक समुदाय विशेष की होकर भी विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हैं। नारी के संघर्षों और उत्पीड़नों से उपजी विद्रूपताओं तथा अर्थहीन सामाजिक रूढ़ाचार पर तीखी चोट करती ये कहानियाँ समकालीन परिवेश और जीवन की विसंगतियों का प्रखर विश्लेषण भी करती हैं; भाषा और शिल्प के नयेपन सहित, पूरी समझदारी और ईमानदारी के साथ।

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Description

ख़ुदा की वापसी –
प्रतिष्ठित हिन्दी-कथाकार नासिरा शर्मा के इस नये कहानी-संग्रह ‘ख़ुदा की वापसी’ को दो अर्थों में लिया जा सकता है—एक तो यही कि यह सोच अब जा चुकी है कि पति एक दुनियावी ख़ुदा है और उसके आगे नतमस्तक होना पत्नी का परम धर्म है; और दूसरा है उस ख़ुदा की वापसी, जिसने सभी इन्सानों को बराबर माना और औरत-मर्द को समान अधिकार दिये हैं। संग्रह की कहानियों में ऐसे सवालों के इशारे भी हैं कि जो हमें उपलब्ध है उसे भूलकर हम उन मुद्दों के लिए क्यों लड़ते हैं जिन्हें धर्म, क़ानून, समाज, परिवार ने हमें नहीं दिया है? जो अधिकार हमें मिला है जब उसी को हम अपनी ज़िन्दगी में शामिल नहीं कर पाते और उसके बारे में लापरवाह रहते हैं, तब किस अधिकार और स्वतन्त्रता की अपेक्षा हम ख़ुद से करते हैं? दरअसल ‘ख़ुदा की वापसी’ की सभी कहानियाँ उन बुनियादी अधिकारों की माँग करती नज़र आती हैं जो वास्तव में महिलाओं को मिले हुए मगर पुरुष समाज के धर्म पण्डित मौलवी मौलिक अधिकारों को भी देने के विरुद्ध हैं।
‘ख़ुदा की वापसी’ की कहानियाँ एक समुदाय विशेष की होकर भी विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हैं। नारी के संघर्षों और उत्पीड़नों से उपजी विद्रूपताओं तथा अर्थहीन सामाजिक रूढ़ाचार पर तीखी चोट करती ये कहानियाँ समकालीन परिवेश और जीवन की विसंगतियों का प्रखर विश्लेषण भी करती हैं; भाषा और शिल्प के नयेपन सहित, पूरी समझदारी और ईमानदारी के साथ।

About Author

नासिरा शर्मा - जन्म: सन् 1948, इलाहाबाद में। शिक्षा: एम.ए. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)। हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी, अंग्रेज़ी और पश्तो भाषाओं पर गहरी पकड़ के साथ ही श्रीमती नासिरा शर्मा ईरानी समाज और राजनीति के अलावा संस्कृति, साहित्य और कला-विषयों की विशेषज्ञ हैं। सृजनात्मक लेखन के साथ ही स्वतन्त्र पत्रकारिता भी की है। प्रकाशित कृतियाँ: 'सात नदियाँ एक समन्दर', 'शाल्मली', 'ठीकरे की मँगनी', 'ज़िन्दा मुहावरे' (उपन्यास); ‘शामी काग़ज़', 'पत्थर गली', 'संगसार', 'इब्ने मरियम', 'सबीना के चालीस चोर', 'ख़ुदा की वापसी' (कहानी-संग्रह); ‘अफ़ग़ानिस्तान : बुज़क़शी का मैदान' (विचार- अध्ययन, दो खण्डों में); 'क्षितिज पार' (सम्पादन) के अतिरिक्त आठ टेलीफ़िल्मों का लेखन।

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