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Chaurasi/चौरासी/84

Publisher:
Hind Yugm
| Author:
Satya Vyas
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Hind Yugm
Author:
Satya Vyas
Language:
Hindi
Format:
Paperback

119

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1-4 Days

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ISBN:
SKU 9789387464254 Category
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‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प्रेम के जीवित रहने की कहानी है। यह उस शहर की व्यथा भी है जो दंगों के कारण विस्थापन का दर्द सीने में लिए रहती है। यह वक़्त का एक दस्तावेज़ है।

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Description

‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प्रेम के जीवित रहने की कहानी है। यह उस शहर की व्यथा भी है जो दंगों के कारण विस्थापन का दर्द सीने में लिए रहती है। यह वक़्त का एक दस्तावेज़ है।

About Author

मीडिया की नजर में- -सत्य व्यास की कलम में नशा-सा है- दीपक दुआ, फिल्म समीक्षक -यह उपन्यास अपनी शैली और कथानक की रफ्तार की वजह से अपनी ओर ध्यान खींचता है- इंडिया टुडे (हिंदी) -साल की सबसे चर्चित किताब है बनारस टॉकीज- आउटलुक (हिंदी) -किस्सों का जखीरा है बनारस टॉकीज- दैनिक भास्कर -काशी को समझने की कोशिश है बनारस टॉकीज- IBN Live -कॉलेज के दिनों की मौज-मस्ती और साथियों के साथ की जाने वाली चुहलबाजी की यादों को तरोताजा करना चाहते हैं तो इस उपन्यास को पढ़ सकते हैं- नवभारत टाइम्स -छात्र-जीवन पर आधारित अच्छी किताबें अंग्रेजी में ही लिखी जा सकती हैं, इस मिथक को झारखंड के बोकारो में पले-बढ़े युवा लेखक ने तोड़ दिया है- प्रभात खबर -कालेज के दिनों को तरोताजा करेगी बनारस टॉकीज- अमर उजाला -Excellent start with fantastic end- Dr. Girish Chandra Mishra, BHU -Refreshing to read a contemporary writer in Hindi- Manish Jha, 'Matrubhoomi', 'Anwar' fame filmmaker -Congratulation for writing such an interesting book named 'BANARAS TALKIES'- Gyan Sahay, Cinematographer, Director : Antakshari/Saregama/Bourn Vita Quiz on Zee TV -काशी का अस्सी के बाद ऐसी टटकी भाषा और ऐसा निहंगपन इस किताब में देखने को मिला है- दैनिक जागरण लेखक, सत्य व्यास के बारे में अस्सी के दशक में बूढ़े हुए। नब्बे के दशक में जवान। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में बचपना गुजरा और कहते हैं कि नई सदी के दूसरे दशक में पैदा हुए हैं। अब जब पैदा ही हुए हैं तो खूब उत्पात मचा रहे हैं। चाहते हैं कि उन्हें कॉस्मोपॉलिटन कहा जाए। हालाँकि देश से बाहर बस भूटान गए हैं। पूछने पर बता नहीं पाते कि कहाँ के हैं। उत्तर प्रदेश से जड़ें जुड़ी हैं। २० साल तक जब खुद को बिहारी कहने का सुख लिया तो अचानक ही बताया गया कि अब तुम झारखंडी हो। उसमें भी खुश हैं। खुद जियो औरों को भी जीने दो के धर्म में विश्वास करते हैं और एक साथ कई-कई चीजें लिखते हैं। अंतर्मुखी हैं इसलिए फोन की जगह ईमेल पर ज्यादा मिलते हैं। हाल ही में छपा इनका दूसरा उपन्यास ‘दिल्ली दरबार’ ख़ूब नाम कमा रहा है। ईमेल : authorsatya@gmail.com" --This text refers to the paperback edition.

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