कहानी अंकल –
कहानी राख से भी चिंगारी कुरेद लेती है। ठंडे अलाव में गर्मी फूँक देती है। बिस्तरों से उठाकर आग के पास बिठा देती है। रात को दिन बना देती है। कहानी रामायण कहती है। अलिफ़ लैला सुनाती है। शाहनामा बयान करती है। महाभारत छेड़ती है। कहानी अकथ की कथा बयान करती है।
कहानी अंकल उपन्यास में उपन्यासकार ने एक ऐसी आत्मीय कहानी अंकल पात्र का सृजन किया है जो पुराने आख्यानों, लोककथाओं, अलिफ़ लैला और पंचतन्त्र के कथासूत्रों को बिलकुल नये सन्दर्भों में, बड़े दिलचस्प और जज़्बाती लहज़े में बयान करती है।.. .कहानी अंकल पात्र उस ज़माने की याद ताजा कर देता है जब गाँव-देहात में कोई कुशल क़िस्सागो, अलाव के पास बैठकर, बच्चों-बड़ों के बीच रोमांचक क़िस्से बयान करता था।
वही क़िस्सागोई इस उपन्यास में है। पाठक उपन्यास का सजीव भाषा और पठनीयता से यक़ीनन प्रभावित होंगे।
अन्तिम पृष्ठ आवरण –
वक़्त के साथ fiction के परखने के म्यार भी बदलते रहे लेकिन हर ज़माने में और भी दुनिया की हर ज़बान में इस बात पर हमेशा ज़ोर दिया गया कि वह पढ़ने में दिलचस्प हो और आस-पास की ज़िन्दगी में uncommon चीज़ों को जानने के इन्सानी curiosity के तस्कीन पहुँचाए। कथा के दिलचस्प होने की बस एक ही कसौटी है कि हम पढ़ने के दौरान यह सवाल करते रहें कि फिर क्या हुआ फिर क्या – हुआ। Modern fiction के बहुत से नमूने इस ख़ूबी से आरी (वंचित) थे, इसलिए आजकल fiction की तन्कीद (समीक्षा) में कहानी की वापसी का बहुत ज़िक्र हो रहा है। ग़ज़नफर उन उपन्यासकारों में से हैं जिनके यहाँ ज़िन्दगी और कहानी शुरू से मौजूद है। कहानी अंकल आप पढ़ना शुरू करेंगे तो उसे ख़त्म किये बिना नहीं छोड़ेंगे, यह मेरा दावा है।
ज़िन्दगी की दौड़ हमें ज़िन्दगी से दूर, और दूर कर रही है। कहानी अंकल हमें उसके पास लाने की एक ख़ूबसूरत कोशिश है। यक़ीन न आये तो पढ़ के देखिए। –शहरयार
कहानी अंकल –
कहानी राख से भी चिंगारी कुरेद लेती है। ठंडे अलाव में गर्मी फूँक देती है। बिस्तरों से उठाकर आग के पास बिठा देती है। रात को दिन बना देती है। कहानी रामायण कहती है। अलिफ़ लैला सुनाती है। शाहनामा बयान करती है। महाभारत छेड़ती है। कहानी अकथ की कथा बयान करती है।
कहानी अंकल उपन्यास में उपन्यासकार ने एक ऐसी आत्मीय कहानी अंकल पात्र का सृजन किया है जो पुराने आख्यानों, लोककथाओं, अलिफ़ लैला और पंचतन्त्र के कथासूत्रों को बिलकुल नये सन्दर्भों में, बड़े दिलचस्प और जज़्बाती लहज़े में बयान करती है।.. .कहानी अंकल पात्र उस ज़माने की याद ताजा कर देता है जब गाँव-देहात में कोई कुशल क़िस्सागो, अलाव के पास बैठकर, बच्चों-बड़ों के बीच रोमांचक क़िस्से बयान करता था।
वही क़िस्सागोई इस उपन्यास में है। पाठक उपन्यास का सजीव भाषा और पठनीयता से यक़ीनन प्रभावित होंगे।
अन्तिम पृष्ठ आवरण –
वक़्त के साथ fiction के परखने के म्यार भी बदलते रहे लेकिन हर ज़माने में और भी दुनिया की हर ज़बान में इस बात पर हमेशा ज़ोर दिया गया कि वह पढ़ने में दिलचस्प हो और आस-पास की ज़िन्दगी में uncommon चीज़ों को जानने के इन्सानी curiosity के तस्कीन पहुँचाए। कथा के दिलचस्प होने की बस एक ही कसौटी है कि हम पढ़ने के दौरान यह सवाल करते रहें कि फिर क्या हुआ फिर क्या – हुआ। Modern fiction के बहुत से नमूने इस ख़ूबी से आरी (वंचित) थे, इसलिए आजकल fiction की तन्कीद (समीक्षा) में कहानी की वापसी का बहुत ज़िक्र हो रहा है। ग़ज़नफर उन उपन्यासकारों में से हैं जिनके यहाँ ज़िन्दगी और कहानी शुरू से मौजूद है। कहानी अंकल आप पढ़ना शुरू करेंगे तो उसे ख़त्म किये बिना नहीं छोड़ेंगे, यह मेरा दावा है।
ज़िन्दगी की दौड़ हमें ज़िन्दगी से दूर, और दूर कर रही है। कहानी अंकल हमें उसके पास लाने की एक ख़ूबसूरत कोशिश है। यक़ीन न आये तो पढ़ के देखिए। –शहरयार
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