Kedarnath Agrawal Sanchayan

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
कैलाश वाजपयी, अशोक त्रिपाठी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
कैलाश वाजपयी, अशोक त्रिपाठी
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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472

केदारनाथ अग्रवाल संचयन –
केदारनाथ अग्रवाल हिन्दी की धारा के अनन्यतम कवि हैं—निराला की भाषागत तथा वस्तुगत यथार्थ की परम्परा को आगे बढ़ानेवाले अग्रणी कवि। उन्होंने हिन्दी कविता को कल्पना की कोमलकान्त पदावली की दुनिया से बाहर निकालकर उसे भाषा और अन्तर्वस्तु के धरातल पर असलियत की कठोर, खुरदरी और भदेस दुनिया में चलना सिखाया, ऐसी दुनिया में जहाँ माटी और श्रमस्वेद की पवित्र गन्ध मिलती है। कहना होगा कि केदारजी पारम्परिक काव्य शास्त्रीय कवि नहीं हैं, न ही निरे भावुकतावादी, बल्कि वे एक सचेत, सजग, चिन्तनशील तथा कलाप्रेमी कवि हैं।
केदारजी की कविताओं का फलक बहुत विशाल है। उन्हें किसी एक विषय की सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता। उनकी कविता में प्रकृति, प्रेम, सौन्दर्य तथा ऐन्द्रिकता के अनेक मोहक और मनुष्य सापेक्ष बिम्ब मिलते हैं तो श्रम का सौन्दर्य, न्यायतन्त्र की खामियाँ, दलितों व वंचितों की चेतना में मायूसी की जगह आत्मविश्वास एवं संघर्ष का स्वाभिमान भी झलकता है। इन सारे विषयों को हमारी संवेदना और चेतना का अनिवार्य हिस्सा बनाने के लिए वे ऐसे अनेक अछूते बिम्बों और उत्प्रेक्षाओं का एक नया संसार रचते हैं जो उनकी पीढ़ी, उनके पूर्ववर्ती और परवर्ती किसी एक कवि में शायद ही मिले।
केदारनाथ अग्रवाल की ख्याति एक कवि के रूप में ही है। वह भी अपने को मूलतः कवि ही मानते हैं गद्यकार नहीं, जबकि परिमाण की दृष्टि से उनका गद्य कविता से कतई कम नहीं है। उपन्यास, कहानी, नाटक, रेखाचित्र, लेख, आलोचना, पत्र आदि गद्य की ऐसी कोई विधा नहीं जिसमें उनकी सशक्त लेखनी न चली हो। प्रस्तुत संकलन में कविता के साथ-साथ उनके गद्यलेखन की प्रामाणिक बानगी अवश्य मिलेगी। इस प्रकार एक सम्पूर्ण केदारनाथ अग्रवाल इस संकलन के माध्यम से पाठक की चेतना में निरन्तर बने रहते हैं।

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Description

केदारनाथ अग्रवाल संचयन –
केदारनाथ अग्रवाल हिन्दी की धारा के अनन्यतम कवि हैं—निराला की भाषागत तथा वस्तुगत यथार्थ की परम्परा को आगे बढ़ानेवाले अग्रणी कवि। उन्होंने हिन्दी कविता को कल्पना की कोमलकान्त पदावली की दुनिया से बाहर निकालकर उसे भाषा और अन्तर्वस्तु के धरातल पर असलियत की कठोर, खुरदरी और भदेस दुनिया में चलना सिखाया, ऐसी दुनिया में जहाँ माटी और श्रमस्वेद की पवित्र गन्ध मिलती है। कहना होगा कि केदारजी पारम्परिक काव्य शास्त्रीय कवि नहीं हैं, न ही निरे भावुकतावादी, बल्कि वे एक सचेत, सजग, चिन्तनशील तथा कलाप्रेमी कवि हैं।
केदारजी की कविताओं का फलक बहुत विशाल है। उन्हें किसी एक विषय की सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता। उनकी कविता में प्रकृति, प्रेम, सौन्दर्य तथा ऐन्द्रिकता के अनेक मोहक और मनुष्य सापेक्ष बिम्ब मिलते हैं तो श्रम का सौन्दर्य, न्यायतन्त्र की खामियाँ, दलितों व वंचितों की चेतना में मायूसी की जगह आत्मविश्वास एवं संघर्ष का स्वाभिमान भी झलकता है। इन सारे विषयों को हमारी संवेदना और चेतना का अनिवार्य हिस्सा बनाने के लिए वे ऐसे अनेक अछूते बिम्बों और उत्प्रेक्षाओं का एक नया संसार रचते हैं जो उनकी पीढ़ी, उनके पूर्ववर्ती और परवर्ती किसी एक कवि में शायद ही मिले।
केदारनाथ अग्रवाल की ख्याति एक कवि के रूप में ही है। वह भी अपने को मूलतः कवि ही मानते हैं गद्यकार नहीं, जबकि परिमाण की दृष्टि से उनका गद्य कविता से कतई कम नहीं है। उपन्यास, कहानी, नाटक, रेखाचित्र, लेख, आलोचना, पत्र आदि गद्य की ऐसी कोई विधा नहीं जिसमें उनकी सशक्त लेखनी न चली हो। प्रस्तुत संकलन में कविता के साथ-साथ उनके गद्यलेखन की प्रामाणिक बानगी अवश्य मिलेगी। इस प्रकार एक सम्पूर्ण केदारनाथ अग्रवाल इस संकलन के माध्यम से पाठक की चेतना में निरन्तर बने रहते हैं।

