Chhappar (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Jaiprakash Kardam
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Radhakrishna Prakashan
Author:
Jaiprakash Kardam
Language:
Hindi
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Hardback

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सामाजिक विचार के व्यावहारिक चिन्तक एवं रचनाकार जयप्रकाश कर्दम का यह उपन्यास दलित साहित्य का क्रान्तिधर्मी दस्तावेज़ है। उपन्यास की कथा से गुज़रते हुए महसूस होता है कि आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी संवैधानिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में सामाजिक संरचना के सर्जनात्मक साहित्य की ज़मीन की तलाश ज़रूरी है, ताकि आत्मीय और भावनात्मक प्रसंगों की पृष्ठभूमि में अपनी समझ के तीखे से तीखे सामाजिक-सांस्कृतिक सवालों के समाधान खोजने का उपक्रम किया जा सके। जयप्रकाश कर्दम ने डॉ. अम्बेडकर के जीवन-दर्शन और विचारों को क्रियान्वित करने के लिए कथानायक चन्दन की सृष्टि की है, जो सदियों से अज्ञान और पिछड़ेपन की गति में पड़े हुए दलित समाज को जगाना चाहता है। वह कॉलेज में पढ़ते हुए भी स्कूल चलाता है और बच्चों को स्वयं पढ़ाता है; क्योंकि वह जानता है कि जीवन और समाज में व्याप्त विसंगतियों के ख़िलाफ़ लड़ाई जीतने के लिए शिक्षा सबसे ज़्यादा मारक और शक्तिशाली शस्त्र है।
‘छप्पर’ की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है—दलित समाज का वैचारिक आधार पर संगठित होना तथा सामन्ती-ब्राह्मणी शोषण-उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव से मुक्ति के लिए अनथक संघर्ष की प्रेरणा। साथ ही सामाजिक सम्मान की भावना जाग्रत कर स्वाभिमान से जीने की ललक पैदा करना।
उपन्यासकार ने शिक्षा के महत्त्व को समझते हुए सामाजिक क्रान्ति पर ज़ोर दिया है, क्योंकि सांस्कृतिक क्रान्ति के बिना सामाजिक क्रान्ति अधूरी है और इसके बिना दलित समाज का उत्थान और विकास सम्भव नहीं।

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सामाजिक विचार के व्यावहारिक चिन्तक एवं रचनाकार जयप्रकाश कर्दम का यह उपन्यास दलित साहित्य का क्रान्तिधर्मी दस्तावेज़ है। उपन्यास की कथा से गुज़रते हुए महसूस होता है कि आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी संवैधानिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में सामाजिक संरचना के सर्जनात्मक साहित्य की ज़मीन की तलाश ज़रूरी है, ताकि आत्मीय और भावनात्मक प्रसंगों की पृष्ठभूमि में अपनी समझ के तीखे से तीखे सामाजिक-सांस्कृतिक सवालों के समाधान खोजने का उपक्रम किया जा सके। जयप्रकाश कर्दम ने डॉ. अम्बेडकर के जीवन-दर्शन और विचारों को क्रियान्वित करने के लिए कथानायक चन्दन की सृष्टि की है, जो सदियों से अज्ञान और पिछड़ेपन की गति में पड़े हुए दलित समाज को जगाना चाहता है। वह कॉलेज में पढ़ते हुए भी स्कूल चलाता है और बच्चों को स्वयं पढ़ाता है; क्योंकि वह जानता है कि जीवन और समाज में व्याप्त विसंगतियों के ख़िलाफ़ लड़ाई जीतने के लिए शिक्षा सबसे ज़्यादा मारक और शक्तिशाली शस्त्र है।
‘छप्पर’ की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है—दलित समाज का वैचारिक आधार पर संगठित होना तथा सामन्ती-ब्राह्मणी शोषण-उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव से मुक्ति के लिए अनथक संघर्ष की प्रेरणा। साथ ही सामाजिक सम्मान की भावना जाग्रत कर स्वाभिमान से जीने की ललक पैदा करना।
उपन्यासकार ने शिक्षा के महत्त्व को समझते हुए सामाजिक क्रान्ति पर ज़ोर दिया है, क्योंकि सांस्कृतिक क्रान्ति के बिना सामाजिक क्रान्ति अधूरी है और इसके बिना दलित समाज का उत्थान और विकास सम्भव नहीं।

About Author

जयप्रकाश कर्दम

जन्म : 05 जुलाई, 1958; ग्राम—इन्दरगढ़ी, हापुड़ रोड, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)।

शिक्षा : एम.ए. (दर्शनशास्त्र, हिन्दी, इतिहास), पीएच.डी. (हिन्दी)।

प्रकाशन : ‘गूँगा नहीं था मैं’, ‘तिनका-तिनका आग’, ‘बस्तियों से बाहर’, ‘राहुल’ (कविता-संग्रह); ‘करुणा’, ‘श्मशान का रहस्य’, ‘छप्पर’ (उपन्यास); ‘तलाश’, ‘खरोंच’ (कहानी-संग्रह); ‘जर्मनी में दलित साहित्य : अनुभव और स्मृतियाँ’ (यात्रा-संस्मरण); ‘मेरे संवाद’ (साक्षात्कार); ‘श्रीलाल शुक्ल कृत 'राग दरबारी' का समाजशास्त्रीय अध्ययन’, ‘इक्कीसवीं सदी में दलित आन्दोलन : साहित्य एवं समाज चिन्‍तन’, ‘दलित विमर्श : साहित्य के आईने में’, ‘वर्तमान दलित आन्दोलन : दशा और दिशा’, ‘हिन्दुत्व और दलित : कुछ प्रश्न कुछ विचार’, ‘डॉ. अम्बेडकर, दलित और बौद्धधर्म’, ‘समाज, संस्कृति और दलित’, ‘दलित साहित्य : सामाजिक बदलाव की पटकथा’, ‘दलित कविता : समकालीन परिदृश्य’ (आलोचना और वैचारिक पुस्तकें); ‘चमार’ (ब्रिटिश लेखक जी.डब्ल्यू. ब्रिग्स द्वारा लिखित पुस्तक 'दि चमार्स' का हिन्दी में अनुवाद); ‘मानवता के दूत’, ‘डॉ. अम्बेडकर की कहानी’, ‘बुद्ध की शरणागत नारियाँ’, ‘बुद्ध और उनके प्रिय शिष्य’, ‘महान बौद्ध बालक’, ‘आदिवासी देवकथा—लिंगो’, ‘हमारे वैज्ञानिक : सी.वी. रमन’ (बाल-साहित्य)।

सम्मान : केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’, हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा ‘विशेष योगदान सम्मान’ सहित अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।

सम्प्रति : निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय।

 

 

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