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Dalit Sahitya Ka Saundarya Shastra
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Der Kar Deta Hoon Main
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Dariyai Ghoda
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
उदय प्रकाश
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
उदय प्रकाश
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹295 ₹221
Save: 25%
In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789387330801
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
120
“कौन कहता है कि कहानियों के पेड़ नहीं हुआ करते। होते हैं। उदय ने अपनी कहानियों को उन पेड़ों पर से तोड़ा है, जैसे हम सेव, आम तोड़ते हैं। उदय की कहानियों के पेड़ न तो रूस के जंगलों में हैं, न चीन में, न जर्मनी के जंगलों में हैं, न स्पेन में। वे आज के डरावने समय के जंगल में उगे पेड़ हैं, जहाँ से उदय अमरूद की तरह अनगिनत बीज वाली कहानियाँ तोड़ते हैं। इन कहानियों में उनकी कविताएँ भी अन्तर्निहित हैं, जो रात में हारमोनियम की तरह बजती हैं और मनुष्य के भीतर की रिक्तता को भरती हैं। फिर भी कुछ लोग हैं जो ‘चोखी’ (वारेन हेस्टिंग्स का साँड़) के मरने और तिरिछ द्वारा काटे हुए पिता की ट्रेजेडी पर ज़ोर-ज़ोर से हँसते हैं।
…वे शायद नहीं जानते कि दरियाई घोड़ा जब मरता है तो कितना छटपटाता है!”
– डॉ. कुमार कृष्ण
कहानी के नये प्रतिमान : वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली
“यह अकारण नहीं है कि ‘ख़तरनाक विचार’ वाले नये लेखकों की कहानियाँ देश के कुछ बड़े लेखकों-आलोचकों द्वारा न सिर्फ़ रद्द करने की कोशिशें की जा रही हैं वरन् उनके समानान्तर ऐसी कहानियों को प्रतिष्ठित करने की कोशिशें की जा रही हैं, जिनमें ‘विचार’ या तो अनुपस्थित है या है भी तो नख-दंत विहीन । ऐसी कहानियों का सच द्रष्टा का नहीं, दर्शक का सच होता है।
…’ दरियाई घोड़ा’ उदय प्रकाश के कहानीकार की उपलब्धि के बतौर गिनी जा सकती है, जिसमें रचा-बसा गहरा मानवीय स्पर्श, संवेदना और ताप आज की युवा कहानी की सामर्थ्य और ताज़गी का बैरोमीटर माना जा सकता है।
एक कवि की इतनी समर्थ कहानियाँ उन लोगों को उलझन में डाल देंगी जो मानते हैं कि एक कवि अगर कहानी लिखेगा तो वह भी गद्य-कविता ही होगी। बेशक, उदय प्रकाश की इन कहानियों में भी एक आन्तरिक लय है, लेकिन वह कविता की नहीं, कहानी की लय है।”
– धीरेन्द्र अस्थाना
दिनमान : 29 जुलाई-4 अगस्त 1984
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Description
“कौन कहता है कि कहानियों के पेड़ नहीं हुआ करते। होते हैं। उदय ने अपनी कहानियों को उन पेड़ों पर से तोड़ा है, जैसे हम सेव, आम तोड़ते हैं। उदय की कहानियों के पेड़ न तो रूस के जंगलों में हैं, न चीन में, न जर्मनी के जंगलों में हैं, न स्पेन में। वे आज के डरावने समय के जंगल में उगे पेड़ हैं, जहाँ से उदय अमरूद की तरह अनगिनत बीज वाली कहानियाँ तोड़ते हैं। इन कहानियों में उनकी कविताएँ भी अन्तर्निहित हैं, जो रात में हारमोनियम की तरह बजती हैं और मनुष्य के भीतर की रिक्तता को भरती हैं। फिर भी कुछ लोग हैं जो ‘चोखी’ (वारेन हेस्टिंग्स का साँड़) के मरने और तिरिछ द्वारा काटे हुए पिता की ट्रेजेडी पर ज़ोर-ज़ोर से हँसते हैं।
…वे शायद नहीं जानते कि दरियाई घोड़ा जब मरता है तो कितना छटपटाता है!”
– डॉ. कुमार कृष्ण
कहानी के नये प्रतिमान : वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली
“यह अकारण नहीं है कि ‘ख़तरनाक विचार’ वाले नये लेखकों की कहानियाँ देश के कुछ बड़े लेखकों-आलोचकों द्वारा न सिर्फ़ रद्द करने की कोशिशें की जा रही हैं वरन् उनके समानान्तर ऐसी कहानियों को प्रतिष्ठित करने की कोशिशें की जा रही हैं, जिनमें ‘विचार’ या तो अनुपस्थित है या है भी तो नख-दंत विहीन । ऐसी कहानियों का सच द्रष्टा का नहीं, दर्शक का सच होता है।
…’ दरियाई घोड़ा’ उदय प्रकाश के कहानीकार की उपलब्धि के बतौर गिनी जा सकती है, जिसमें रचा-बसा गहरा मानवीय स्पर्श, संवेदना और ताप आज की युवा कहानी की सामर्थ्य और ताज़गी का बैरोमीटर माना जा सकता है।
एक कवि की इतनी समर्थ कहानियाँ उन लोगों को उलझन में डाल देंगी जो मानते हैं कि एक कवि अगर कहानी लिखेगा तो वह भी गद्य-कविता ही होगी। बेशक, उदय प्रकाश की इन कहानियों में भी एक आन्तरिक लय है, लेकिन वह कविता की नहीं, कहानी की लय है।”
– धीरेन्द्र अस्थाना
दिनमान : 29 जुलाई-4 अगस्त 1984
About Author
उदय प्रकाश 1952, मध्य प्रदेश के शहडोल (अब अनूपपुर) ज़िले के गाँव सीतापुर में जन्म। सागर वि.वि. सागर और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली से शिक्षा प्राप्त। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और इसके मणिपुर केन्द्र में लगभग चार वर्ष तक अध्यापन। संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश, भोपाल में लगभग दो वर्ष विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी। इसी दौरान ‘पूर्वग्रह’ का सहायक सम्पादन। नौ वर्षों तक टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के समाचार पाक्षिक ‘दिनमान’ के सम्पादकीय विभाग में नौकरी। बीच में एक वर्ष टाइम्स रिसर्च फ़ाउंडेशन के स्कूल ऑफ़ सोशल जर्नलिज्म में अध्यापन। लगभग दो वर्ष पी.टी.आई. (टेलीविज़न) और एक वर्ष इंडिपेंडेंट टेलीविज़न में विचार और पटकथा प्रमुख। कुछ समय ‘संडे मेल’ में वरिष्ठ सहायक सम्पादक रहे। इन दिनों स्वतन्त्र लेखन तथा फ़िल्म और मीडिया के लिए लेखन। ‘सुनो कारीगर’, ‘अबूतर-कबूतर’, ‘रात में हारमोनियम, ‘एक भाषा हुआ करती है’, ‘नयी सदी के लिए चयन: पचास कविताएँ’ (कविता संग्रह); ‘दरियाई घोड़ा’, ‘तिरिछ’, ‘और अन्त में प्रार्थना’, ‘पॉल गोमरा का स्कूटर’, ‘पीली छतरी वाली लड़की’, ‘दत्तात्रोय के दुख’, ‘मोहन दास’, ‘अरेबा परेबा’, ‘मैंगोसिल’ (कहानी संग्रह); ‘ईश्वर की आँख’, ‘अपनी उनकी बात’ और ‘नयी सदी का पंचतन्त्र’ (निबन्ध, आलोचना) पुस्तकें प्रकाशित। इसके अलावा लगभग 8 पुस्तकें अंग्रेज़ी में प्रकाशित। ‘पीली छतरी वाली लड़की’ (उर्दू), ‘तिरिछ अणि इतर कथा’, ‘अरेबा परेबा’ (मराठी), ‘मोहन दास’ कन्नड़ में प्रकाशित, पंजाबी, उड़िया, अंग्रेज़ी में प्रकाश्य। ‘लाल घास पर नीले घोड़े’ (मिखाइल शात्रोव के नाटक का अनुवाद और रूपान्तर), ‘कला अनुभव’ (प्रो. हरियन्ना की सौन्दर्यशास्त्रीय पुस्तक का अनुवाद), ‘इन्दिरा गाँधी की आखिरी लड़ाई’ (बी.बी.सी. संवाददाता मार्क टली-सतीश जैकब की किताब का हिन्दी अनुवाद), ‘रोम्यां रोलां का भारत’ (आंशिक अनुवाद और सम्पादन) का अनुवाद। भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, ओमप्रकाश साहित्य सम्मान, श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार, मुक्तिबोध पुरस्कार, साहित्यकार सम्मान, हिन्दी अकादेमी, दिल्ली, रामकृष्ण जयदयाल सद्भावना सम्मान, पहल सम्मान, कथाक्रम सम्मान, पुश्किन सम्मान, द्विजदेव सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कारों से पुरस्कृत।
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