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Gandhi Drishti : Yuva Rachnamakta Ke Aayam

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
प्रो. मनोज कुमार, डॉ. अमित कुमार विश्वास
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
प्रो. मनोज कुमार, डॉ. अमित कुमार विश्वास
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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Availiblity

ISBN:
SKU 9789326355513 Category
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Page Extent:
366

गाँधी-दृष्टि : युवा रचनात्मकता के आयाम –

‘गाँधी-दृष्टि : युवा रचनात्मकता के आयाम’ पुस्तक में प्रकाशित आलेखों का सकारात्मक प्रभाव युवाओं और समाज पर पड़ेगा। आज युवा वर्ग को गाँधीजी के विचारों से जोड़ने की आवश्यकता है। इस पुस्तक के माध्यम से इस कार्य को और गति मिलेगी। बेहतर समाज निर्माण के लिए युवाओं को मूल्यपरक विचारों से जोड़ने की ज़रूरत है क्योंकि सजग युवा ही सबल समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं, इसके लिए आवश्यक है कि महात्मा गाँधी के जीवन मूल्य और दर्शन को दुनिया के सामने लाया जाये। जीवन की आपाधापी एवं महत्त्वाकांक्षाओं की केन्द्रीयता ने आज युवा को बहुत ही सीमित कर दिया है। आज ज़रुरत इस बात की है कि युवा पीढ़ी अपने को राष्ट्र के साथ संलग्न महसूस करे। देश की चिन्ता सिर्फ़ सरकार का काम नहीं है, इसकी चिन्ता राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को नैसर्गिक रूप से होनी चाहिए।

इस पुस्तक में रचनात्मकता को अच्छे ढंग से रूपायित किया गया है। गाँधीजी के रचनात्मक कार्यक्रम का प्रयोग और भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन दोनों एक दूसरे के पूरक रहे हैं। दरअसल गाँधी ने सम्पूर्ण स्वाधीरता आन्दोलन में जनमानस को जोड़ने के लिए रचनात्मक कार्यों को ज़रिया बनाया। गाँधी जानते थे कि रचनात्मक कार्यक्रम का आधार है नैतिकता। नैतिकता मनुष्य के आचरण को शुद्ध करता है। नैतिक आचरण करने वाला व्यक्ति या युवा ही सभ्य और सुसंस्कृत समाज का निर्माण कर सकेगा। इस रास्ते पर चलकर बना समाज सतत विकास को प्राप्त कर सकेगा।
दीपंकर श्री ज्ञान

निदेशक, गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति
संस्कृति मन्त्रालय, भारत सरकार

अन्तिम आवरण पृष्ठ –
गाँधीजी ने ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ सत्याग्रह का प्रयोग किया वहीं दूसरी ओर रचनात्मक कार्यक्रम को स्वराज्य प्राप्ति तथा समाज की समस्याओं के समाधान के साधन के रूप में इस्तेमाल किया। हर युग की समस्याएँ अलग-अलग तरह की होती हैं, उसके कारण भी अलग होते हैं, इसलिए हर युग में अपनी समस्याओं को सुलझाने के तरीक़े ढूँढ़ने पड़ते हैं। गाँधी युग में जिस तरह की समस्याएँ थीं उसका अहिंसक समाधान गाँधीजी ने ढूँढ़ा था। रचनात्मक कार्यक्रम ‘अहिंसक समाजवाद की कुंजी’, शान्त और शुभ क्रान्ति है जो गाँधीजी द्वारा स्थापित पाँच संस्थाओं–अखिल भारतीय चरखा संघ, अखिल भारतीय ग्रामोद्योग संघ, हिन्दुस्तानी तालीमी संघ और गोसेवा संघ से सम्पोषित होता है। वर्तमान दौर में उत्पन्न संकट हमें फिर से गाँधी की ओर लौटने का सन्देश दे रहा है।

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Description

गाँधी-दृष्टि : युवा रचनात्मकता के आयाम –

‘गाँधी-दृष्टि : युवा रचनात्मकता के आयाम’ पुस्तक में प्रकाशित आलेखों का सकारात्मक प्रभाव युवाओं और समाज पर पड़ेगा। आज युवा वर्ग को गाँधीजी के विचारों से जोड़ने की आवश्यकता है। इस पुस्तक के माध्यम से इस कार्य को और गति मिलेगी। बेहतर समाज निर्माण के लिए युवाओं को मूल्यपरक विचारों से जोड़ने की ज़रूरत है क्योंकि सजग युवा ही सबल समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं, इसके लिए आवश्यक है कि महात्मा गाँधी के जीवन मूल्य और दर्शन को दुनिया के सामने लाया जाये। जीवन की आपाधापी एवं महत्त्वाकांक्षाओं की केन्द्रीयता ने आज युवा को बहुत ही सीमित कर दिया है। आज ज़रुरत इस बात की है कि युवा पीढ़ी अपने को राष्ट्र के साथ संलग्न महसूस करे। देश की चिन्ता सिर्फ़ सरकार का काम नहीं है, इसकी चिन्ता राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को नैसर्गिक रूप से होनी चाहिए।

