Histiriya (PB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
SAVITA PATHAK
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Lokbharti
Author:
SAVITA PATHAK
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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सविता पाठक के इस पहले कहानी संग्रह ‘हिस्टीरिया’ की सबसे अहम खासियत यह है कि इसमें स्त्रियों के विषय में फैलाए गए भ्रमों और मिथकों पर प्रहार किया गया है। लेखिका ने बहुत सोच-समझ कर थीम उठाई है। चाहे वह शीर्षक कथा ‘हिस्टीरिया’ हो अथवा ‘अरजा तुम्हारी कौन है’, ‘गूलर का फूल’ या ‘अकेले ही’। सविता की एक और खासियत यह है कि उनके रचना-संसार में गाँव और शहर दोनों के चलचित्र हैं। खेत-खलिहान, तरु-पादप की छटाओं से लेकर अकेली लड़कियों के खजुराहो भ्रमण तक सब कुछ यहाँ अपने गतिशील स्वरूप में साँस लेता है।
ये कहानियाँ अपने लिए जरूरी रसायन स्मृतियों से जुटाती हैं। ये पाठकों की स्मृतियों का हिस्सा बनकर उन्हें दोबारा उस दुनिया में ले जाती हैं जिस पर तब उनका ध्यान जाना शायद इस तरह से सम्भव न हो सका हो। यहाँ पर स्त्रियों के दुख इतने सघन और दृश्यवान हैं कि इनके चरित्र अपनी कहानी खुद कहने लगते हैं।
अतिलेखन और अतिकथन के इस वाचाल समय में सविता पाठक की इन कहानियों का समुचित स्वागत होगा, शुभकामनाएँ।
—ममता कालिया

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Description

सविता पाठक के इस पहले कहानी संग्रह ‘हिस्टीरिया’ की सबसे अहम खासियत यह है कि इसमें स्त्रियों के विषय में फैलाए गए भ्रमों और मिथकों पर प्रहार किया गया है। लेखिका ने बहुत सोच-समझ कर थीम उठाई है। चाहे वह शीर्षक कथा ‘हिस्टीरिया’ हो अथवा ‘अरजा तुम्हारी कौन है’, ‘गूलर का फूल’ या ‘अकेले ही’। सविता की एक और खासियत यह है कि उनके रचना-संसार में गाँव और शहर दोनों के चलचित्र हैं। खेत-खलिहान, तरु-पादप की छटाओं से लेकर अकेली लड़कियों के खजुराहो भ्रमण तक सब कुछ यहाँ अपने गतिशील स्वरूप में साँस लेता है।
ये कहानियाँ अपने लिए जरूरी रसायन स्मृतियों से जुटाती हैं। ये पाठकों की स्मृतियों का हिस्सा बनकर उन्हें दोबारा उस दुनिया में ले जाती हैं जिस पर तब उनका ध्यान जाना शायद इस तरह से सम्भव न हो सका हो। यहाँ पर स्त्रियों के दुख इतने सघन और दृश्यवान हैं कि इनके चरित्र अपनी कहानी खुद कहने लगते हैं।
अतिलेखन और अतिकथन के इस वाचाल समय में सविता पाठक की इन कहानियों का समुचित स्वागत होगा, शुभकामनाएँ।
—ममता कालिया

About Author

सविता पाठक

2 अगस्त, 1976 को जौनपुर, उत्तर प्रदेश के एक गाँव अगरौरा में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा जौनपुर में ही। आगे की पढ़ाई इलाहाबाद, कानपुर, सहारनपुर और देहरादून शहरों में।  वी.एस. नायपाल के साहित्य पर 'A Search of His Roots and Identity: A Study of V.S. Naipaul's Characters' शीर्षक से पी-एच.डी.

कहानी-लेखन की शुरुआत वर्ष 2013 से हुई। पहली कहानी 'नीम के आँसू' नया ज्ञानोदय के युवा पीढ़ी विशेषांक में प्रकाशित। इसके बाद विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, कविताएँ, आलेख और अनुवाद प्रकाशित। लम्बी कविताओं के अनुवाद में विशेष रुचि। क्रिस्टीना रोसेटी की लम्बी कविता 'गॉब्लिन मार्केट' के हिन्दी अनुवाद 'मायाबाजार' पर 'मायाबाजार' नाम से ही नाट्य-प्रस्तुति। अनुवाद के लिए 'पाखी' पत्रिका का अनुवाद सम्मान। 

स्वभाव से घुमक्कड़ सविता मैत्रेयी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की अध्यापक हैं। 

ई-मेल : drsavita.iitm@gmail.com

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