Gautam Buddh Aur Unke Updesh (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Anand Shrikrishna
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Rajkamal
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Anand Shrikrishna
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Hindi
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Paperback

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इस पुस्तक में न सिर्फ़ भगवान बुद्ध के जीवन की झलकियाँ, उनके विचार व जीवमात्र के प्रति उनकी करुणा का वर्णन है, बल्कि लेखक ने भगवान बुद्ध के बारे में गहन अध्ययन के पश्चात् अपने मौलिक विचारों और कई तथ्यों से भी पाठकों को अवगत कराया है।
पुस्तक में इन तथ्यों के कई प्रमाण हैं कि दुःख, हिंसा और ग़रीबी से तड़पते लोगों की समस्याओं के हल के लिए भगवान बुद्ध ने आख़‍िर त्याग पर बल क्यों दिया। उनका मानना था कि एक प्रसन्न व्यक्ति ही इस जगत को सुखमय बना सकता है। बुद्ध युद्ध के विरोधी थे और उनका मानना था कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
पुस्तक में अंगुलिमाल का एक लुटेरे से सन्‍त बन जाना, सम्राट बिम्बिसार, सम्राट प्रसेनजित सहित अनेकों राजपुरुषों की धम्म दीक्षा और चिंचाया द्वारा बुद्ध के ख़‍िलाफ़ किए गए षड्यंत्र पर भी प्रकाश डाला गया है।
वर्तमान युग में बुद्ध के उपदेशों की प्रासंगिकता की विस्तृत विवेचना की गई है। बुद्ध के जीवन, उनके अनुयायियों, उनके विरोधियों, उनकी शिक्षा, उनके उपदेश देने का ढंग, प्रतीत्यसमुत्पाद, विपस्सना, विपस्सना केन्द्रों की जानकारी, बौद्ध साहित्य और बुद्ध से सम्बन्धित तीर्थस्थलों की विस्तृत जानकारी सात अध्यायों में दी गई है। धम्म के अनुयायियों के लिए यह पुस्तक पथ-प्रदर्शक का काम करेगी।

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Description

इस पुस्तक में न सिर्फ़ भगवान बुद्ध के जीवन की झलकियाँ, उनके विचार व जीवमात्र के प्रति उनकी करुणा का वर्णन है, बल्कि लेखक ने भगवान बुद्ध के बारे में गहन अध्ययन के पश्चात् अपने मौलिक विचारों और कई तथ्यों से भी पाठकों को अवगत कराया है।
पुस्तक में इन तथ्यों के कई प्रमाण हैं कि दुःख, हिंसा और ग़रीबी से तड़पते लोगों की समस्याओं के हल के लिए भगवान बुद्ध ने आख़‍िर त्याग पर बल क्यों दिया। उनका मानना था कि एक प्रसन्न व्यक्ति ही इस जगत को सुखमय बना सकता है। बुद्ध युद्ध के विरोधी थे और उनका मानना था कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
पुस्तक में अंगुलिमाल का एक लुटेरे से सन्‍त बन जाना, सम्राट बिम्बिसार, सम्राट प्रसेनजित सहित अनेकों राजपुरुषों की धम्म दीक्षा और चिंचाया द्वारा बुद्ध के ख़‍िलाफ़ किए गए षड्यंत्र पर भी प्रकाश डाला गया है।
वर्तमान युग में बुद्ध के उपदेशों की प्रासंगिकता की विस्तृत विवेचना की गई है। बुद्ध के जीवन, उनके अनुयायियों, उनके विरोधियों, उनकी शिक्षा, उनके उपदेश देने का ढंग, प्रतीत्यसमुत्पाद, विपस्सना, विपस्सना केन्द्रों की जानकारी, बौद्ध साहित्य और बुद्ध से सम्बन्धित तीर्थस्थलों की विस्तृत जानकारी सात अध्यायों में दी गई है। धम्म के अनुयायियों के लिए यह पुस्तक पथ-प्रदर्शक का काम करेगी।

About Author

आनन्द श्रीकृष्ण

जन्म : गाँव—बेनीपुर, ज़‍िला—सीतापुर, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा : चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर से कृषि अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर। 1986 से भारतीय राजस्व सेवा में।

कबीरपन्‍थ, आनन्‍द मार्ग, स्वामी नारायण सम्प्रदाय, रेकी और सिद्ध समाधि योग आदि का गहन अध्ययन करने के पश्चात् आपने धम्म स्वीकार किया और भगवान बुद्ध के बताए धम्म और उनकी शिक्षा का प्रसार करने हेतु अपना जीवन समर्पित किया। भगवान बुद्ध की खोजी हुई और आचार्य गोयनका द्वारा सिखाई गई विपस्सना साधना के आप नियमित साधक हैं।

जापान, म्यांमार, भूटान और थाईलैंड समेत अनेक देशों की आपने यात्रा की है। ‘धम्म-सार’ आपकी पहली पुस्तक थी जो पाठकों द्वारा भरपूर सराही गई। आपके द्वारा लिखित दूसरा ग्रन्‍थ है ‘भगवान बुद्ध : धम्म-सार व धम्म-चर्या’ जो देश-भर में विख्यात रहा। तीसरी कृति ‘द बुद्धा : दि इसेन्स ऑफ़ धम्मा एंड इट्स प्रैक्टिस’ अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुई जिसके गुजराती, मराठी, तमिल और तेलगू अनुवाद भी प्रकाशित हुए और काफ़ी चर्चित रहे।

‘गौतम बुद्ध और उनके उपदेश’ आपकी चौथी पुस्तक है।

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