Dambhadweep

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
विजय तेंदुलकर, सरोजिनी वर्मा द्वारा अनुवादित
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
विजय तेंदुलकर, सरोजिनी वर्मा द्वारा अनुवादित
Language:
Hindi
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Paperback

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‘सखाराम बाइंडर’ से पूर्व लिखा तथा खेला गया विजय तेंडुलकर का यह नाटक ‘दम्भद्वीप’ अपने में नितान्त अनूठा है। लेखक द्रष्टा होता है यह सुना था। अपनी आँखों के आगे चरितार्थ होते तभी देखा जब कल्पना में बरसों पहले उरेहा हुआ यह नाटक इतिहास के रंगमंच पर साकार हो उठा। नाटक का अनुवाद पूरा होते ही देश में ‘इमरजेंसी’ का शिकंजा कस उठा। नाटक का दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि उस समय इसका मंचन तो दरकिनार, कमरे में बैठकर इस पर चर्चा भी वर्जित हो उठी। दो वर्ष की क़ैद के बाद ही यह नाटक तेंडुलकर के दर्शकों और पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत हो सका। आशा है पाठकों की उम्मीदों पर यह नाटक खरा उतरेगा।

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Description

‘सखाराम बाइंडर’ से पूर्व लिखा तथा खेला गया विजय तेंडुलकर का यह नाटक ‘दम्भद्वीप’ अपने में नितान्त अनूठा है। लेखक द्रष्टा होता है यह सुना था। अपनी आँखों के आगे चरितार्थ होते तभी देखा जब कल्पना में बरसों पहले उरेहा हुआ यह नाटक इतिहास के रंगमंच पर साकार हो उठा। नाटक का अनुवाद पूरा होते ही देश में ‘इमरजेंसी’ का शिकंजा कस उठा। नाटक का दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि उस समय इसका मंचन तो दरकिनार, कमरे में बैठकर इस पर चर्चा भी वर्जित हो उठी। दो वर्ष की क़ैद के बाद ही यह नाटक तेंडुलकर के दर्शकों और पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत हो सका। आशा है पाठकों की उम्मीदों पर यह नाटक खरा उतरेगा।

About Author

विजय तेंडुलकर वर्तमान भारतीय रंग-परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण नाटककार के रूप में समादृत श्री तेंडुलकर मूलतः मराठी के साहित्यकार हैं जिनका जन्म 7 जनवरी, 1928 को हुआ। उन्होंने लगभग तीस नाटकों तथा दो दर्जन एकांकियों की रचना की है, जिनमें से अनेक आधुनिक भारतीय रंगमंच की। क्लासिक कृतियों के रूप में शुमार होते हैं। उनके नाटकों में प्रमुख हैं-शांतता! कोर्ट चालू आहे (1967), सखाराम बाइंडर (1972), कमला (1981), कन्यादान (1983)। श्री तेंडुलकर के नाटक घासीराम कोतवाल (1972) की मूल मराठी में और अनूदित रूप में देश और विदेश में छह हज़ार से ज़्यादा प्रस्तुतियाँ हो चुकी हैं। मराठी लोकशैली, संगीत तथा आधुनिक रंगमंचीय तकनीक से सम्पन्न यह नाटक दुनिया के सर्वाधिक मंचित होने वाले नाटकों में से एक का दर्जा पा चुका है। श्री तेंडलकर ने बच्चों के लिए भी ग्यारह नाटकों की रचना की है। उनकी कहानियों के चार संग्रह और सामाजिक आलोचना व साहित्यिक लेखों के पाँच संग्रह प्रकाशित हो। चुके हैं। इन्होंने दूसरी भाषाओं से मराठी में अनुवाद किये हैं, जिसके तहत नौ उपन्यास, दो जीवनियाँ और पाँच नाटक भी उनके कृतित्व में शामिल हैं। इसके अलावा बीस के करीब फ़िल्मों का लेखन। हिन्दी की निशान्त, मन्थन, आक्रोश, अर्धसत्य आदि। दूरदर्शन धारावाहिक स्वयंसिद्ध, प्रिय तेंडुलकर टॉक शो। सम्मान पुरस्कार : नेहरू फेलोशिप (1973-74), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में अभ्यागत प्राध्यापक के रूप में (1979-1981), पद्म भूषण (1984), फ़िल्मफेयर से पुरस्कृत। 19 मई, 2008 को पुणे (महाराष्ट्र) में महाप्रस्थान।

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