GorakHardbackani Moolpath Evam Vyakhya (English and Hindi)

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
उदय प्रताप सिंह
| Language:
English | Hindi
| Format:
Paperback
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Vani Prakashan
Author:
उदय प्रताप सिंह
Language:
English | Hindi
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Paperback

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गोरखबानी मूलपाठ एवं व्याख्या (अंग्रेज़ी व हिन्दी) – आज के कथा-कहानी व निखालिस आलोचना के युग में एक हज़ार वर्ष पूर्व की ‘गोरखबानी’ (हिन्दी) को पुस्तक रूप में प्रस्तुत करना अनोखा कार्य जैसा लगता है।

प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी के पहले कवि गोरखनाथ की बानियों को सरलता से बोधगम्य कराने का अकादमिक प्रयास है। प्रायः समझा जाता रहा है कि योग की तरह योग से सम्बन्धित साहित्य भी जटिल होगा। इस रूढ़िबद्ध धारणा को निर्मूल करने का सराहनीय प्रयास पुस्तक में दिखता है। लेखक ने सरल भाषा में पारिभाषिक शब्दों को इतनी सहजता से प्रस्तुत किया है कि ‘योगबन्ध’ सहजतः टूटते गये और अर्थ खुलते गये। पुस्तक निर्माण में वर्षों का समय लगा होगा। निस्सन्देह रूप से पुस्तक अकादमिक ऊँचाई को स्पर्श करती है।

वर्तमान समय में जीवन की सफलता व निरोग काया के लिए गोरखबानी की समझ महत्त्वपूर्ण बन जाती है। उच्च अध्ययन में गोरखबानी आज लोकप्रिय होती जा रही है। उस लोकप्रियता को बढ़ाने में पुस्तक सहायक होगी-ऐसा विश्वास है।

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गोरखबानी मूलपाठ एवं व्याख्या (अंग्रेज़ी व हिन्दी) – आज के कथा-कहानी व निखालिस आलोचना के युग में एक हज़ार वर्ष पूर्व की ‘गोरखबानी’ (हिन्दी) को पुस्तक रूप में प्रस्तुत करना अनोखा कार्य जैसा लगता है।

प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी के पहले कवि गोरखनाथ की बानियों को सरलता से बोधगम्य कराने का अकादमिक प्रयास है। प्रायः समझा जाता रहा है कि योग की तरह योग से सम्बन्धित साहित्य भी जटिल होगा। इस रूढ़िबद्ध धारणा को निर्मूल करने का सराहनीय प्रयास पुस्तक में दिखता है। लेखक ने सरल भाषा में पारिभाषिक शब्दों को इतनी सहजता से प्रस्तुत किया है कि ‘योगबन्ध’ सहजतः टूटते गये और अर्थ खुलते गये। पुस्तक निर्माण में वर्षों का समय लगा होगा। निस्सन्देह रूप से पुस्तक अकादमिक ऊँचाई को स्पर्श करती है।

वर्तमान समय में जीवन की सफलता व निरोग काया के लिए गोरखबानी की समझ महत्त्वपूर्ण बन जाती है। उच्च अध्ययन में गोरखबानी आज लोकप्रिय होती जा रही है। उस लोकप्रियता को बढ़ाने में पुस्तक सहायक होगी-ऐसा विश्वास है।

About Author

उदय प्रताप सिंह - पुस्तकें : आपा साहब और उनकी कृतियाँ, निर्गुण भक्ति और आपापन्थ, अनुचिन्तन एवं अनुसन्धान, पूरब रंग की साधु कविता, मार्क्सवादी हिन्दी समीक्षा का अन्तर्द्वन्द्व, आलोचना की अपनी परम्परा, सन्तों के सन्त कवि रामानन्द, भारत की सामाजिक व्यवस्था में सन्त कवियों का योग, स्वामी रामानन्द (साहित्य अकादेमी, दिल्ली), अलह राम छूट्या भ्रम मोरा, मैं कहता आँखिन की देखी, आलोचना की अपनी परम्परा (भाग-2), सन्तों के संवाद-रा.पु. न्यास, दिल्ली, हिन्दी के हस्ताक्षर । सम्पादित पुस्तकें : रामभक्ति साहित्य : अन्वेषक और राही, रामानन्द रामरस माते, भारतेन्दु फिर, तीर्थराज प्रयाग और कुम्भ महापर्व, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य (रामावत) : विविध आयाम, हरिद्वार समग्र, तीर्थराज प्रयाग और राम भक्ति का अमृत कलश, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य : सप्त शताब्दी महोत्सव खण्ड, अभिनव रामानन्द : स्वामी रामनरेशाचार्य, नाथपन्थ और गोरखबानी । समीक्षक, निबन्धकार, संस्कृतकर्मी एवं भक्तिसाहित्य के विद्वान के रूप में उदय प्रताप सिंह की एक अलग पहचान है। गोरखनाथ, स्वामी रामानन्द और उनके बारह शिष्यों-कबीर, रैदास, धन्ना, पीपा, सेन इत्यादि के साहित्य में सामाजिक समरसता पर आपकी मान्यताएँ नवीन सन्दभों का उद्घाटन करती हैं। पुरस्कार व सम्मान : अ.भा.सा. परिषद् द्वारा सम्मानित, अ.भा. विद्वत् परिषद् द्वारा 'यास्क पुरस्कार', साहित्य मण्डल श्रीनाथ द्वारा 'भाषा भूषण' सम्मान, 'जगद्गुरु रामानन्दाचार्य पुरस्कार' (एक लाख रुपये) वाराणसी, 'गुलाब राय सर्जना' पुरस्कार (उत्तर प्रदेश सरकार), 'माखनलाल चतुर्वेदी' अ.भा. निबन्ध पुरस्कार (मध्य प्रदेश सरकार), 'नज़ीर अकबराबादी' पुरस्कार (उत्तर प्रदेश सरकार), 'श्रीशुकदेव शास्त्री अखिल भारतीय हिन्दी निबन्ध' पुरस्कार, राजस्थान, जयपुर, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी पुरस्कार 2018 ई.। सम्पर्क : बी.एफ.एस.-13, हरनारायण विहार, सारनाथ, वाराणसी (उ.प्र.) -221007 मो. : 9415787367, 6387657117

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