Kavi Jo Vikas Hai Maniushya Ka

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
ए. अरविन्दाक्षन
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Vani Prakashan
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ए. अरविन्दाक्षन
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Hindi
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Hardback

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‘कवि जो विकास है मनुष्य का : अरुण कमाल की सौ कविताओं पर एकाग्र’
अरुण कमल समकालीन कविता के पुरोधा कवियों में एक ऐसा नाम हैं जिनके पास अनुभवजन्य यथार्थ का एक महाप्रदेश है जिसे उन्होंने सदैव अपने आत्मीय दृष्टिपथ में सहेजकर, सँभालकर रखा है। उनके पास वह सुरक्षित भी है। जब हम समकालीन दौर की हिन्दी कविताओं में से अरुण कमल की कविताओं का वाचन करते हैं तो हमें प्रतीत होता है कि एक बृहद् आकार जीवन के बहु-वर्णी सरोकारों से हमारा सामना हो रहा है। चौपाल के खुलेपन में बतियाते रहने का सा आभास उनकी कविताएँ हमें प्रदान करती हैं। विषयवस्तु के चयन से लेकर उनके काव्योन्मुख विकल्पों तथा भाषिक रीतियों से हमें पता चलता है कि अरुण कमल के माध्यम से समकालीन हिन्दी कविता अपनी सौन्दर्यात्मक सहजता का परिचय ही दे रही है।

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‘कवि जो विकास है मनुष्य का : अरुण कमाल की सौ कविताओं पर एकाग्र’
अरुण कमल समकालीन कविता के पुरोधा कवियों में एक ऐसा नाम हैं जिनके पास अनुभवजन्य यथार्थ का एक महाप्रदेश है जिसे उन्होंने सदैव अपने आत्मीय दृष्टिपथ में सहेजकर, सँभालकर रखा है। उनके पास वह सुरक्षित भी है। जब हम समकालीन दौर की हिन्दी कविताओं में से अरुण कमल की कविताओं का वाचन करते हैं तो हमें प्रतीत होता है कि एक बृहद् आकार जीवन के बहु-वर्णी सरोकारों से हमारा सामना हो रहा है। चौपाल के खुलेपन में बतियाते रहने का सा आभास उनकी कविताएँ हमें प्रदान करती हैं। विषयवस्तु के चयन से लेकर उनके काव्योन्मुख विकल्पों तथा भाषिक रीतियों से हमें पता चलता है कि अरुण कमल के माध्यम से समकालीन हिन्दी कविता अपनी सौन्दर्यात्मक सहजता का परिचय ही दे रही है।

About Author

ए. अरविन्दाक्षन जन्म : जुलाई 1949, पालक्काड, केरल । भूतपूर्व प्रतिकुलपति, महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र । प्रकाशित रचनाएँ : कविता संकलन : बाँस का टुकड़ा, घोड़ा, आसपास, राग लीलावती, असंख्य ध्वनियों के बीच, सपने सच होते हैं, जंगल नज़दीक आ रहा है, भरा पूरा घर, राम की यात्रा, पतझड़ का इतिहास, समुद्र से संवाद, खंडहरों के बीच, नीलाम्बर, वट के पत्ते पर लीलारविन्द की तरह, साक्षी है धरती साक्षी है आकाश, प्रार्थना एक नदी है, कविता का दुख, सुबह की चोरी, कविता प्रदेश, प्रतिनिधि कविताएँ। 26 आलोचनात्मक ग्रन्थ, 24 सम्पादित ग्रन्थ, 15 अनुवाद, 22 राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य वाचस्पति उपाधि से विभूषित ।

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