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Khojbeen Ka Anand

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
कालू राम शर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
कालू राम शर्मा
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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Book Type

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ISBN:
SKU 9789389012118 Category
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Page Extent:
220

वर्तमान के दौर में अत्यन्त प्रचलित पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के जुमले से तीन-चार दशक पहले शुरू हुए होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम ने दरअसल राज्य सरकार एवं ग़ैर-सरकारी संस्थाओं के बीच एक सघन शैक्षणिक हस्तक्षेप में साझेदारी की शुरुआत की मिसाल प्रस्तुत की। एक ऐसी शैक्षिक सहभागिता जो सन् 1972 से शुरू होकर चार दशक तक जारी रही। सघन साझेदारी के ऐसे लम्बे चले प्रयास विरले ही सुनने को मिलते हैं। साझेदारी की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण खासियत यह थी कि इसमें बहुत सारे किरदार थे। ऊपर उल्लिखित दो के अलावा, सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षक और उन पाँच सौ से अधिक शालाओं में पढ़ने वाले लाखों बच्चे। साथ ही देशभर से रुचि रखने वाले सैकड़ों लोग चाहे वे कॉलेज की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी हों, या सर्वोत्तम संस्थानों में शोधरत वैज्ञानिक, और उच्च शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर पढ़ा रहे प्रोफ़ेसरान तो इसमें शामिल थे ही। यानी कि हर मायने में एक बहुआयामी साझेदारी थी यह। राजेश खिंदरी एकलव्य

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Description

वर्तमान के दौर में अत्यन्त प्रचलित पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के जुमले से तीन-चार दशक पहले शुरू हुए होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम ने दरअसल राज्य सरकार एवं ग़ैर-सरकारी संस्थाओं के बीच एक सघन शैक्षणिक हस्तक्षेप में साझेदारी की शुरुआत की मिसाल प्रस्तुत की। एक ऐसी शैक्षिक सहभागिता जो सन् 1972 से शुरू होकर चार दशक तक जारी रही। सघन साझेदारी के ऐसे लम्बे चले प्रयास विरले ही सुनने को मिलते हैं। साझेदारी की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण खासियत यह थी कि इसमें बहुत सारे किरदार थे। ऊपर उल्लिखित दो के अलावा, सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षक और उन पाँच सौ से अधिक शालाओं में पढ़ने वाले लाखों बच्चे। साथ ही देशभर से रुचि रखने वाले सैकड़ों लोग चाहे वे कॉलेज की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी हों, या सर्वोत्तम संस्थानों में शोधरत वैज्ञानिक, और उच्च शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर पढ़ा रहे प्रोफ़ेसरान तो इसमें शामिल थे ही। यानी कि हर मायने में एक बहुआयामी साझेदारी थी यह। राजेश खिंदरी एकलव्य

About Author

कालू राम शर्मा जन्म : नागोरा, जिला-धार, मध्य प्रदेश। शिक्षा : सन् 1983 में जीवशास्त्र में स्नातकोत्तर। वर्तमान में : सितम्बर 2014 से अब तक अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन खरगोन (मध्य प्रदेश) में कार्यरत। कार्य : स्नातकोत्तर की शिक्षा पाने के बाद 1985 से 2003 तक एकलव्य के माध्यम से होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम से संलग्न। 2004 से 2009 तक विद्या भवन सोसायटी, उदयपुर, राजस्थान में कार्यरत। विद्या भवन से प्रकाशित खोजबीन एवं बुनियादी शिक्षा : एक नयी कोशिश पत्रिकाओं का सम्पादन। 2010 से 2011 तक आर्च व जशोदा ट्रस्ट के साथ गुजरात के वलसाड़ ज़िले के आदिवासी क्षेत्र की आश्रम शालाओं में कार्य। 2011 से अगस्त 2014 तक अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन देहरादून (उत्तराखण्ड) में कार्य। छत्तीसगढ़ राज्य की पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें व डीएड के पाठ्यक्रम लेखन में सक्रिय योगदान। प्रकाशित पुस्तकें : छोटे जीवों से जान-पहचान, रफी अहमद किदवई की जीवनी का हिन्दी अनुवाद-प्रकाशक-नेशनल बुक ट्रस्ट, नयी दिल्ली। अंडे ही अंडे-प्रकाशक-एनसीईआरटी, नयी दिल्ली। अभिव्यक्ति भोपाल द्वारा नवसाक्षरों के लिए पाँच पुस्तकों का प्रकाशन। स्वतन्त्र रूप से लेखन : हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञान, पर्यावरण, शिक्षा और सामाजिक सरोकारों के मसलों पर सतत लेखन। बच्चों के लिए अनेक लेख लिखे। पक्षी दर्शन, कीट दर्शन, मकड़ी दर्शन व फ़ोटोग्राफ़ी में दिलचस्पी।

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