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Ghachar Ghochar

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
विवेक शानभाग, अनुवाद अजय कुमार सिंह
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
विवेक शानभाग, अनुवाद अजय कुमार सिंह
Language:
Hindi
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Paperback

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SKU 9789387889873 Category
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104

‘घाचर-घोचर’ कन्नड़ भाषा से हिन्दी में अनुवादित एक विशिष्ट उपन्यास है। इस उपन्यास के बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स बुक रिव्यू ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि ‘नैतिक पतन की भयावह कहानी का प्लॉट लिए हुए ‘घाचर-घोचर’ इस दशक के बेहतरीन भारतीय उपन्यास के रूप में घोषित किया गया है… इस उपन्यास के प्रशंसकों, सुकेतु मेहता और कैथरीन बू ने शानभाग की तुलना चेखव से की है।’ निश्चित रूप से ‘घाचर-घोचर’ उपन्यास और इसके लेखक के लिए यह बड़े ही गर्व का विषय है कि इस उपन्यास को इस क़दर ख्याति मिल रही है। आयरिश टाइम्स के आइलिन बैटरस्बी का इस उपन्यास के विषय में कहना है कि यह कार्य विवेक शानभाग के बेहतर साहित्यिक कार्यों में से एक है। इसी कड़ी में ‘न्यू यॉर्कर’ की टिप्पणी ‘इस त्रासदीय उपन्यास की क्लासिक कहानी, पूँजीवाद और भारतीय समाज, दोनों के लिए एक दृष्टान्त है।’ इस उपन्यास के बारे में ‘द पेरिस रिव्यू’ ने लिखा ‘घाचर-घोचर’ हमें एक विषय-विशेष के साथ पेश करता है।’ इसी प्रकार गिरीश कर्नाड, द इण्डियन एक्सप्रेस के विचार भी महत्त्वपूर्ण हैं। वह लिखते हैं- ‘श्रीनाथ पेरूर का अनुवाद उपन्यास की बारीकियों को पकड़ते हुए शानभाग के लेखन को और भी समृद्ध करता है। मूल कन्नड़ को पढ़ने और प्रशंसा करने के बाद मुझे आश्चर्य हुआ कि यह एक अनुवाद था।’ इस उपन्यास को लेकर अनेक विद्वानों व पत्र-पत्रिकाओं के रिव्यूज़ देखने को मिलते हैं जो इस उपन्यास की सफलता को बयाँ करते हैं। ऐसा ही एक रिव्यू प्रज्वल पराजुल्य, द हिन्दुस्तान टाइम्स का है जो अवश्य देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार ‘बहुत ही कम पुस्तकें ऐसी होती हैं जो पाठकों और अपाठकों के हाथों में एक साथ होती हैं। ‘घाचर-घोचर’ एक ऐसी ही पुस्तक है।’

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Description

‘घाचर-घोचर’ कन्नड़ भाषा से हिन्दी में अनुवादित एक विशिष्ट उपन्यास है। इस उपन्यास के बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स बुक रिव्यू ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि ‘नैतिक पतन की भयावह कहानी का प्लॉट लिए हुए ‘घाचर-घोचर’ इस दशक के बेहतरीन भारतीय उपन्यास के रूप में घोषित किया गया है… इस उपन्यास के प्रशंसकों, सुकेतु मेहता और कैथरीन बू ने शानभाग की तुलना चेखव से की है।’ निश्चित रूप से ‘घाचर-घोचर’ उपन्यास और इसके लेखक के लिए यह बड़े ही गर्व का विषय है कि इस उपन्यास को इस क़दर ख्याति मिल रही है। आयरिश टाइम्स के आइलिन बैटरस्बी का इस उपन्यास के विषय में कहना है कि यह कार्य विवेक शानभाग के बेहतर साहित्यिक कार्यों में से एक है। इसी कड़ी में ‘न्यू यॉर्कर’ की टिप्पणी ‘इस त्रासदीय उपन्यास की क्लासिक कहानी, पूँजीवाद और भारतीय समाज, दोनों के लिए एक दृष्टान्त है।’ इस उपन्यास के बारे में ‘द पेरिस रिव्यू’ ने लिखा ‘घाचर-घोचर’ हमें एक विषय-विशेष के साथ पेश करता है।’ इसी प्रकार गिरीश कर्नाड, द इण्डियन एक्सप्रेस के विचार भी महत्त्वपूर्ण हैं। वह लिखते हैं- ‘श्रीनाथ पेरूर का अनुवाद उपन्यास की बारीकियों को पकड़ते हुए शानभाग के लेखन को और भी समृद्ध करता है। मूल कन्नड़ को पढ़ने और प्रशंसा करने के बाद मुझे आश्चर्य हुआ कि यह एक अनुवाद था।’ इस उपन्यास को लेकर अनेक विद्वानों व पत्र-पत्रिकाओं के रिव्यूज़ देखने को मिलते हैं जो इस उपन्यास की सफलता को बयाँ करते हैं। ऐसा ही एक रिव्यू प्रज्वल पराजुल्य, द हिन्दुस्तान टाइम्स का है जो अवश्य देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार ‘बहुत ही कम पुस्तकें ऐसी होती हैं जो पाठकों और अपाठकों के हाथों में एक साथ होती हैं। ‘घाचर-घोचर’ एक ऐसी ही पुस्तक है।’

About Author

कन्नड़ लेखक विवेक शानभाग के पाँच लघु कथा संग्रह, तीन उपन्यास और दो नाटक प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने दो कहानी संकलनों का सम्पादन भी किया है, जिनमें से एक अंग्रेज़ी में है। उनकी कई छोटी कहानियों का नाट्य रूपान्तरण भी हुआ है और एक पर लघु फ़िल्म भी बनी है। विवेक शानभाग साहित्यिक पत्रिका ‘देश काल’ के संस्थापक सम्पादक, शुरुआती दौर में प्रमुख कन्नड़ अख़बार ‘प्रजावाणी’ के साहित्यिक सम्पादक और अंग्रेज़ी में अनूदित यू.आर. अनन्तमूर्ति की कन्नड़ पुस्तक ‘हिन्दुत्व या हिन्द स्वराज’ के सह-अनुवादक भी रहे हैं। विवेक शानभाग की कहानियाँ अंग्रेज़ी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनूदित हो चुकी हैं। उनके उपन्यास ‘घाचर-घोचर’ का अंग्रेज़ी अनुवाद भारत, अमेरिका, यूके में प्रकाशित हो चुका है और साथ ही दुनिया भर की 18 अन्य भाषाओं में भी अनूदित है। ‘घाचर-घोचर’ न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ-साथ द गार्डियन द्वारा चयनित 2017 की सर्वश्रेष्ठ दस पुस्तकों में से एक है। ‘मास्ति पुरस्कार’ से पुरस्कृत 2014 में प्रकाशित सबसे अच्छी कन्नड़ कथा पुस्तक ‘घाचर-घोचर’ के लेखक विवेक शानभाग 2016 में अन्तरराष्ट्रीय लेखन कार्यक्रम के तहत आयोवा विश्वविद्यालय में मानद फेलो रह चुके हैं। विवेक शानभाग पेशे से इंजीनियर हैं और बेंगलुरु में रहते हैं।

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