Em Aur Hoom Sahab 300

Save: 25%

Back to products
Godse@Gandhi.Com 224

Save: 25%

Em Aur Hoom Sahab

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
जेरी पिंटो, अनुवाद प्रभात मिलिंद
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
जेरी पिंटो, अनुवाद प्रभात मिलिंद
Language:
Hindi
Format:
Paperback

260

Save: 20%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789355182142 Category
Category:
Page Extent:
270

एम और हूम साहब –
जेरी पिंटो मात्र तीन वर्ष की आयु से लेखन के संसार में ख़ुद को अभिव्यक्त करते आये हैं। उनके असाधारण लेखन की एक अद्भुत यात्रा रही है और इसी यात्रा में ‘एम और हूम साहब’ जेरी पिंटो का एक विलक्षण उपन्यास है। यह उपन्यास मूलतः अंग्रेज़ी भाषा में लिखा गया है। कथाकार ने अपनी कथा की बुनाई मुम्बई में एक छोटे से फ्लैट में रहने वाले कैथोलिक परिवार के रोज़मर्रा के जीवन के इर्द-गिर्द रची है। यह उपन्यास संवेदनाओं की सूक्ष्म लहरों पर जीवन के सुन्दर, मज़ाकिया और मन को सिहरा देने वाले वर्णनों की एक चित्रमयी शृंखला है।

उपन्यास के माध्यम से जेरी पिंटो ने मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक द्वन्द्व, पारिवारिक सम्बन्ध, शर्म, क्षमा, वितृष्णा, मानसिकता, अवसाद, विश्वास, धर्म और नास्तिकता जैसे जीवन के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को टटोलने का उत्तम प्रयास किया है। कथा में वर्णित घटनाएँ पूरी विनम्रता और संवेदनशीलता के साथ भावों के अतिरेक होने की स्थिति से बचते हुए पाठकों के समक्ष आती हैं। सभी कथापात्रों में केवल ‘एम’ यानी ‘इमेल्डा’ का चरित्र विरोधाभासी प्रतीत होता है और यूँ देखा जाये तो पूरी कथा ही ‘एम’ के जीवन, उसके अवसाद, आत्महत्या के प्रयासों और अन्त में उसकी मृत्यु के आस-पास ही घूमती है।

एक मानसिक रोगी के साथ रहते हुए जिस तीक्ष्णता बोध से पात्रों का जीवन त्रस्त है, उसकी ध्वनि में भी मौन सुनाई देता है। यह मौन देर तक पाठकों को अपने क़रीब रखता है। उपन्यास के साथ उसके पात्रों को देखने, समझने के बाद ऐसा लगता है कि एम, हूम साहब और उनकी दोनों सन्तानें हमारे अपने जीवन का ही हिस्सा हैं। यह शायद कथाकार की भाषा का जादू ही है कि कथा के रूप में केवल कथा ही पाठकों के समक्ष नहीं आती बल्कि इस भव्य कथा के पात्र पाठकों के जीवन का हिस्सा बन जाते हैं।

अंग्रेज़ी मूल का यह विलक्षण उपन्यास ‘द हिन्दू लिटरेरी प्राइज़’, ‘क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ और ‘विंडहैम-कैम्पबेल ‘साहित्य पुरस्कार’ से सम्मानित है।

वाणी प्रकाशन ग्रुप इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए गौरवान्वित है। प्रभात मिलिंद ने इस कृति का हिन्दी भाषा में अनुवाद किया है। बिहार में जन्मे प्रभात मिलिंद स्वतन्त्र लेखक और अनुवादक हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Em Aur Hoom Sahab”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

एम और हूम साहब –
जेरी पिंटो मात्र तीन वर्ष की आयु से लेखन के संसार में ख़ुद को अभिव्यक्त करते आये हैं। उनके असाधारण लेखन की एक अद्भुत यात्रा रही है और इसी यात्रा में ‘एम और हूम साहब’ जेरी पिंटो का एक विलक्षण उपन्यास है। यह उपन्यास मूलतः अंग्रेज़ी भाषा में लिखा गया है। कथाकार ने अपनी कथा की बुनाई मुम्बई में एक छोटे से फ्लैट में रहने वाले कैथोलिक परिवार के रोज़मर्रा के जीवन के इर्द-गिर्द रची है। यह उपन्यास संवेदनाओं की सूक्ष्म लहरों पर जीवन के सुन्दर, मज़ाकिया और मन को सिहरा देने वाले वर्णनों की एक चित्रमयी शृंखला है।

उपन्यास के माध्यम से जेरी पिंटो ने मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक द्वन्द्व, पारिवारिक सम्बन्ध, शर्म, क्षमा, वितृष्णा, मानसिकता, अवसाद, विश्वास, धर्म और नास्तिकता जैसे जीवन के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को टटोलने का उत्तम प्रयास किया है। कथा में वर्णित घटनाएँ पूरी विनम्रता और संवेदनशीलता के साथ भावों के अतिरेक होने की स्थिति से बचते हुए पाठकों के समक्ष आती हैं। सभी कथापात्रों में केवल ‘एम’ यानी ‘इमेल्डा’ का चरित्र विरोधाभासी प्रतीत होता है और यूँ देखा जाये तो पूरी कथा ही ‘एम’ के जीवन, उसके अवसाद, आत्महत्या के प्रयासों और अन्त में उसकी मृत्यु के आस-पास ही घूमती है।

एक मानसिक रोगी के साथ रहते हुए जिस तीक्ष्णता बोध से पात्रों का जीवन त्रस्त है, उसकी ध्वनि में भी मौन सुनाई देता है। यह मौन देर तक पाठकों को अपने क़रीब रखता है। उपन्यास के साथ उसके पात्रों को देखने, समझने के बाद ऐसा लगता है कि एम, हूम साहब और उनकी दोनों सन्तानें हमारे अपने जीवन का ही हिस्सा हैं। यह शायद कथाकार की भाषा का जादू ही है कि कथा के रूप में केवल कथा ही पाठकों के समक्ष नहीं आती बल्कि इस भव्य कथा के पात्र पाठकों के जीवन का हिस्सा बन जाते हैं।

अंग्रेज़ी मूल का यह विलक्षण उपन्यास ‘द हिन्दू लिटरेरी प्राइज़’, ‘क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ और ‘विंडहैम-कैम्पबेल ‘साहित्य पुरस्कार’ से सम्मानित है।

वाणी प्रकाशन ग्रुप इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए गौरवान्वित है। प्रभात मिलिंद ने इस कृति का हिन्दी भाषा में अनुवाद किया है। बिहार में जन्मे प्रभात मिलिंद स्वतन्त्र लेखक और अनुवादक हैं।

About Author

जेरी पिंटो - बाल अधिकारों के क्षेत्र में काम कर रही स्वयंसेवी संस्था 'मेलजोल' से जुड़ने से पूर्व जेरी पिंटो गणित के शिक्षक, स्कूल लाइब्रेरियन, पत्रकार, स्तम्भ लेखक और अनुवादक रहे । 'एसाइलम' नाम से उनका एक कविता संग्रह प्रकाशित है। 'हेलेन द लाइफ एंड टाइम ऑफ़ ए 'हाइड्रोजन बॉम्ब' नामक उनकी किताब को वर्ष 2007 में सिनेमा पर लिखी गयी सर्वश्रेष्ठ पुस्तक का पुरस्कार मिल चुका है। उन्होंने मराठी से अंग्रेज़ी भाषा में कई अनुवाद कार्य किये हैं। हाल ही में उन्होंने हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कहानीकार और नाटककार स्वदेश दीपक की किताब 'मैंने मांडू नहीं देखा' का अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद किया है। उन्होंने गोवा पर लिखे गये आलेखों के एक चयन- 'रिफ्लेक्टेड ऑन वाटर' का सम्पादन किया है और नरेश फर्नांडिस के साथ " मिलकर अपने गृह नगर पर केन्द्रित ऐसी ही एक पुस्तक 'बॉम्बे मेरी जान' का सह-सम्पादन किया है। वर्तमान में जेरी पिंटो मुम्बई में रहते हैं

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Em Aur Hoom Sahab”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED