SaleHardback
Jatiya Manobhoomi Ki Talash
₹145 ₹144
Save: 1%
Main To Thahra Hamaal
₹85 ₹84
Save: 1%
Kapatpasa
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
सीताकान्त महापात्र
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
सीताकान्त महापात्र
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹100 ₹99
Save: 1%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
8126307374
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
110
कपटपासा –
अपने समय का कोई भी बड़ा कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से मनुष्य के केन्द्रीय प्रश्नों से साक्षात्कार करता और कराता है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ओड़िया कवि सीताकान्त महापात्र की कविताएँ भी मनुष्य की गहरी संवेदनाओं और उसके अस्तित्व की जटिलताओं को निरन्तर अभिव्यक्त करती हैं। उनके इस नये संग्रह ‘कपटपासा’ की कविताओं में भी मानवीय चिन्ताओं के स्वर अपने वैभव के साथ उपस्थित हैं।
‘कपटपासा’ की कविताओं में सघन बिम्बों और भाषा-शैली के माध्यम से परम्पराओं का सजग मूल्यांकन और आधुनिक जीवन मूल्यों का प्रखर विश्लेषण तो है ही, मिट्टी-पानी की अन्दरूनी खनक और गन्ध को भी सहज ही महसूस किया जा सकता है।
डॉ. महापात्र का विश्वास है कि अतीत और भविष्य को मिलाकर वैकल्पिक वास्तविकता का सृजन कविता के ज़रिये ही सम्भव है। सारी हताशा, दुःख और यन्त्रणाओं में उनकी कविता मनुष्य की स्थिति के गम्भीरतम आनन्द की तलाश है। उनका यह संग्रह आधुनिक भारतीय कविता के इसी प्रमुख स्वर का अन्यतम उदाहरण है।
Be the first to review “Kapatpasa” Cancel reply
Description
कपटपासा –
अपने समय का कोई भी बड़ा कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से मनुष्य के केन्द्रीय प्रश्नों से साक्षात्कार करता और कराता है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ओड़िया कवि सीताकान्त महापात्र की कविताएँ भी मनुष्य की गहरी संवेदनाओं और उसके अस्तित्व की जटिलताओं को निरन्तर अभिव्यक्त करती हैं। उनके इस नये संग्रह ‘कपटपासा’ की कविताओं में भी मानवीय चिन्ताओं के स्वर अपने वैभव के साथ उपस्थित हैं।
‘कपटपासा’ की कविताओं में सघन बिम्बों और भाषा-शैली के माध्यम से परम्पराओं का सजग मूल्यांकन और आधुनिक जीवन मूल्यों का प्रखर विश्लेषण तो है ही, मिट्टी-पानी की अन्दरूनी खनक और गन्ध को भी सहज ही महसूस किया जा सकता है।
डॉ. महापात्र का विश्वास है कि अतीत और भविष्य को मिलाकर वैकल्पिक वास्तविकता का सृजन कविता के ज़रिये ही सम्भव है। सारी हताशा, दुःख और यन्त्रणाओं में उनकी कविता मनुष्य की स्थिति के गम्भीरतम आनन्द की तलाश है। उनका यह संग्रह आधुनिक भारतीय कविता के इसी प्रमुख स्वर का अन्यतम उदाहरण है।
About Author
सीताकान्त महापात्र -
1937 में जनमे सीताकान्त ने उत्कल, इलाहाबाद तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की। 1975-77 में होमी भामा फ़ेलोशिप पाकर 'भारतीय आदिम समुदायों की आधुनिकीकरण प्रकिया' का अध्ययन किया। सामाजिक नृतत्त्व विज्ञान में उन्होंने डॉक्टरेट प्राप्त की है।
अब तक उड़िया कविताओं के उनके 12 संकलन, 4 निबन्ध-संग्रह, आदिवासी कविता के अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित। हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक विदेशी भाषाओं में रचनाएँ अनूदित प्रकाशित।
ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सोवियत लैण्ड अवार्ड, सारला पुरस्कार, कुमारन आशन पुरस्कार, राज्य साहित्य अकादेमी पुरस्कार आदि से सम्मानित।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Kapatpasa” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.