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ढेला और अन्य कहानियां | DHELA AUR ANYA KAHANIYAN
Publisher:
Setu Prakashan
| Author:
ANAND BAHADUR
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Setu Prakashan
Author:
ANAND BAHADUR
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹140 ₹139
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In stock
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In stock
ISBN:
SKU
9789389830344
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
128
अपने सत्य और संवेदना का निर्वहन करती कथा-साहित्य के महासमुद्र में अपना वजूद तलाशती कथाकार आनंद बहादुर की दस कहानियाँ किसी भी तरह के आरोपण और कृत्रिमता से परे जीवन की नैसर्गिकता की ओर लौटने की कहानियाँ हैं। कला के लिहाज से कुछ अपवादों को छोड़ दें तो एक ओर कविता का संस्पर्श, दूसरी ओर फंतासी… बस इसके सिवा न तो भाषा-शिल्प की सायास कलाबाजियों के शीर्षासन हैं, न ही वैसे कोई अन्य प्रयोग। अलबत्ता इस रूहानी सफर में आनंद का खिलंदड़ापन, एक खास तरह की वक्रोक्ति, यदा-कदा विवृति की वाग्विदग्घता से…। इस तरह सिरजे हुए अलग ही आस्वाद में पगी हैं आनंद की कहानियाँ…। मसलन ‘ढेला’ में एक छोटा सा ईंट का टुकडा एक कुशल स्कूटर चालक के लिए मनोवैज्ञानिक खलल पैदा कर उसे नचा मारता है तो ‘भेद’ का शिशु मनोविज्ञान अपनी सजीधजी शिशु की माँ को महज इस विनाह पर अपरिचिता बना देता है कि वह उसके पुराने आत्मीय विन्यास में नहीं है।
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Description
अपने सत्य और संवेदना का निर्वहन करती कथा-साहित्य के महासमुद्र में अपना वजूद तलाशती कथाकार आनंद बहादुर की दस कहानियाँ किसी भी तरह के आरोपण और कृत्रिमता से परे जीवन की नैसर्गिकता की ओर लौटने की कहानियाँ हैं। कला के लिहाज से कुछ अपवादों को छोड़ दें तो एक ओर कविता का संस्पर्श, दूसरी ओर फंतासी… बस इसके सिवा न तो भाषा-शिल्प की सायास कलाबाजियों के शीर्षासन हैं, न ही वैसे कोई अन्य प्रयोग। अलबत्ता इस रूहानी सफर में आनंद का खिलंदड़ापन, एक खास तरह की वक्रोक्ति, यदा-कदा विवृति की वाग्विदग्घता से…। इस तरह सिरजे हुए अलग ही आस्वाद में पगी हैं आनंद की कहानियाँ…। मसलन ‘ढेला’ में एक छोटा सा ईंट का टुकडा एक कुशल स्कूटर चालक के लिए मनोवैज्ञानिक खलल पैदा कर उसे नचा मारता है तो ‘भेद’ का शिशु मनोविज्ञान अपनी सजीधजी शिशु की माँ को महज इस विनाह पर अपरिचिता बना देता है कि वह उसके पुराने आत्मीय विन्यास में नहीं है।
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