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Jitni Yeh Gatha
Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Ekant Shrivastava
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Ekant Shrivastava
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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96
जितनी यह गाथा हिन्दी के प्रसिद्ध कवि-कथाकार एकान्त श्रीवास्तव का अनूठा कहानी संग्रह है क्योंकि इसमें सम्मिलित समस्त चैदह कहानियाँ अलग-अलग रंगों पर केंद्रित हैं। कहानी में रंग अपने आप में किरदार ही नहीं हैं बल्कि वे तमाम सारे किरदारों के जीवन में, प्रकृति में और यथार्थ के संस्तरों में समाहित होकर उन्हें प्रकट करते हैं। अंततः अपने सघन रूप में मनुष्य की संवेदनाओं के रूपक में बदल जाते हैं। इसीलिए एक ही कहानी में एक ही रंग परस्पर विरुद्ध होकर आमने-सामने होते हैं। इस कला को एकान्त ने बड़ी दक्षता से साधा है। प्रेम, शुद्ध प्रकृति, मानवीय संबंधों की ऊष्मा, ये सब जो लगातार नष्ट हो रहे हैं, वे एकान्त की इन कथाओं में जीवंत मिलते हैं। रंग हिन्दी कविता का प्रिय शब्द है पर शायद कहानी में पहली बार एकान्त ने उसको इतने गहन, बहुआयामी और संशलिष्ट अर्थ में इस्तेमाल किया है। ये कहानियाँ विरल हैं क्योंकि आज की कहानी के मुहावरे से अलग खड़े होने का जोखिम उठाती हैं। एकान्त की यह किताब जितनी यह गाथा अपनी प्रयोगधर्मिता की वजह से पढ़ी जाएगी, साथ ही मनुष्य और प्रकृति के अटूट रिश्ते तथा भावनाओं की निश्छलता के अंकन की वजह से भी ध्यान आकृष्ट करेगी।”
– अखिलेश (प्रख्यात लेखक, आलोचक और संपादक)
एकान्त श्रीवास्तव प्रसिद्ध कवि-कथाकार-आलोचक-संपादक हैं; उनकी कुल सोलह किताबें प्रकाशित हैं और दो प्रकाशनाधीन हैं। उन्हें डेढ़ दर्जन से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। अनेक देशों की यात्राएँ कीं। वागर्थ पत्रिका का नौ वर्षों तक संपादन किया। ईमेल: shrivastava.ekant@gmail.com
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Description
जितनी यह गाथा हिन्दी के प्रसिद्ध कवि-कथाकार एकान्त श्रीवास्तव का अनूठा कहानी संग्रह है क्योंकि इसमें सम्मिलित समस्त चैदह कहानियाँ अलग-अलग रंगों पर केंद्रित हैं। कहानी में रंग अपने आप में किरदार ही नहीं हैं बल्कि वे तमाम सारे किरदारों के जीवन में, प्रकृति में और यथार्थ के संस्तरों में समाहित होकर उन्हें प्रकट करते हैं। अंततः अपने सघन रूप में मनुष्य की संवेदनाओं के रूपक में बदल जाते हैं। इसीलिए एक ही कहानी में एक ही रंग परस्पर विरुद्ध होकर आमने-सामने होते हैं। इस कला को एकान्त ने बड़ी दक्षता से साधा है। प्रेम, शुद्ध प्रकृति, मानवीय संबंधों की ऊष्मा, ये सब जो लगातार नष्ट हो रहे हैं, वे एकान्त की इन कथाओं में जीवंत मिलते हैं। रंग हिन्दी कविता का प्रिय शब्द है पर शायद कहानी में पहली बार एकान्त ने उसको इतने गहन, बहुआयामी और संशलिष्ट अर्थ में इस्तेमाल किया है। ये कहानियाँ विरल हैं क्योंकि आज की कहानी के मुहावरे से अलग खड़े होने का जोखिम उठाती हैं। एकान्त की यह किताब जितनी यह गाथा अपनी प्रयोगधर्मिता की वजह से पढ़ी जाएगी, साथ ही मनुष्य और प्रकृति के अटूट रिश्ते तथा भावनाओं की निश्छलता के अंकन की वजह से भी ध्यान आकृष्ट करेगी।”
– अखिलेश (प्रख्यात लेखक, आलोचक और संपादक)
एकान्त श्रीवास्तव प्रसिद्ध कवि-कथाकार-आलोचक-संपादक हैं; उनकी कुल सोलह किताबें प्रकाशित हैं और दो प्रकाशनाधीन हैं। उन्हें डेढ़ दर्जन से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। अनेक देशों की यात्राएँ कीं। वागर्थ पत्रिका का नौ वर्षों तक संपादन किया। ईमेल: shrivastava.ekant@gmail.com
About Author
"जन्म : 8 फरवरी, 1964; ज़िला—रायपुर (छत्तीसगढ़) का एक क़स्बा छुरा। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), एम.एड., पीएच.डी.। प्रमुख कृतियाँ : ‘अन्न हैं मेरे शब्द’ (1994), ‘मिट्टी से कहूँगा धन्यवाद’ (2000), ‘बीज से फूल तक’ (2003) (कविता-संग्रह); ‘कविता का आत्मपक्ष’ (समालोचना, 2006), ‘शेल्टर फ्रॉम दि रेन (अंग्रेज़ी में अनूदित कविताएँ, 2007); ‘मेरे दिन मेरे वर्ष’ (स्मृति कथा, 2009), ‘बढ़ई, कुम्हार और कवि’ (लम्बी कविता, 2013), ‘पानी भीतर फूल’ (उपन्यास, 2013); ‘धरती अधखिला फूल है’ (कविता-संग्रह, 2013)। अनुवाद : कविताएँ अंग्रेज़ी व कुछ भारतीय भाषाओं में अनूदित। लोर्का, नाजिम हिकमत और कुछ दक्षिण अफ्रीकी कवियों की कविताओं का अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद।"
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