Darshanshastra Aur Bhavishya (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
D. P. Chattopadhyay
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
D. P. Chattopadhyay
Language:
Hindi
Format:
Hardback

396

Save: 20%

In stock

Ships within:
3-5 days

In stock

Weight 0.15 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126718078 Category
Category:
Page Extent:

‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ पुस्तकमाला की इस आठवीं और अंतिम कड़ी के लेखक प्रो. देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय हैं, जो इस पुस्तकमाला के संपादक भी हैं। संपादक होने के नाते जिस प्रकार उन्होंने पुस्तकमाला की पहली पुस्तक ‘दर्शनशास्त्र के स्रोत’ में पूरे संसार की प्रमुख दार्शनिक प्रवृत्तियों के अध्ययन के लिए एक भूमिका तैयार की थी, उसी प्रकार यहाँ उन्होंने संपूर्ण पुस्तकमाला का विहगावलोकन किया है और उन पर अपनी सारगर्भित टिप्पणियाँ प्रस्तुत की हैं। अंत में उन्होंने इस प्रश्न पर विस्तारपूर्वक विचार किया है कि मनुष्य का भविष्य दर्शनशास्त्र के भविष्य से किस प्रकार जुड़ा हुआ है। संक्षेप में कहें तो यह छोटी-सी पुस्तक दर्शनशास्त्र के गहन प्रश्नों की तह में उतरने की तैयारी के लिए ऐसी पाठ्य सामग्री प्रस्तुत करती है, जो न केवल रोचक बल्कि प्रामाणिक और सटीक भी है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Darshanshastra Aur Bhavishya (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ पुस्तकमाला की इस आठवीं और अंतिम कड़ी के लेखक प्रो. देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय हैं, जो इस पुस्तकमाला के संपादक भी हैं। संपादक होने के नाते जिस प्रकार उन्होंने पुस्तकमाला की पहली पुस्तक ‘दर्शनशास्त्र के स्रोत’ में पूरे संसार की प्रमुख दार्शनिक प्रवृत्तियों के अध्ययन के लिए एक भूमिका तैयार की थी, उसी प्रकार यहाँ उन्होंने संपूर्ण पुस्तकमाला का विहगावलोकन किया है और उन पर अपनी सारगर्भित टिप्पणियाँ प्रस्तुत की हैं। अंत में उन्होंने इस प्रश्न पर विस्तारपूर्वक विचार किया है कि मनुष्य का भविष्य दर्शनशास्त्र के भविष्य से किस प्रकार जुड़ा हुआ है। संक्षेप में कहें तो यह छोटी-सी पुस्तक दर्शनशास्त्र के गहन प्रश्नों की तह में उतरने की तैयारी के लिए ऐसी पाठ्य सामग्री प्रस्तुत करती है, जो न केवल रोचक बल्कि प्रामाणिक और सटीक भी है।

About Author

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय

जन्‍म : 1918

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए., डी.लिट्. किया तथा मॉस्को एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज से मानद डी.एससी. की उपाधि से सम्मानित हुए। वे जर्मन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज के अकादमीशियन तथा भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय फ़ेलो भी रहे। काउंसिल ऑफ़ साइंटिफ़‍िक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की शोध परियोजना ‘प्राचीन भारत में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी का इतिहास’ में अतिथि वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया।

उनके द्वारा लिखित और सम्‍पादित ग्रन्‍थों की संख्या 40 से अधिक है, जिनमें से अनेक ग्रन्‍थों का अनुवाद चीनी, रूसी, जर्मन, जापानी और अन्य विदेशी भाषाओं में हो चुका है। उनके कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकाशन हैं : ‘लोकायत’, ‘ह्वाट इज़ लिविंग एंड ह्वाट इज़ डेड इन इंडियन फ़‍िलॉसफ़ी’, ‘इंडियन एथीज़्म’, ‘साइंस एंड सोसायटी इन एनशिएंट इंडिया’, ‘इंडियन फ़‍िलॉसफ़ी’, ‘हिस्ट्री ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन एनशिएंट इंडिया’, ‘द बिगिनिंग्स’ आदि।

निधन : 8 मई, 1993

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Darshanshastra Aur Bhavishya (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED