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Kalam Zinda Rahe

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
इकराम राजस्थानी
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
इकराम राजस्थानी
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9789352296316 Category
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Page Extent:
200

‘क़लम ज़िन्दा रहे’ इकराम राजस्थानी की हिन्दुस्तानी ग़ज़लों, रुबाइयों, अशआर और दोहों की मुकम्मल किताब है। इकराम राजस्थानी की इन बहुरंगी तेवर की रचनाओं में कथ्य और रूप के समन्वय के साथ-साथ भाव और भाषा की आज़ादी तथा ख़याल और चित्रण का खुलापन भी मिलता है। संग्रह की रचनाओं में तन-मन, घर-परिवार, नाते-रिश्ते, समाज-परिवेश, धर्म-सियासत, क़ौम-भाषा, देश-दुनिया, गाँव-परदेस, ख़्वाब हकीक़त, निजी-सार्वजनिक, प्रकृति-प्राणी, गम-ख़ुशी, ख्वाहिश – इच्छाएँ और विचार-व्यवहार के व्यापक दायरों को समेटा गया है। इकराम राजस्थानी की इन विविध रचनाओं में ज़िन्दगी का एक गहरा फ़लसफ़ा मिलता है और यही बाक़ी चीज़ों को देखने के उनके नज़रिये को भी पैना बनाता है। इसके अलावा यहाँ इंसानियत के अलग-अलग पहलुओं की बारीक पहचान भी है जो बरबस ही हमारा ध्यान खींच लेती है।

प्रयोग की दृष्टि से देखें तो इकराम राजस्थानी की अलग-अलग फॉर्म की रचनाओं में चाहे वे ग़ज़लें हों, रुबाइयाँ हों, अशआर हों या दोहे-एक सहज गति और लयकारी मिलती है जो पढ़ने के आनन्द को कई गुना बढ़ा देती हैं। इनकी भाषा में भी एक सहज प्रवाह और रवानगी है। यहाँ आम जन-जीवन और बोलचाल की भाषा का रचनात्मक प्रयोग इस तरह से किया गया है कि बोलचाल और साहित्यिक भाषा का फ़क़ मिट-सा गया है। अपने कथ्य और भाषा के सौन्दर्य के कारण ये छोटी-छोटी रचनाएँ हर तरह के पाठकों के लिए बारम्बार पठनीय हैं।

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Description

‘क़लम ज़िन्दा रहे’ इकराम राजस्थानी की हिन्दुस्तानी ग़ज़लों, रुबाइयों, अशआर और दोहों की मुकम्मल किताब है। इकराम राजस्थानी की इन बहुरंगी तेवर की रचनाओं में कथ्य और रूप के समन्वय के साथ-साथ भाव और भाषा की आज़ादी तथा ख़याल और चित्रण का खुलापन भी मिलता है। संग्रह की रचनाओं में तन-मन, घर-परिवार, नाते-रिश्ते, समाज-परिवेश, धर्म-सियासत, क़ौम-भाषा, देश-दुनिया, गाँव-परदेस, ख़्वाब हकीक़त, निजी-सार्वजनिक, प्रकृति-प्राणी, गम-ख़ुशी, ख्वाहिश – इच्छाएँ और विचार-व्यवहार के व्यापक दायरों को समेटा गया है। इकराम राजस्थानी की इन विविध रचनाओं में ज़िन्दगी का एक गहरा फ़लसफ़ा मिलता है और यही बाक़ी चीज़ों को देखने के उनके नज़रिये को भी पैना बनाता है। इसके अलावा यहाँ इंसानियत के अलग-अलग पहलुओं की बारीक पहचान भी है जो बरबस ही हमारा ध्यान खींच लेती है।

प्रयोग की दृष्टि से देखें तो इकराम राजस्थानी की अलग-अलग फॉर्म की रचनाओं में चाहे वे ग़ज़लें हों, रुबाइयाँ हों, अशआर हों या दोहे-एक सहज गति और लयकारी मिलती है जो पढ़ने के आनन्द को कई गुना बढ़ा देती हैं। इनकी भाषा में भी एक सहज प्रवाह और रवानगी है। यहाँ आम जन-जीवन और बोलचाल की भाषा का रचनात्मक प्रयोग इस तरह से किया गया है कि बोलचाल और साहित्यिक भाषा का फ़क़ मिट-सा गया है। अपने कथ्य और भाषा के सौन्दर्य के कारण ये छोटी-छोटी रचनाएँ हर तरह के पाठकों के लिए बारम्बार पठनीय हैं।

About Author

इकराम राजस्थानी जन्म : 8 जुलाई, 1946 हिन्दी, उर्दू, राजस्थानी तीनों भाषाओं में अधिकारपूर्वक लेखन। आकाशवाणी केन्द्र निदेशक (पूर्व) एच.एम.वी. यूकी. सुपर कैसेट्स, वैस्टन में हज़ारों गीतों के कैसेट्स और ई.पी. एल.पी. रिकार्ड्स / आकाशवाणी और 'विविध भारती' से हज़ारों नाटक, झलकियाँ, गीत और कहानियाँ प्रसारित आकाशवाणी के मान्यता प्राप्त गायक, गीतकार, समाचार वाचक, लोक गायक और कमेंटेटर। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ निरन्तर प्रकाशित होती रहती हैं । राजस्थानी, हिन्दी फ़िल्मों में गायन, अभिनय, गीत एवं संवाद लेखन । बी.बी.सी. से साक्षात्कार एवं रचनाओं का प्रसारण । राष्ट्रीय स्तर के लोकप्रिय मंच संचालक, कवि, गीतकार, साहित्यकार ।

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