Kai Samayon Mein
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कई समयों में –
‘कई समयों में’ कुँवर नारायण के लेखन से ली गयी कविताओं तथा अन्य लेखन का एक संचयन है। इसमें यह कोशिश है कि उनके साहित्य का, उनके विचारों, सरोकारों और भाषा का भरसक प्रतिनिधित्व हो सके। यह संचयन केवल एक संकलन मात्र नहीं — हमारे समय के एक अत्यन्त प्रतिभाशाली साहित्यकार से निकट परिचय का माध्यम है, जो पाठक को उनके लेखन के एक ज़्यादा बड़े संसार की ओर आकृष्ट करेगा। कुँवर नारायण के लेखन पर मिली-जुली भाषायी संस्कृति का असर है, जिसमें अवधी, खड़ी बोली, संस्कृत और उर्दू के गहरे संस्कार मिलते हैं। कुँवर नारायण स्वभाव से अन्तर्मुखी हैं, किन्तु घनिष्ठ होने पर सहज हो जाते हैं। उनके समग्र लेखन में मैं तुम-और-वे के समन्वय के साथ-साथ, निराशाओं के बावजूद, जीवनशक्ति में एक अदम्य विश्वास बना रहता है। कुँवर नारायण ‘आधुनिकता’ के अर्थ को केवल तात्कालिक या समकालीन में सीमित नहीं करते — उसे एक बृहत्तर समय-बोध में रखकर विस्तृत करते हैं। मिथक और इतिहास को जब भी वे अपने लेखन में लाते हैं, उन्हें आज की समस्याओं और मानसिकताओं से जोड़ते हैं। विभिन्नताएँ उन्हें विचलित नहीं करतीं। वे उनकी रचनाशीलता का सहज स्रोत हैं। बौद्धिकता, कवित्व, भावनाएँ, तर्क सब को वे मनुष्य की विभिन्न स्वाभाविक क्षमताओं के रूप में स्वीकार करते हैं। इस संचयन में हमें कई प्रकार के लेखन की एक आत्मीय झलक मिलती है और हम एक विश्वस्तरीय कवि के विरल व्यक्तित्व से परिचित हो पाते हैं।
कई समयों में –
‘कई समयों में’ कुँवर नारायण के लेखन से ली गयी कविताओं तथा अन्य लेखन का एक संचयन है। इसमें यह कोशिश है कि उनके साहित्य का, उनके विचारों, सरोकारों और भाषा का भरसक प्रतिनिधित्व हो सके। यह संचयन केवल एक संकलन मात्र नहीं — हमारे समय के एक अत्यन्त प्रतिभाशाली साहित्यकार से निकट परिचय का माध्यम है, जो पाठक को उनके लेखन के एक ज़्यादा बड़े संसार की ओर आकृष्ट करेगा। कुँवर नारायण के लेखन पर मिली-जुली भाषायी संस्कृति का असर है, जिसमें अवधी, खड़ी बोली, संस्कृत और उर्दू के गहरे संस्कार मिलते हैं। कुँवर नारायण स्वभाव से अन्तर्मुखी हैं, किन्तु घनिष्ठ होने पर सहज हो जाते हैं। उनके समग्र लेखन में मैं तुम-और-वे के समन्वय के साथ-साथ, निराशाओं के बावजूद, जीवनशक्ति में एक अदम्य विश्वास बना रहता है। कुँवर नारायण ‘आधुनिकता’ के अर्थ को केवल तात्कालिक या समकालीन में सीमित नहीं करते — उसे एक बृहत्तर समय-बोध में रखकर विस्तृत करते हैं। मिथक और इतिहास को जब भी वे अपने लेखन में लाते हैं, उन्हें आज की समस्याओं और मानसिकताओं से जोड़ते हैं। विभिन्नताएँ उन्हें विचलित नहीं करतीं। वे उनकी रचनाशीलता का सहज स्रोत हैं। बौद्धिकता, कवित्व, भावनाएँ, तर्क सब को वे मनुष्य की विभिन्न स्वाभाविक क्षमताओं के रूप में स्वीकार करते हैं। इस संचयन में हमें कई प्रकार के लेखन की एक आत्मीय झलक मिलती है और हम एक विश्वस्तरीय कवि के विरल व्यक्तित्व से परिचित हो पाते हैं।
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