SaleHardback
Harivansh Rai Bachchan Ki Sampuran Aatmkatha (Set Of 4)
Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Harivansh Rai Bachchan
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹2,005 ₹1,604
Save: 20%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
Page Extent:
1292
प्रख्यात लोकप्रिय कवि हरिवंशराय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है। यह चार खण्डों में है: “क्या भूलूँ क्या याद करूँ”, “नीड़ का निर्माण फिर”, “बसेरे से दूर” और “‘दशद्वार’ से ‘सोपान’ तक”। यह एक सशक्त महागाथा है, जो उनके जीवन और कविता की अन्तर्धारा का वृत्तान्त ही नहीं कहती बल्कि छायावादी युग के बाद के साहित्यिक परिदृश्य का विवेचन भी प्रस्तुत करती है। निस्सन्देह, यह आत्मकथा हिन्दी साहित्य के सफ़र का मील-पत्थर है। बच्चनजी को इसके लिए भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार -‘सरस्वती सम्मान’ से सम्मानित भी किया जा चुका है।
Description
प्रख्यात लोकप्रिय कवि हरिवंशराय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है। यह चार खण्डों में है: “क्या भूलूँ क्या याद करूँ”, “नीड़ का निर्माण फिर”, “बसेरे से दूर” और “‘दशद्वार’ से ‘सोपान’ तक”। यह एक सशक्त महागाथा है, जो उनके जीवन और कविता की अन्तर्धारा का वृत्तान्त ही नहीं कहती बल्कि छायावादी युग के बाद के साहित्यिक परिदृश्य का विवेचन भी प्रस्तुत करती है। निस्सन्देह, यह आत्मकथा हिन्दी साहित्य के सफ़र का मील-पत्थर है। बच्चनजी को इसके लिए भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार -‘सरस्वती सम्मान’ से सम्मानित भी किया जा चुका है।
About Author
‘सतरंगिनी’ में एक गीत है और उनचास कविताएं। इन्हें बच्चनजी ने सात रंगों के शीर्षकों में विभाजित किया है। प्रत्येक रंग की कविताएं अपनी विशिष्टता लिये हुए हैं और इनमें से कई कविताएं आज लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच चुकी हैं। बच्चनजी ने ‘सतरंगिनी’ की भूमिका में अपने पाठकों से अनुरोध किया है कि वे उनकी मनोभूमि को अच्छी तरह समझने और इन कविताओं का पूरा आनंद लेने के लिए ‘सतरंगिनी’ से पहले प्रकाशित उनकी रचनाओं, ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल अन्तर’, ‘मधुबाला’, ‘मधुशाला’ और ‘मधुकलश’ को भी अवश्य पढें।