![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 1%
![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 20%
Dalit Veerangnayen Evam Mukti Ki Chah (HB)
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹450 ₹360
Save: 20%
In stock
Ships within:
In stock
ISBN:
Page Extent:
भारत में सांस्कृतिक अभ्युदय की गवेषणा करनेवाली यह पुस्तक उत्तर भारत में दलित-राजनीति के प्रस्फुटन का अवलोकन करती है और बताती है कि 1857 की विद्रोही दलित वीरांगनाएँ, उत्तर प्रदेश में दलित-स्वाभिमान की प्रतीक कैसे बनीं और उनका उपयोग बहुजन समाजवादी पार्टी की नेत्री मायावती की छवि निखारने के लिए कैसे किया गया। यह पुस्तक रेखांकित करती है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दलितों की भूमिका से सम्बन्धित मिथकों और स्मृतियों का उपयोग इधर राजनीतिक गोलबन्दी के लिए किस तरह किया जा रहा है। इसमें वे कहानियाँ भी निहित हैं जो दलितों के बीच तृणमूल स्तर पर राजनीतिक जागरूकता फैलाने के लिए कही जा रही हैं।
व्यपार-शोध और अन्वेषण पर आधारित इस पुस्तक में इस बात का भी उल्लेख है कि किस तरह लोगों के बीच प्रचलित क़िस्सों को अपने मनमुताबिक़ मौखिक रूप से या पम्फ़लेट के रूप में फिर से रखा जा रहा है और किस प्रकार अपने राजनीतिक हित-साधन के लिए प्रत्येक जाति के देवताओं, वीरों एवं अन्य सांस्कृतिक उपादानों को दिखाकर प्रतिमाओं, कैलेंडरों, पोस्टरों और स्मारकों के रूप में तब्दील कर दिया गया है। इस पुस्तक में यह भी दर्शाया गया है कि कैसे बी.एस.पी. अपना जनाधार बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक सामग्रियों का निर्माण एवं पुनर्निर्माण करती है। यह पुस्तक ज़मीनी सच्चाइयों एवं परोक्ष जानकारियों पर आधारित है, जिसमें लेखक राजनीतिक गोलबन्दी के लिए ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संसाधनों के इस्तेमाल का विरोध करता है।
भारत में सांस्कृतिक अभ्युदय की गवेषणा करनेवाली यह पुस्तक उत्तर भारत में दलित-राजनीति के प्रस्फुटन का अवलोकन करती है और बताती है कि 1857 की विद्रोही दलित वीरांगनाएँ, उत्तर प्रदेश में दलित-स्वाभिमान की प्रतीक कैसे बनीं और उनका उपयोग बहुजन समाजवादी पार्टी की नेत्री मायावती की छवि निखारने के लिए कैसे किया गया। यह पुस्तक रेखांकित करती है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दलितों की भूमिका से सम्बन्धित मिथकों और स्मृतियों का उपयोग इधर राजनीतिक गोलबन्दी के लिए किस तरह किया जा रहा है। इसमें वे कहानियाँ भी निहित हैं जो दलितों के बीच तृणमूल स्तर पर राजनीतिक जागरूकता फैलाने के लिए कही जा रही हैं।
व्यपार-शोध और अन्वेषण पर आधारित इस पुस्तक में इस बात का भी उल्लेख है कि किस तरह लोगों के बीच प्रचलित क़िस्सों को अपने मनमुताबिक़ मौखिक रूप से या पम्फ़लेट के रूप में फिर से रखा जा रहा है और किस प्रकार अपने राजनीतिक हित-साधन के लिए प्रत्येक जाति के देवताओं, वीरों एवं अन्य सांस्कृतिक उपादानों को दिखाकर प्रतिमाओं, कैलेंडरों, पोस्टरों और स्मारकों के रूप में तब्दील कर दिया गया है। इस पुस्तक में यह भी दर्शाया गया है कि कैसे बी.एस.पी. अपना जनाधार बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक सामग्रियों का निर्माण एवं पुनर्निर्माण करती है। यह पुस्तक ज़मीनी सच्चाइयों एवं परोक्ष जानकारियों पर आधारित है, जिसमें लेखक राजनीतिक गोलबन्दी के लिए ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संसाधनों के इस्तेमाल का विरोध करता है।
About Author
बद्री नारायण
बद्री नारायण हिन्दी के महत्त्वपूर्ण कवि हैं। नवें दशक के कवियों में सर्वाधिक चर्चित। आप सामाजिक इतिहास एवं सांस्कृतिक मानवविज्ञान के विशेषज्ञ भी हैं। हिन्दी के एक प्रतिष्ठित कवि होने के साथ-साथ आप उत्तर भारत की आधारभूत राजनीतिक समझ और निर्मितियों की पहचान करनेवाले समाजविज्ञानी के रूप में भी जाने जाते हैं।
आपके प्रकाशित कविता-संग्रह हैं—‘खुदाई में हिंसा’, ‘शब्दपदीयम’ और ‘सच सुने कई दिन हुए’। आपकी प्रतिनिधि कविताओं की पुस्तक भी शीघ्र ही प्रकाशित होनेवाली है। आप ‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार’, ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’, ‘केदार सम्मान’, ‘स्पंदन कृति पुरस्कार’, ‘राष्ट्रकवि दिनकर पुरस्कार’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘मीरा स्मृति सम्मान’ से सम्मानित हो चुके हैं। आपकी कविताएँ अंग्रेज़ी, बांग्ला, उड़िया, मलयालम, उर्दू तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। आपने देश-विदेश के अनेक साहित्यिक मंचों पर काव्य-पाठ किया है। आप कविता लिखने के साथ-साथ उस पर हो रहे चिन्तन एवं विमर्श के एक प्रखर हस्ताक्षर के रूप में भी जाने जाते हैं।
हिन्दी तथा अंग्रेज़ी के शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक विशेषणों पर आधारित आपके कॉलम भी प्रकाशित होते रहे हैं। आपके वैचारिक निबन्धों की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं।
Reviews
There are no reviews yet.
Related products
RELATED PRODUCTS
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
Reviews
There are no reviews yet.