Gandhi Ki Mrityu (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Nemeth Laszlo Tr. Girdhar Rathi, Margit Koves
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Nemeth Laszlo Tr. Girdhar Rathi, Margit Koves
Language:
Hindi
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“महात्मा गाँधी अपने समय में ही नहीं हमारे समय में भी एक प्रतिरोधक उपस्थिति हैं : उनका बीसवीं शताब्दी के विचार, राजनीति और सामाजिक कर्म पर गहरा प्रभाव पड़ा। इन दिनों उनका बहुत बारीक़ पर अचूक अवमूल्यन करने का एक अभियान ही चला हुआ है। इस सन्दर्भ में उनकी मृत्यु पर लिखा गया यह हंगेरियन नाटक, जो सीधे हिन्दी में अनूदित किए जाने का एक बिरला उदाहरण भी है, प्रस्तुत करते हुए हमें उम्मीद है कि गाँधी-विचार और कर्म को ताज़ा नज़र से देखने के प्रयत्न में सहायक होगा।”
—अशोक वाजपेयी

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Description

“महात्मा गाँधी अपने समय में ही नहीं हमारे समय में भी एक प्रतिरोधक उपस्थिति हैं : उनका बीसवीं शताब्दी के विचार, राजनीति और सामाजिक कर्म पर गहरा प्रभाव पड़ा। इन दिनों उनका बहुत बारीक़ पर अचूक अवमूल्यन करने का एक अभियान ही चला हुआ है। इस सन्दर्भ में उनकी मृत्यु पर लिखा गया यह हंगेरियन नाटक, जो सीधे हिन्दी में अनूदित किए जाने का एक बिरला उदाहरण भी है, प्रस्तुत करते हुए हमें उम्मीद है कि गाँधी-विचार और कर्म को ताज़ा नज़र से देखने के प्रयत्न में सहायक होगा।”
—अशोक वाजपेयी

About Author

नेमेथ लास्लो

20वीं सदी के हंगेरियन साहित्यकारों में अग्रणी नेमेथ लास्लो (1901-1975) कहानी, उपन्यास, निबन्ध, नाटक और सम्पादन आदि के अलावा अन्य अनेक क्षेत्रों में सक्रिय थे। पेशे से चिकित्सक इस विचारक ने विज्ञान, दर्शन, इतिहास, राजनीति आदि अनेक विषयों में लेखन किया है।

फासीवाद तथा स्तालिनवादी साम्यवाद के सर्वसत्तावादी शासन-तंत्र के प्रत्यक्ष और सघन अनुभव ने उन्हें महात्मा गाँधी के सत्याग्रह के प्रति विशेष रूप से आकर्षित किया। रोम्याँ रोलाँ की ही तरह वह भी मानते थे कि अहिंसक सत्याग्रह के माध्यम से तमाम तरह की दासताओं से मुक्ति तथा मानवता के उत्थान का गाँधीजी का प्रयोग पूरे इतिहास में अनोखा है। नैतिकता और राजनीति को जोड़नेवाला यह ऐसा प्रयोग है जिसकी सम्भावनाएँ समाप्त नहीं हुई हैं।

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