Jin Khoja Tin Paiyan

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
अयोध्या प्रसाद गोयलिय
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
अयोध्या प्रसाद गोयलिय
Language:
Hindi
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Hardback

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SKU 8126312491 Category
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200

जिन खोजा तिन पाइयाँ –
प्रतिष्ठित लेखक अयोध्याप्रसाद गोयलीय के इस अप्रतिम कथा-संग्रह ‘जिन खोजा तिन पाइयाँ’ को यदि हिन्दी का हितोपदेश कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वही अनुभव, वही ज्ञान, वही विवेक है इसमें।
अनुभवी लेखक गोयलीय जी ने जीवन और जगत में जो देखा, सुना, पढ़ा और समझा, प्रस्तुत कृति में सरल सुबोध शैली में सँजोकर रख दिया है। इसमें जीवन-निर्माण एवं उत्साह, प्रेरणा तथा शक्ति प्रदान करनेवाली 102 लघु-कथाएँ हैं। इनका स्वरूप लघु है पर ज्ञान-गुम्फन की दृष्टि से सागर जैसी प्रौढ़ता, विशालता तथा विस्तार है। इनमें बहुत-सी कहानियाँ मनुष्य के अन्तर की उस उँचाई को पाठक के सामने पेश करती हैं जो उसे सचमुच मनुष्य बनाती हैं।
हिन्दी के सहृदय पाठक को समर्पित है भारतीय ज्ञानपीठ की एक सुन्दर कृति, नयी साज-सज्जा के साथ।

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Description

जिन खोजा तिन पाइयाँ –
प्रतिष्ठित लेखक अयोध्याप्रसाद गोयलीय के इस अप्रतिम कथा-संग्रह ‘जिन खोजा तिन पाइयाँ’ को यदि हिन्दी का हितोपदेश कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वही अनुभव, वही ज्ञान, वही विवेक है इसमें।
अनुभवी लेखक गोयलीय जी ने जीवन और जगत में जो देखा, सुना, पढ़ा और समझा, प्रस्तुत कृति में सरल सुबोध शैली में सँजोकर रख दिया है। इसमें जीवन-निर्माण एवं उत्साह, प्रेरणा तथा शक्ति प्रदान करनेवाली 102 लघु-कथाएँ हैं। इनका स्वरूप लघु है पर ज्ञान-गुम्फन की दृष्टि से सागर जैसी प्रौढ़ता, विशालता तथा विस्तार है। इनमें बहुत-सी कहानियाँ मनुष्य के अन्तर की उस उँचाई को पाठक के सामने पेश करती हैं जो उसे सचमुच मनुष्य बनाती हैं।
हिन्दी के सहृदय पाठक को समर्पित है भारतीय ज्ञानपीठ की एक सुन्दर कृति, नयी साज-सज्जा के साथ।

About Author

अयोध्याप्रसाद गोयलीय - उर्दू साहित्य के गम्भीर अध्येता और विद्वान। जन्म 1902 में बादशाहपुर, गुड़गाँव, हरियाणा में। उच्च शिक्षा के दौरान न्याय, व्याकरण और काव्य का अध्ययन। 1920 से 1940 तक दिल्ली में निवास और उसी अवधि में उर्दू साहित्य और इतिहास का गम्भीर अध्ययन। 1975 में सहारनपुर (उ.प्र.) में देहावसान। प्रमुख कृतियाँ हैं—'शेर-ओ-सुख़न' (5 भाग), 'शाइरी के नये दौर'(5 भाग), 'शाइरी के नये मोड़' (5 भाग), 'शेर ओ-शायरी', 'नग़्मए-हरम', 'गहरे पानी पैठ', 'जिन खोजा तिन पाइयाँ' आदि।

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