Dr. Babasaheb Ambedkar (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Surynarayan Ransubhe
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Surynarayan Ransubhe
Language:
Hindi
Format:
Hardback

396

Save: 20%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 0.156 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788171197552 Category
Category:
Page Extent:

जाति और अस्पृश्यता के दलदल में फँसे भारतीय समाज को उबारने का उपक्रम करनेवालों में डॉ. आम्बेडकर अग्रणी हैं। दुर्दम्य जिजीविषा वाले बाबासाहेब जैसे सत्पुरुष किसी-किसी देश में पैदा होते हैं। उन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन, मज़दूर आन्दोलन, प्रशासन और समाज को एक साथ प्रभावित किया।
बाबासाहेब ने आकाशवाणी पर दिए गए अपने एक भाषण में कहा था, “शंकराचार्य के दर्शन के कारण हिन्दू समाज-व्यवस्था में जाति-संस्था और विषमता के बीज बोए गए। मैं इसे नकारता हूँ। मेरा सामाजिक दर्शन केवल तीन शब्दों में रखा जा सकता है। ये शब्द हैं—स्वतंत्रता, समता और बन्धुभाव। मैंने इन शब्दों को फ़्रेंच राज्य क्रान्ति से उधार नहीं लिया है। मेरे दर्शन की जड़ें धर्म में हैं, राजनीति में नहीं। मेरे गुरु बुद्ध के व्यक्तित्व और कृतित्व से मुझे ये तीन मूल्य मिले हैं।” डॉ. रणसुभे की यह पुस्तक बाबासाहेब के व्यक्तित्व और कृतित्व को प्रामाणिक स्वरूप में प्रस्तुत करती है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dr. Babasaheb Ambedkar (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

जाति और अस्पृश्यता के दलदल में फँसे भारतीय समाज को उबारने का उपक्रम करनेवालों में डॉ. आम्बेडकर अग्रणी हैं। दुर्दम्य जिजीविषा वाले बाबासाहेब जैसे सत्पुरुष किसी-किसी देश में पैदा होते हैं। उन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन, मज़दूर आन्दोलन, प्रशासन और समाज को एक साथ प्रभावित किया।
बाबासाहेब ने आकाशवाणी पर दिए गए अपने एक भाषण में कहा था, “शंकराचार्य के दर्शन के कारण हिन्दू समाज-व्यवस्था में जाति-संस्था और विषमता के बीज बोए गए। मैं इसे नकारता हूँ। मेरा सामाजिक दर्शन केवल तीन शब्दों में रखा जा सकता है। ये शब्द हैं—स्वतंत्रता, समता और बन्धुभाव। मैंने इन शब्दों को फ़्रेंच राज्य क्रान्ति से उधार नहीं लिया है। मेरे दर्शन की जड़ें धर्म में हैं, राजनीति में नहीं। मेरे गुरु बुद्ध के व्यक्तित्व और कृतित्व से मुझे ये तीन मूल्य मिले हैं।” डॉ. रणसुभे की यह पुस्तक बाबासाहेब के व्यक्तित्व और कृतित्व को प्रामाणिक स्वरूप में प्रस्तुत करती है।

About Author

सूर्यनारायण रणसुभे

जन्म : 7 अगस्त, 1942

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (हिन्दी)

कृतियाँ : हिन्दी की मौलिक पुस्तकें—‘आधुनिक मराठी साहित्य का प्रवृत्तिमूलक अध्ययन’, ‘कहानीकार कमलेश्वर : सन्दर्भ और प्रकृति’, ‘देश-विभाजन और हिन्दी कथा-साहित्य’; अनूदित पुस्तकें—‘यादों के पंछी’, ‘अक्करमाशी’, ‘साक्षीपुरम्’, ‘उठाईगीर’, ‘डॉ. आम्बेडकर और उनका धम्म’।

विशेष : कुछ पुस्तकों का सह-लेखन, कुछ का सह-सम्पादन, अनेक पुस्तकों में लेखन सहयोग, परिसंवादों में हिस्सेदारी, रेडियो वार्ताओं, व्याख्यानमालाओं में प्रमुख वक्ता, विभिन्न शिविरों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों, परिषद् के अधिवेशनों में सक्रिय सहयोग, अनेक संस्थाओं के सदस्य, एक मराठी दैनिक का प्रतिदिन सम्पादकीय लेखन, पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर लेखन।

पुरस्कार व सम्मान : ‘यादों के पंछी’ को भारत सरकार का अनुवाद पुरस्कार; महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादेमी द्वारा ‘गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार’। महाराष्ट्र की अनेक साहित्यिक एवं ग़ैर-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मान।

 

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dr. Babasaheb Ambedkar (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED