Yeh Likhta Hoon 194

Save: 1%

Back to products
Dhoop Ki Lapet 371

Save: 25%

Court Martial

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
स्वदेश दीपक
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
स्वदेश दीपक
Language:
Hindi
Format:
Paperback

180

Save: 20%

Out of stock

Ships within:
1-4 Days

Out of stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789355181305 Category
Category:
Page Extent:
104

प्रतिष्ठित कोर्ट मार्शल में आरोप के घेरे में न सिर्फ़ भारतीय सशस्त्र बलों की न्यायिक प्रक्रिया है, बल्कि पूरा समाज ही है, जहाँ भेदभाव हमें अपनी मानवता पर अमल करने से रोकता है। यहाँ समाज ही कठघरे में है।’ :-महेश दत्तानी, नाटककार

܀܀܀

सेना के सिपाही रामचन्दर ने एक हत्या की है, लेकिन इसके लिए वह कितना जिम्मेदार है? डॉक्टर सुकान्त क्या अपनी प्रेमिका अपूर्वा को हत्या के आरोप में फाँसी की सज़ा से बचा सकेगा? लोगों का भविष्य बताने वाला सिद्धड़ क्या उनकी महत्त्वाकांक्षाओं के फन्दे से जीवित बच पायेगा? स्वदेश दीपक का ये प्रसिद्ध नाटक समाज की जड़ों में गहराई तक पैठी सड़ांध को खोद कर हमारी निगाहों के सामने रखता है, जिसमें जाति व्यवस्था, सामन्ती सत्ता और अन्धविश्वासों और सम्पन्नता की ओर एक अन्धी दौड़ की मानवद्रोही हक़ीक़त उजागर होती है।

܀܀܀

‘कोर्ट मार्शल को बधाई… यह एक ऐसा नाटक है जो नाटक की सीमाओं से परे जाता है।’ – द इंडियन एक्सप्रेस

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Court Martial”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

प्रतिष्ठित कोर्ट मार्शल में आरोप के घेरे में न सिर्फ़ भारतीय सशस्त्र बलों की न्यायिक प्रक्रिया है, बल्कि पूरा समाज ही है, जहाँ भेदभाव हमें अपनी मानवता पर अमल करने से रोकता है। यहाँ समाज ही कठघरे में है।’ :-महेश दत्तानी, नाटककार

܀܀܀

सेना के सिपाही रामचन्दर ने एक हत्या की है, लेकिन इसके लिए वह कितना जिम्मेदार है? डॉक्टर सुकान्त क्या अपनी प्रेमिका अपूर्वा को हत्या के आरोप में फाँसी की सज़ा से बचा सकेगा? लोगों का भविष्य बताने वाला सिद्धड़ क्या उनकी महत्त्वाकांक्षाओं के फन्दे से जीवित बच पायेगा? स्वदेश दीपक का ये प्रसिद्ध नाटक समाज की जड़ों में गहराई तक पैठी सड़ांध को खोद कर हमारी निगाहों के सामने रखता है, जिसमें जाति व्यवस्था, सामन्ती सत्ता और अन्धविश्वासों और सम्पन्नता की ओर एक अन्धी दौड़ की मानवद्रोही हक़ीक़त उजागर होती है।

܀܀܀

‘कोर्ट मार्शल को बधाई… यह एक ऐसा नाटक है जो नाटक की सीमाओं से परे जाता है।’ – द इंडियन एक्सप्रेस

About Author

स्वदेश दीपकहिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित और प्रशंसित लेखक व नाटककार स्वदेश दीपक का जन्म रावलपिण्डी में 6 अगस्त, 1942 को हुआ। अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. करने के बाद उन्होंने लम्बे समय तक गाँधी मेमोरियल कॉलेज, अम्बाला छावनी में अध्यापन किया । दशकों तक अम्बाला ही उनका निवास स्थान रहा। सन् 1991 से 1997 तक दुनिया से कटे रहने के बाद जीवन की ओर बहुआयामी वापसी करते हुए उन्होंने कई कालजयी कृतियाँ रचीं जिनमें मैंने माँडू नहीं देखा और सबसे उदास कविता के साथ-साथ कई कहानियाँ शामिल हैं। वे उन कुछेक नाटककारों में से हैं, जिन्हें संगीत नाटक अकादेमी सम्मान हासिल हुआ। यह सम्मान उन्हें सन् 2004 में प्राप्त हुआ ।कोर्ट मार्शल स्वदेश दीपक का सर्वश्रेष्ठ नाटक है। अरविन्द गौड़ के निर्देशन में अस्मिता थियेटर ग्रुप द्वारा भारत भर में इस नाटक का 450 से भी अधिक बार मंचन किया गया।सन् 2006 की एक सुबह वे टहलने के लिए निकले और घर नहीं लौट पाये। तब से उनका पता लगाने की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं। रचनाएँ : अश्वारोही, मातम, तमाशा, बाल भगवान, किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं, मसखरे कभी नहीं रोते, निर्वाचित कहानियाँ (कहानियाँ); नम्बर 57 स्क्वाड्रन, मायापोत (उपन्यास), बाल भगवान, जलता हुआ रथ, सबसे उदास कविता, काल कोठरी (नाटक); मैंने माँडू नहीं देखा (संस्मरण)।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Court Martial”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED