Kantha (PB) 479

Save: 20%

Back to products
Pinokiyo (HB) 556

Save: 20%

Gandasa Guru Ki Shapath (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Kundan Yadav
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Kundan Yadav
Language:
Hindi
Format:
Paperback

200

Save: 20%

Out of stock

Ships within:
3-5 days

Out of stock

Weight 0.19 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789390971909 Category
Category:
Page Extent:

कुन्दन यादव की इन कहानियों में बनारस बोलता है। ये कहानियाँ लिखी ही इसलिए और इस तरह गई हैं कि आप इन्हें सनें। कुन्दन को बनारस की ज़िन्दगी के कुछ पहलुओं की, वहाँ के कुछ लोगों की दास्तान कहनी है। इरादा सुनाने का ही है, लिखे को खामखाह चमकाने या सजाने का नहीं।ठेठ बनारसी ठाठ के हँसमुख अन्दाज़ में कही गई ये कहानियाँ गुदगुदाती ज़रूर हैं, लेकिन केवल गुदगुदाने या मन बहलाने के लिए कही नहीं गई हैं। इन कहानियों में आप बनारस को तो ‘सुनेंगे’ ही, मानव स्वभाव और सम्बन्धों के उन पहलुओं को ‘देख’ भी सकेंगे जो रोज़मर्रा के जीवन में सामने आते हैं, लेकिन हमारी निगाह उन पर नहीं पड़ती। जिन लोगों को ये कहानियाँ आपके सामने लाती हैं, उनमें बेगुनाह लोगों की ‘प्रापर फ़िज़ियोथेरैपी’ करनेवाले पुलिसवाले भी हैं, हर हाल में जुआ खेलाने की सौगन्ध निभानेवाले गँड़ासा गुरु भी। लेकिन इस दास्तान में और लोग भी हैं—बड़ी-बड़ी बातें किए बिना ही, बच्चों को संवेदनशील संस्कार देनेवाले डॉक्टर साहब। धंधे में नुक़सान उठाकर भी पड़ोसी धर्म निभानेवाले टेलर मास्टर, सारे मोहल्ले को घर माननेवाले लोग, और ‘मज़बूती का नाम महात्मा गांधी’ पर असली ज़िन्दगी में अमल करनेवाले चौधरी साहब।ऐसे चरित्रों के ज़रिए, ये कहानियाँ साधारण व्यक्तित्वों की असाधारण क्षमता और मानवीय सम्बन्धों की मार्मिकता के साथ-साथ ताक़त के गुमान और दैनिक जीवन के पाखंडों को भी बहुत ही रोचक अन्दाज़ में  रेखांकित करती हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Gandasa Guru Ki Shapath (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

कुन्दन यादव की इन कहानियों में बनारस बोलता है। ये कहानियाँ लिखी ही इसलिए और इस तरह गई हैं कि आप इन्हें सनें। कुन्दन को बनारस की ज़िन्दगी के कुछ पहलुओं की, वहाँ के कुछ लोगों की दास्तान कहनी है। इरादा सुनाने का ही है, लिखे को खामखाह चमकाने या सजाने का नहीं।ठेठ बनारसी ठाठ के हँसमुख अन्दाज़ में कही गई ये कहानियाँ गुदगुदाती ज़रूर हैं, लेकिन केवल गुदगुदाने या मन बहलाने के लिए कही नहीं गई हैं। इन कहानियों में आप बनारस को तो ‘सुनेंगे’ ही, मानव स्वभाव और सम्बन्धों के उन पहलुओं को ‘देख’ भी सकेंगे जो रोज़मर्रा के जीवन में सामने आते हैं, लेकिन हमारी निगाह उन पर नहीं पड़ती। जिन लोगों को ये कहानियाँ आपके सामने लाती हैं, उनमें बेगुनाह लोगों की ‘प्रापर फ़िज़ियोथेरैपी’ करनेवाले पुलिसवाले भी हैं, हर हाल में जुआ खेलाने की सौगन्ध निभानेवाले गँड़ासा गुरु भी। लेकिन इस दास्तान में और लोग भी हैं—बड़ी-बड़ी बातें किए बिना ही, बच्चों को संवेदनशील संस्कार देनेवाले डॉक्टर साहब। धंधे में नुक़सान उठाकर भी पड़ोसी धर्म निभानेवाले टेलर मास्टर, सारे मोहल्ले को घर माननेवाले लोग, और ‘मज़बूती का नाम महात्मा गांधी’ पर असली ज़िन्दगी में अमल करनेवाले चौधरी साहब।ऐसे चरित्रों के ज़रिए, ये कहानियाँ साधारण व्यक्तित्वों की असाधारण क्षमता और मानवीय सम्बन्धों की मार्मिकता के साथ-साथ ताक़त के गुमान और दैनिक जीवन के पाखंडों को भी बहुत ही रोचक अन्दाज़ में  रेखांकित करती हैं।

About Author

कुन्दन यादव

कुन्दन यादव का जन्म 4 नवम्बर, 1977 को वाराणसी में हुआ।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम.ए., एम.फिल. व पीएच.डी. की उपाधि।
फुलब्राइट स्कॉलर के तौर पर इलिनॉय विश्वविद्यालय, शिकागो में हिन्दी और भारतीय संस्कृति का अध्यापन।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानी व कविताएँ प्रकाशित।
भारतीय राजस्व सेवा में 2007 बैच के अधिकारी।
सम्प्रति : कस्टम व अप्रत्यक्ष कर विभाग में एडिशनल कमिश्नर के पद पर कार्यरत।

सम्पर्क : kundanyadav@gmail.com 

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Gandasa Guru Ki Shapath (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED