Cheelen
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹150 ₹90
Save: 40%
In stock
Ships within:
In stock
Weight | 170 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Page Extent:
भीष्म साहनी ने बहैसियत कथाकार पठनीयता और किस्सागोई की कला को इस तरह साधा था कि आलोचक जहाँ उनकी दृष्टि के वैशिष्ट्य से प्रभावित होते थे, वहीँ साधारण पाठक कहानी के कहानीपन से | शहरी और कस्बाई मध्यवर्गीय जीवन में ज्यादा सहूलियत महसूस करनेवाली उनकी लेखनी ने जरूरत पड़ने पर समाज के वीभत्स और भयावह चित्रों को भी अंकित किया | यह वैविध्य इन कहानियों में भी मिलता है | अभी तक असंकलित रही इन कहानियों में ‘सफाई अभियान’ जैसी कहानियाँ भी हैं जो सफेदपोश मध्यवर्ग की वैचारिक दिशाहीनता और सामाजिक निष्क्रियता के डॉ पहलुओं को एक साथ रेखांकित करती हैं, और ‘दुलारी का प्रेमी’ जैसी समाज के पिछवाड़े बसी जिंदगी के काले कोनों को उजागर करती कहानियां भी | सांप्रदायिक सदभाव भीष्म जी के कथाकार की स्थायी चिंताओं में हमेशा रहा | इस संग्रह में शामिल कहानी ‘मैं भी दिया जलाऊंगा, माँ |’ गहरे मानवीय बोध के साथ इसी विषय को संबोधित कहानी है जिसमे एक मुस्लिम बच्चे के मन को अत्यन्त करुणा और भावप्रवणता के साथ उकेरा गया है | कहने की आवश्यकता नहीं कि भीष्म साहनी के पाठकों के लिए यहाँ-वहां प्रकाशित होती रही इन कहानियों की एकत्र प्रस्तुति पाठकों के लिए एक उपहार साबित होगी |
भीष्म साहनी ने बहैसियत कथाकार पठनीयता और किस्सागोई की कला को इस तरह साधा था कि आलोचक जहाँ उनकी दृष्टि के वैशिष्ट्य से प्रभावित होते थे, वहीँ साधारण पाठक कहानी के कहानीपन से | शहरी और कस्बाई मध्यवर्गीय जीवन में ज्यादा सहूलियत महसूस करनेवाली उनकी लेखनी ने जरूरत पड़ने पर समाज के वीभत्स और भयावह चित्रों को भी अंकित किया | यह वैविध्य इन कहानियों में भी मिलता है | अभी तक असंकलित रही इन कहानियों में ‘सफाई अभियान’ जैसी कहानियाँ भी हैं जो सफेदपोश मध्यवर्ग की वैचारिक दिशाहीनता और सामाजिक निष्क्रियता के डॉ पहलुओं को एक साथ रेखांकित करती हैं, और ‘दुलारी का प्रेमी’ जैसी समाज के पिछवाड़े बसी जिंदगी के काले कोनों को उजागर करती कहानियां भी | सांप्रदायिक सदभाव भीष्म जी के कथाकार की स्थायी चिंताओं में हमेशा रहा | इस संग्रह में शामिल कहानी ‘मैं भी दिया जलाऊंगा, माँ |’ गहरे मानवीय बोध के साथ इसी विषय को संबोधित कहानी है जिसमे एक मुस्लिम बच्चे के मन को अत्यन्त करुणा और भावप्रवणता के साथ उकेरा गया है | कहने की आवश्यकता नहीं कि भीष्म साहनी के पाठकों के लिए यहाँ-वहां प्रकाशित होती रही इन कहानियों की एकत्र प्रस्तुति पाठकों के लिए एक उपहार साबित होगी |
About Author
Reviews
There are no reviews yet.
Reviews
There are no reviews yet.