About Author

सम्पादक - कैलाश वाजपेयी - जन्म: 11 नवम्बर, 1936, उत्तर प्रदेश। शिक्षा: लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए., पीएच. डी.। सन् 1960 मुम्बई में, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, ग्रुप की पत्रिका 'सारिका' के प्रकाशन प्रभारी। 1961 में शिवाजी कॉलेज (दिल्ली) में विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्ति। 1973 से 1976 तक 'एल कालेजियो दे मेख़िको' में भारतीय संस्कृति हिन्दी भाषा एवं साहित्य के विज़िटिंग प्रोफ़ेसर। 1976-77 में अमेरिका के डैलेस विश्वविद्यालय में एडजंक्ट प्रोफ़ेसर। प्रकाशन: 'आधुनिक हिन्दी कविता में शिल्प' (शोध प्रबन्ध)। 'संक्रान्त', 'देहान्त से हटकर', 'तीसरा अँधेरा', 'महास्वप्न का मध्यान्तर', 'प्रतिनिधि कविताएँ', 'सूफ़ीनामा', 'भविष्य घट रहा है', 'हवा में हस्ताक्षर', 'बियांड द सेल्फ़', 'चुनी हुई कविताएँ', 'एल आरबोल दे कार्ने' (स्पहानी भाषा में) (कविता संग्रह)। 'डूबा-सा अनडूबा तारा' (एक काव्यात्मक आख्यान)। 'युवा संन्यासी' (नाटक)। 'पृथ्वी का कृष्णपक्ष' (प्रबन्ध काव्य)। 'अनहद', 'शब्द संसार', 'समाज दर्शन और आदमी', 'है कुछ, दीखे और' (निबन्ध संग्रह)। 'भीतर भी ईश्वर' (आख्यायिकाएँ)। 'आधुनिकता का उत्तरोत्तर' (आलोचना)। 'साइंस ऑफ़ मन्त्राज़', 'मन्त्राज़ पालाबराज़ दे पोदेर' (रहस्य विज्ञान)। 'एस्ट्रो कॉम्बिनेशंस' (खगोलशास्त्र)। छह पुस्तकों का सम्पादन। पुरस्कार/सम्मान: हिन्दी अकादमी दिल्ली, एस. एस. मिलिनियम अवार्ड, व्यास सम्मान, ह्यूमन केयर ट्रस्ट अवार्ड, साहित्य शिखर सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम के अन्तर्गत रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडेन, इटली अमेरिका, कनाडा आदि देशों की यात्रा। निधन: 1 अप्रैल 2015। सम्पादक - अशोक त्रिपाठी जन्म: 28 अगस्त, 1950, पूरनपुर गाँव, ज़िला इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश। शिक्षा: एम.ए., डी. फिल. (हिन्दी साहित्य), इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1977 में। तत्पश्चात् 1990 तक विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा और साहित्य का अध्यापन। 1991 से 2011 तक दूरदर्शन में कार्यक्रम निर्माण, प्रबन्धन, मानव संसाधन प्रशिक्षण तथा प्रशासन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए, उप महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त। लेखन: 'समकालीन हिन्दी कविता', 'आदमी होने की तमीज़' के अलावा बाल एवं प्रौढ़ साहित्य सम्बन्धी 9 पुस्तकें। अनेक पुस्तकों एवं विशेषांकों का सम्पादन। केदारनाथ अग्रवाल 1 अप्रैल, 1911 को कमासिन, बाँदा (उत्तर प्रदेश) में जनमे केदारनाथ अग्रवाल की शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं कानपुर से हुई। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—'फूल नहीं रंग बोलते हैं', 'आग का आईना', 'गुलमेंहदी', 'पंख और पतवार', 'हे मेरी तुम', 'मार प्यार के थापें', 'बम्बई का रक्त-स्नान', 'कहें केदार खरी खरी', 'जमुन जल तुम', 'अपूर्वा', 'बोल बोल अबोल', 'जो शिलाएँ तोड़ते हैं', 'आत्मगन्ध', 'अनहारी हरियाली', 'खुली आँखें खुले डैने', 'पुष्पदीप', 'बसन्त में प्रसन्न हुई पृथ्वी' तथा 'कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह' (काव्य-संग्रह); 'समय-समय पर', 'विचार-बोध', 'विवेक विवेचन' (निबन्ध-संग्रह); 'बस्ती खिले गुलाबों की' (रूस की यात्रा का वृत्तान्त )। श्री केदार जी सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार (1973), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ द्वारा 1979-80 का विशिष्ट पुरस्कार, 'अपूर्वा' पर 1986 का 'साहित्य अकादमी सम्मान', मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल का 'तुलसी सम्मान' (1986), मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल का 'मैथिलीशरण गुप्त सम्मान' (1990) से सम्मानित पुरस्कृत हैं।

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