Hamare Shri Guruji

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sandeep Dev
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

188375

Ships within:
1-4 Days
Book Type

,

ISBN:
Page Extent:
312

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन् 1925 में डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी, लेकिन इसे वैचारिक आधार द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘श्रीगुरुजी’ ने प्रदान किया था। संघ निर्माण के मात्र पंद्रह साल बाद ही डॉ. हेडगेवार गुजर गए, लेकिन अवसान से पहले उन्होंने श्रीगुरुजी को संघ का द्वितीय सरसंघचालक नियुक्त कर दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध, भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज और नेताजी का देश की आजादी में योगदान, भारत विभाजन, देश की आजादी, कश्मीर विलय, गांधी हत्या, देश का पहला आम चुनाव, चीन से भारत की हार, पाकिस्तान के साथ 1965 व 1971 की लड़ाई—भारत का इतिहास बदलने और बनाने वाली इन घटनाओं के महत्त्वपूर्ण काल में न केवल श्रीगुरुजी संघ के प्रमुख थे, बल्कि अपनी सक्रियता और विचारधारा से उन्होंने इन सबको प्रभावित भी किया था। तत्कालीन भारतवर्ष के इतिहास में समादृत एक आध्यात्मिक पुरुष ही नहीं, सामाजिक, सांस्कृतिक, जीवन-मूल्यों के प्रसारक के रूप में ख्यात ‘श्रीगुरुजी’ की प्रामाणिक जीवन-गाथा।.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन् 1925 में डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी, लेकिन इसे वैचारिक आधार द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘श्रीगुरुजी’ ने प्रदान किया था। संघ निर्माण के मात्र पंद्रह साल बाद ही डॉ. हेडगेवार गुजर गए, लेकिन अवसान से पहले उन्होंने श्रीगुरुजी को संघ का द्वितीय सरसंघचालक नियुक्त कर दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध, भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज और नेताजी का देश की आजादी में योगदान, भारत विभाजन, देश की आजादी, कश्मीर विलय, गांधी हत्या, देश का पहला आम चुनाव, चीन से भारत की हार, पाकिस्तान के साथ 1965 व 1971 की लड़ाई—भारत का इतिहास बदलने और बनाने वाली इन घटनाओं के महत्त्वपूर्ण काल में न केवल श्रीगुरुजी संघ के प्रमुख थे, बल्कि अपनी सक्रियता और विचारधारा से उन्होंने इन सबको प्रभावित भी किया था। तत्कालीन भारतवर्ष के इतिहास में समादृत एक आध्यात्मिक पुरुष ही नहीं, सामाजिक, सांस्कृतिक, जीवन-मूल्यों के प्रसारक के रूप में ख्यात ‘श्रीगुरुजी’ की प्रामाणिक जीवन-गाथा।.

About Author

संदीप देव मूलतः समाजशास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र ऑनर्स) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया। मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में उनकी रुचि रही है। ‘वीर अर्जुन’, ‘दैनिक जागरण’, ‘नई दुनिया’, ‘नेशनल दुनिया’ जैसे राष्ट्रीय अखबारों में 15 वर्ष तक पत्रकारिता करते हुए उन्होंने लंबे समय तक पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग की बीट पर भी काम किया। ‘कहानी कम्युनिस्टों की’ पुस्तक के जरिए भारत में वामपंथी विचारधारा के कुत्सित प्रयासों को तथ्यपरक तरीके से प्रस्तुत कर चुके हैं। यह उनकी छठी पुस्तक है। हाल के वर्षों में संदीप हिंदी के पहले ऐसे लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री की दृष्टि से एक लाख का आँकड़ा पार किया है।.
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