इस पुस्तक में रचनात्मकता को अच्छे ढंग से रूपायित किया गया है। गाँधीजी के रचनात्मक कार्यक्रम का प्रयोग और भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन दोनों एक दूसरे के पूरक रहे हैं। दरअसल गाँधी ने सम्पूर्ण स्वाधीरता आन्दोलन में जनमानस को जोड़ने के लिए रचनात्मक कार्यों को ज़रिया बनाया। गाँधी जानते थे कि रचनात्मक कार्यक्रम का आधार है नैतिकता। नैतिकता मनुष्य के आचरण को शुद्ध करता है। नैतिक आचरण करने वाला व्यक्ति या युवा ही सभ्य और सुसंस्कृत समाज का निर्माण कर सकेगा। इस रास्ते पर चलकर बना समाज सतत विकास को प्राप्त कर सकेगा।
दीपंकर श्री ज्ञान

निदेशक, गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति
संस्कृति मन्त्रालय, भारत सरकार

अन्तिम आवरण पृष्ठ –
गाँधीजी ने ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ सत्याग्रह का प्रयोग किया वहीं दूसरी ओर रचनात्मक कार्यक्रम को स्वराज्य प्राप्ति तथा समाज की समस्याओं के समाधान के साधन के रूप में इस्तेमाल किया। हर युग की समस्याएँ अलग-अलग तरह की होती हैं, उसके कारण भी अलग होते हैं, इसलिए हर युग में अपनी समस्याओं को सुलझाने के तरीक़े ढूँढ़ने पड़ते हैं। गाँधी युग में जिस तरह की समस्याएँ थीं उसका अहिंसक समाधान गाँधीजी ने ढूँढ़ा था। रचनात्मक कार्यक्रम ‘अहिंसक समाजवाद की कुंजी’, शान्त और शुभ क्रान्ति है जो गाँधीजी द्वारा स्थापित पाँच संस्थाओं–अखिल भारतीय चरखा संघ, अखिल भारतीय ग्रामोद्योग संघ, हिन्दुस्तानी तालीमी संघ और गोसेवा संघ से सम्पोषित होता है। वर्तमान दौर में उत्पन्न संकट हमें फिर से गाँधी की ओर लौटने का सन्देश दे रहा है।

About Author

सम्पादक - मनोज कुमार - मनोज कुमार गाँधीवादी चिन्तक। 70 के दशक के छात्र आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी करते हुए समाज कार्य के विविध पक्षों से पिछले तीन दशकों से गहरा जुड़ाव। भागपुर साम्प्रदायिक दंगे के समय ज़मीनी स्तर पर राहत एवं पुनर्वास कार्य का निष्पादन। अकादमिक एवं सामाजिक जीवन में समान रूप से हस्तक्षेप। 'लोकतन्त्र और विश्व शान्ति' तथा 'बिहार की भूमि समस्या' नामक चर्चित पुस्तक के रचयिता। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान परिषद, नयी दिल्ली द्वारा 'राष्ट्र बनाम आख्यान : 21वीं सदी में राष्ट्रवाद की चुनौतियाँ' बृहद् शोध परियोजना का संचालन। एक दर्जन से अधिक शोधार्थियों को पीएच.डी. का मार्गदर्शन। सम्प्रति : महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के संकायाध्यक्ष एवं महात्मा गाँधी फ्यूजी गुरुजी समाज कार्य अध्ययन केन्र्म में निदेशक के रूप में कार्यरत। सम्पादक - अमित कु. विश्वास - युवा सांस्कृतिक पत्रकार वर्ष 2004 से पत्रकारिता से सम्बद्ध साहित्य और नव सामाजिक विमर्श पर निरन्तर लेखन। विविध पत्र-पत्रिकाओं में लगभग दो सौं आलेख, साक्षात्कार, रिपोर्ताज़ आदि प्रकाशित। आकाशवाणी, नागपुर से तीन दर्जन से अधिक कार्यक्रमों का प्रसारण। अकादमिक कार्य से वर्ष 2009 में मॉरिशस तथा 2012 में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा। सम्प्रति : महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा में सहायक सम्पादक के रूप में कार्यरत।

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