Charaksanhita Ke Jiva Jantu (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Ramesh Bedi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Ramesh Bedi
Language:
Hindi
Format:
Hardback

1,356

Save: 20%

Out of stock

Ships within:
3-5 days

Out of stock

Weight 0.698 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126704545 Category
Category:
Page Extent:

चरकसंहिता व्यापक रूप से पढ़ा-पढ़ाया जाने वाला आयुर्वेद का प्रतिष्ठित ग्रन्थ है। महर्षि चरक ने इसमें अनेक प्रकार के मानव उपयोगी जीव-जन्तुओं का उल्लेख किया है।वनों, वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं के अन्वेषक, प्राणि-विशेषज्ञ रामेश बेदी ने अपनी दीर्घकालीन अनुभव के आधार पर उनकी प्रकृति और जातियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें निम्नलिखित वर्गों में श्रेणीबद्ध किया है—स्तनपायी की 44 जातियाँ, पक्षियों की 42 जातियाँ, सरीसृपों की 12 जातियाँ, क्षुद्र जीवों की 12 जातियाँ, कुल 110 जातियाँ।इन जीव-जन्तुओं के सम्बन्ध में दिए गए 46 रंगीन फोटो तथा 128 सादे चित्र इनके स्वरूप को भली भाँति समझने में सहायक होंगे।चरकसंहिता के जीव-जन्तुओं के स्वरूप, रहन-सहन, आहार-विहार, पारिवारिक जीवन, प्रजनन, सन्तान का पालन-पोषण, इन्सान के साथ उनका स्ने​हिल व्यवहार, इन्सान के लिए उनकी उपादेयता का लेखक ने विस्तार से परिचय दिया है। लेखक के अनुभव रोचक हैं। भाषा सरल, प्रवाहमयी और आकर्षक है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Charaksanhita Ke Jiva Jantu (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

चरकसंहिता व्यापक रूप से पढ़ा-पढ़ाया जाने वाला आयुर्वेद का प्रतिष्ठित ग्रन्थ है। महर्षि चरक ने इसमें अनेक प्रकार के मानव उपयोगी जीव-जन्तुओं का उल्लेख किया है।वनों, वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं के अन्वेषक, प्राणि-विशेषज्ञ रामेश बेदी ने अपनी दीर्घकालीन अनुभव के आधार पर उनकी प्रकृति और जातियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें निम्नलिखित वर्गों में श्रेणीबद्ध किया है—स्तनपायी की 44 जातियाँ, पक्षियों की 42 जातियाँ, सरीसृपों की 12 जातियाँ, क्षुद्र जीवों की 12 जातियाँ, कुल 110 जातियाँ।इन जीव-जन्तुओं के सम्बन्ध में दिए गए 46 रंगीन फोटो तथा 128 सादे चित्र इनके स्वरूप को भली भाँति समझने में सहायक होंगे।चरकसंहिता के जीव-जन्तुओं के स्वरूप, रहन-सहन, आहार-विहार, पारिवारिक जीवन, प्रजनन, सन्तान का पालन-पोषण, इन्सान के साथ उनका स्ने​हिल व्यवहार, इन्सान के लिए उनकी उपादेयता का लेखक ने विस्तार से परिचय दिया है। लेखक के अनुभव रोचक हैं। भाषा सरल, प्रवाहमयी और आकर्षक है।

About Author

रामेश बेदी

बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न लेखक और प्रकृति के कुशल फ़ोटोग्राफ़र।

जन्म : 20 जून, 1915; कालाबाग़, उत्तर-पश्चिमी सीमा-प्रान्त (अब पाकिस्तान)।

शिक्षा : गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में अन्तेवासी के रूप में। जंगल के जीव-जन्तुओं के  अध्ययन, उनकी फ़ोटोग्राफ़ी तथा फ़‍िल्मिंग के दौरान श्री रामेश बेदी ने महीनों नेशनल पार्कों और अभयवनों में गुज़ारे। निरन्तर सान्निध्य से वन्य-जीवों के स्वभाव और उनकी संवेदनशील जीवन-शैली की बारीकियों को समझा। फलस्वरूप, ख़ूँख़ार समझे जानेवाले जानवरों और श्री बेदी के बीच की खाईं कमोबेश पट गई थी।

कृतियाँ : जीव-जन्तु विषयक पुस्तकें —‘आदमख़ोरों के बीच’, ‘गैंडा’, ‘सिंह’, ‘सिंहों के जंगल में’, ‘तेन्‍दुआ और चीता’, ‘कबूतर’, ‘गजराल’, ‘चरकसंहिता के जीव-जन्तु’, ‘जंगल की बातें’ आदि। वनस्पतियों सम्बन्धी पुस्तकें —‘गुणकारी फल’, ‘मानव उपयोगी पेड़’, ‘जंगल की जड़ी-बूटियाँ’, ‘जंगल के उपयोगी वृक्ष’ आदि। यात्रा-वृत्तान्त और कुछ अंग्रेज़ी की पुस्तकें भी प्रकाशित। कुछ पुस्तकें रूसी, पंजाबी, कन्नड़, ओड़िया, बंगाली, गुजराती, मराठी में अनूदित-प्रकाशित। अनेक लेख अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, जापानी, इतालवी, नेपाली, मराठी, मलयालम आदि में अनूदित-प्रकाशित।

यात्रा : अनुसन्धान कार्यों के सिलसिले में लन्दन, ब्राज़ील, कनाडा, भूटान और श्रीलंका की यात्रा।

सम्मान : हिन्दी अकादमी, दिल्ली और संस्कृत अकादमी, दिल्‍ली द्वारा प्रशस्ति-पत्र एवं ‘साहित्यिक कृति सम्मान’, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ‘मेदिनी पुरस्कार’, ‘इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार’ (मरणोपरान्‍त) आदि।

निधन : 9 अप्रैल, 2003

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Charaksanhita Ke Jiva Jantu (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED