एक शॉट बाकी है | EK SHOT BAKI HAI

Publisher:
Setu Prakashan
| Author:
APOORVA
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Setu Prakashan
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APOORVA
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Hindi
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कायदे से अपूर्व पहले पत्रकार हैं फिर कथाकार। और जब एक ठेठ पत्रकार कहानी लिखने का उद्यम करता है तब वह सच के धागे का एक सिरा कसकर थामे रखता है। कई बार उनका सच इतना मारक होता है कि पाठक एकबारगी ठिठक कर रह जाय। अपने पत्रकारीय गुण के कारण अपूर्व को भी कल्पना की जरूरत सिर्फ चरित्रों के नाम परिवर्तन तक पड़ी है। अपूर्व यह परिवर्तन करते हैं तब भी उन्हें वाले आसानी से भाँप लेते हैं कि फलां-फलां चरित्र आज किधर हैं। संग्रह की कुछ कहानियाँ पढ़कर कई बार ऐसा प्रतीत होता है मानो कहानीकार ने कहानी लिखने का हुनर राजेन्द्र यादव से सीखा हो। सम्भवतः इस वजह से इनकी कहानियों में राजेन्द्रीय गुण धूमधाम से विद्यमान है। अपूर्व जिस विषय और परिवेश को आधार बनाकर कहानियाँ बुनते हैं, बुनियादी तौर वह सम्भ्रान्त दुनिया की कहानी है; अनदेखी, अनजानी और रहस्यमय दुनिया की कहानी। इन कहानियों में एक खास तरह का कौतूहल और चौंकाने वाले बयान भी हैं। अपूर्व की कहानियों में गजब का कथारस है। उनके नैरेशन के अद्भुत प्रवाह का कायल कोई भी हो सकता है। कहानियों के अनेकानेक प्रसंग सिनेमैटिक हैं, जिस कारण रह-रहकर आँखों के आगे दृश्य सा उभरता है। संग्रह की प्रायः सभी कहानियाँ पाठकों को बाँधे रखने में सक्षम हैं।

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Description

कायदे से अपूर्व पहले पत्रकार हैं फिर कथाकार। और जब एक ठेठ पत्रकार कहानी लिखने का उद्यम करता है तब वह सच के धागे का एक सिरा कसकर थामे रखता है। कई बार उनका सच इतना मारक होता है कि पाठक एकबारगी ठिठक कर रह जाय। अपने पत्रकारीय गुण के कारण अपूर्व को भी कल्पना की जरूरत सिर्फ चरित्रों के नाम परिवर्तन तक पड़ी है। अपूर्व यह परिवर्तन करते हैं तब भी उन्हें वाले आसानी से भाँप लेते हैं कि फलां-फलां चरित्र आज किधर हैं। संग्रह की कुछ कहानियाँ पढ़कर कई बार ऐसा प्रतीत होता है मानो कहानीकार ने कहानी लिखने का हुनर राजेन्द्र यादव से सीखा हो। सम्भवतः इस वजह से इनकी कहानियों में राजेन्द्रीय गुण धूमधाम से विद्यमान है। अपूर्व जिस विषय और परिवेश को आधार बनाकर कहानियाँ बुनते हैं, बुनियादी तौर वह सम्भ्रान्त दुनिया की कहानी है; अनदेखी, अनजानी और रहस्यमय दुनिया की कहानी। इन कहानियों में एक खास तरह का कौतूहल और चौंकाने वाले बयान भी हैं। अपूर्व की कहानियों में गजब का कथारस है। उनके नैरेशन के अद्भुत प्रवाह का कायल कोई भी हो सकता है। कहानियों के अनेकानेक प्रसंग सिनेमैटिक हैं, जिस कारण रह-रहकर आँखों के आगे दृश्य सा उभरता है। संग्रह की प्रायः सभी कहानियाँ पाठकों को बाँधे रखने में सक्षम हैं।

About Author

अपूर्व का जन्म 24 नवम्बर, 1969 को उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखण्ड) के अल्मोड़ा जनपद के शहर रानीखेत में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय रानीखेत से लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज, लखनऊ से विज्ञान में स्नातक की डिग्री । तत्पश्चात पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन सिस्टम मैनेजमेण्ट में प्रवेश लेकिन अन्तिम वर्ष में छोड़ दिया। वर्ष 2001 से हिन्दी साप्ताहिक दि सण्डे पोस्ट का सम्पादन 2005 में दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य कांगो के मानद दूतावास का कार्यभार सँभाला। 2008 में हिन्दी साहित्य की पत्रिका पाखी की शुरुआत। प्रथम दो वर्ष तक पत्रिका का सम्पादन पुनः 2019 से पाखी के सम्पादन में जुटे । विकल्पहीनता का दंश (2018), यहाँ पानी ठहर गया है (2020), लोकतन्त्र, राजनीति और मीडिया (2020), उत्तराखण्ड : हाल बेहाल (2021), राष्ट्र धर्म और राजनीति (2021), एक कहानी-संग्रह यस सर भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित। पाखी के प्रकाशन के साथ ही हिन्दी कहानी लेखन में सक्रिय। हंस, वागर्थ, पुनर्नवा, निकट, पाखी आदि में कहानी प्रकाशन। दैनिक जनसत्ता और दैनिक नवभारत टाइम्स में लेखों का प्रकाशन । इन्दिरा गांधी नेशनल सेण्टर फॉर आर्ट एण्ड कल्चर से सम्बद्ध । भारतीय ओलम्पिक संघ के अन्तर्गत उत्तराखण्ड टाइक्वाण्डु एसोसिएशन के वर्तमान में अध्यक्ष ।

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