Chitramay Bharat-(HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Sudhakar Yadav, Gorakh Thorat
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Sudhakar Yadav, Gorakh Thorat
Language:
Hindi
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Hardback

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भारतीय भाषाओं में कला-आलोचना के अभाव को किसी हद तक सुधाकर यादव की ‘चित्रमय भारत’ दूर करने का एक ऐसा विस्तृत प्रयास है जो अब तक नहीं हुआ है। …पाठक लक्ष्य करेंगे कि ‘चित्रमय भारत’ में आधुनिक नागर चित्रकारों की कला को तो विषय बनाया ही गया है, पर साथ में हमारे आदिवासी अंचलों में काम कर रहे चित्रकारों की कला पर भी उतनी ही गम्भीरता से लिखा गया है। यह इस पुस्तक की विशिष्ट बात है। मसलन, सुधाकर के लिए मक़बूल फ़िदा हुसैन और जनगढ़ सिंह श्याम दोनों की ही चित्रकृतियाँ विचार योग्य हैं और वे दोनों ही भारत की चित्रकला संस्कृति को समृद्ध करती हैं। इस किताब को अन्तिम पृष्ठ तक पढ़ने के बाद पाठक को पिछले सौ वर्षों से अधिक की भारतीय चित्रकला की यात्रा का, उसमें आए नए-नए पड़ावों और प्रस्थानों का ज्ञान तो होगा ही, अनुभव भी बहुत हद तक हो सकेगा। ‘चित्रमय भारत’ हमें भारतीय चित्रकला संस्कृति से आत्मीय होने का अवसर प्रदान करती है। इसे पढ़कर पाठक स्वयं को अपनी संस्कृति की चित्रकला से कहीं अधिक निकटता महसूस करेंगे और अपने भीतर इसे और इसके सहारे ख़ुद को अनुभव करने के मार्ग कहीं अधिक सुगमता से अन्वेषित कर सकेंगे।    
—उदयन वाजपेयी

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भारतीय भाषाओं में कला-आलोचना के अभाव को किसी हद तक सुधाकर यादव की ‘चित्रमय भारत’ दूर करने का एक ऐसा विस्तृत प्रयास है जो अब तक नहीं हुआ है। …पाठक लक्ष्य करेंगे कि ‘चित्रमय भारत’ में आधुनिक नागर चित्रकारों की कला को तो विषय बनाया ही गया है, पर साथ में हमारे आदिवासी अंचलों में काम कर रहे चित्रकारों की कला पर भी उतनी ही गम्भीरता से लिखा गया है। यह इस पुस्तक की विशिष्ट बात है। मसलन, सुधाकर के लिए मक़बूल फ़िदा हुसैन और जनगढ़ सिंह श्याम दोनों की ही चित्रकृतियाँ विचार योग्य हैं और वे दोनों ही भारत की चित्रकला संस्कृति को समृद्ध करती हैं। इस किताब को अन्तिम पृष्ठ तक पढ़ने के बाद पाठक को पिछले सौ वर्षों से अधिक की भारतीय चित्रकला की यात्रा का, उसमें आए नए-नए पड़ावों और प्रस्थानों का ज्ञान तो होगा ही, अनुभव भी बहुत हद तक हो सकेगा। ‘चित्रमय भारत’ हमें भारतीय चित्रकला संस्कृति से आत्मीय होने का अवसर प्रदान करती है। इसे पढ़कर पाठक स्वयं को अपनी संस्कृति की चित्रकला से कहीं अधिक निकटता महसूस करेंगे और अपने भीतर इसे और इसके सहारे ख़ुद को अनुभव करने के मार्ग कहीं अधिक सुगमता से अन्वेषित कर सकेंगे।    
—उदयन वाजपेयी

About Author

सुधाकर यादव

1957 में महाराष्ट्र के हासेगाँव, ज़िला—उस्मानाबाद में जन्म। औरंगाबाद के शासकीय महाविद्यालय से रेखांकन और चित्रकला में डिप्लोमा, जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स, मुम्बई से कला शिक्षा में डिप्लोमा। 1984 से अब तक अनेक कला दीर्घाओं में चित्रों का प्रदर्शन। कई महत्त्वपूर्ण चित्रकारों के कैटलॉग में निबन्ध प्रकाशित। कई राष्ट्रीय कला संस्थाओं में कला पर व्याख्यान और कार्यशालाएँ। कई चित्रकला कैम्प्स में शिरकत। ‘सर जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स’, मुम्बई में कला अध्यापक के पद से सेवानिवृत्त। इन दिनों मुम्बई में।

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