Karwan Ka Shauq Hai

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
दीपक रमोला
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani Prakashan
Author:
दीपक रमोला
Language:
Hindi
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Paperback

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156

दीपक कोमल संवेदनाओं के कवि हैं। हमेशा मुस्कुराते हुए मिलते हैं। यह जो खिला-खिला दीपक रमोला है, उदास रातों को आँसुओं से सींचता है, तब जाकर सुबह मुस्कुराहट के फूल उगाता है। यह नीयत शायद हर संवेदनशील मन की है, जो ऋण सिर्फ अपने लिए और धन सबके लिए सँजोना चाहता है इसीलिए दीपक लिखते हैं कि ‘जब भी देखोगे मुझे कुछ अपना-सा याद आयेगा।’ जो सड़क सीधे रास्ते जाती है, दीपक रमोला उधर जाने के बजाय आस-पास से गुज़रती पगडंडियों को तरजीह देते हैं। कई बार तो किसी रास्ते का सिरा भी नहीं होता, लगता है इधर से कोई कैसे जायेगा? दीपक पाँच बढ़ा देते हैं। स्वयं यात्रा करते हैं और पीछे आने वालों के लिए रास्ता बनाते हैं। ये सब दीपक रमोला का स्वभाव है, जिसका मैं वर्णन कर रहा हूँ। कवि दीपक रमोला को आप देखेंगे तो मेरे कहे को वह अपनी कविताओं से पुष्टि करता है। दीपक रमोला क्राफ्ट और भाषा से कोई जादूगरी करने वाले कवि नहीं हैं, ऐसा इसलिए भी है कि शायद उन्हें ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं है। कवि दीपक रमोला के भीतर जो बाक़ी दीपक रमोला रहते हैं, उन्होंने अनुभव का सागर-सा संसार भर दिया है। इसलिए दीपक को न विषय दोहराने की ज़रूरत पड़ती है, न कविताओं में कथ्य। हर कविता ताज़ा हवा के झोंके की तरह मिलती है। -प्रताप सोमवंशी

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Description

दीपक कोमल संवेदनाओं के कवि हैं। हमेशा मुस्कुराते हुए मिलते हैं। यह जो खिला-खिला दीपक रमोला है, उदास रातों को आँसुओं से सींचता है, तब जाकर सुबह मुस्कुराहट के फूल उगाता है। यह नीयत शायद हर संवेदनशील मन की है, जो ऋण सिर्फ अपने लिए और धन सबके लिए सँजोना चाहता है इसीलिए दीपक लिखते हैं कि ‘जब भी देखोगे मुझे कुछ अपना-सा याद आयेगा।’ जो सड़क सीधे रास्ते जाती है, दीपक रमोला उधर जाने के बजाय आस-पास से गुज़रती पगडंडियों को तरजीह देते हैं। कई बार तो किसी रास्ते का सिरा भी नहीं होता, लगता है इधर से कोई कैसे जायेगा? दीपक पाँच बढ़ा देते हैं। स्वयं यात्रा करते हैं और पीछे आने वालों के लिए रास्ता बनाते हैं। ये सब दीपक रमोला का स्वभाव है, जिसका मैं वर्णन कर रहा हूँ। कवि दीपक रमोला को आप देखेंगे तो मेरे कहे को वह अपनी कविताओं से पुष्टि करता है। दीपक रमोला क्राफ्ट और भाषा से कोई जादूगरी करने वाले कवि नहीं हैं, ऐसा इसलिए भी है कि शायद उन्हें ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं है। कवि दीपक रमोला के भीतर जो बाक़ी दीपक रमोला रहते हैं, उन्होंने अनुभव का सागर-सा संसार भर दिया है। इसलिए दीपक को न विषय दोहराने की ज़रूरत पड़ती है, न कविताओं में कथ्य। हर कविता ताज़ा हवा के झोंके की तरह मिलती है। -प्रताप सोमवंशी

About Author

दीपक रमोला प्रोजेक्ट फ्युएल के संस्थापक और कला निर्देशक हैं। वे आजकल हावर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ़ एजुकेशन में परास्नातक पढ़ाई कर रहे हैं। दो बार के Ted Talk स्पीकर और यू एन एक्शन प्लान कार्यान्वित करने वाले दीपक रमोला यूनेस्को महात्मा गांधी शान्ति और सतत विकास संस्थान के संवेदनशील जनप्रतिनिधि रहे। उन्हें समाज में असाधारण प्रभाव पैदा करने वाली हस्ती के रूप में जाना जाता है। सकारात्मक सोच और उसके मानव व्यक्तित्व पर पड़ने वाले प्रभावों का दीपक ने गहन अध्ययन किया है। इनकी कार्यशैली को फिनलैंड आधारित संगठन हंड्रेड ने दुनिया के शीर्ष सौ शिक्षा सम्बन्धी नवाचारों में मान्यता दी है जिसे बेल्जियम, तंजानिया और अमेरिका ने भी अपनाया है। दीपक हिन्दी सिनेमा के जाने-माने गीतकार हैं। उनके गीतों को अमिताभ बच्चन, फ़रहान अख़्तर और रेखा भारद्वाज ने भी आवाज़ दी है। उनके पहले काव्य संग्रह इतना तो मैं समझ गया हूँ को 2020 में प्रतिष्ठित द्वारका प्रसाद अग्रवाल युवा लेखक सम्मान से पुरस्कृत किया गया।

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