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Buddh Nirvan Ki Raah Par (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
PRABHAT K. SINGH
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
PRABHAT K. SINGH
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹695 ₹556
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ISBN:
SKU
9789394902664
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
बुद्ध के जीवन पर आधारित इस उपन्यास में बुद्ध के सभी सिद्धान्तों को कथा-सूत्र में पिरोकर प्रस्तुत किया गया है, जिन्हें बुद्ध के बुद्धत्व की थाती माना गया। सहज, जीवन से जुड़ी भाषा में लिखा गया उपन्यास बुद्ध या उनके दर्शन को लेकर कोई विमर्श खड़ा करने का प्रयास न करके उनकी जीवन की घटनाओं के साथ भौतिक संसार से शनै:-शनै: उनके मोहभंग को दिखाता हुआ उनकी निर्वाण-यात्रा के पथ को पुन: आलोकित करता है। वह भी इतनी सहज गति के साथ कि कहीं-कहीं वह आपको अपनी ही यात्रा लगने लगती है।
यह उपन्यास के सहजता के ही कारण है कि इसे पढ़ते हुए हमारे मन में अपने आसपास व्याप्त हिंसा, असहिष्णुता और पौरुष के निकृष्टतम संस्करणों का सर्व-स्वीकृत प्रचलन चकित करने लगता है। किसी भी विभूति के जीवन को आधार बनाकर लिखे गए उपन्यास की सबसे बड़ी सफलता यही मानी जानी चाहिए कि वह तर्कों के नहीं, संवेदना के स्तर पर हमें कितना उस व्यक्ति के जीवन और प्रतिश्रुतियों से जोड़ता है। इस अर्थ में यह सर्वथा सफल उपन्यास है।
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Description
बुद्ध के जीवन पर आधारित इस उपन्यास में बुद्ध के सभी सिद्धान्तों को कथा-सूत्र में पिरोकर प्रस्तुत किया गया है, जिन्हें बुद्ध के बुद्धत्व की थाती माना गया। सहज, जीवन से जुड़ी भाषा में लिखा गया उपन्यास बुद्ध या उनके दर्शन को लेकर कोई विमर्श खड़ा करने का प्रयास न करके उनकी जीवन की घटनाओं के साथ भौतिक संसार से शनै:-शनै: उनके मोहभंग को दिखाता हुआ उनकी निर्वाण-यात्रा के पथ को पुन: आलोकित करता है। वह भी इतनी सहज गति के साथ कि कहीं-कहीं वह आपको अपनी ही यात्रा लगने लगती है।
यह उपन्यास के सहजता के ही कारण है कि इसे पढ़ते हुए हमारे मन में अपने आसपास व्याप्त हिंसा, असहिष्णुता और पौरुष के निकृष्टतम संस्करणों का सर्व-स्वीकृत प्रचलन चकित करने लगता है। किसी भी विभूति के जीवन को आधार बनाकर लिखे गए उपन्यास की सबसे बड़ी सफलता यही मानी जानी चाहिए कि वह तर्कों के नहीं, संवेदना के स्तर पर हमें कितना उस व्यक्ति के जीवन और प्रतिश्रुतियों से जोड़ता है। इस अर्थ में यह सर्वथा सफल उपन्यास है।
About Author
शिव के. कुमार
अंग्रेज़ी के मूर्धन्य रचनाकार व चिन्तक।
जन्म : लाहौर।
शिक्षा : लाहौर और इंग्लैंड में। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
उस्मानिया विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर रहे। सेंट्रल गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी ऑफ़ हैदराबाद के वाइस चांसलर पद पर कार्य किया। अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में वर्षों अंग्रेज़ी का अध्यापन किया।
प्रकाशन : विश्व के प्रतिष्ठित प्रकाशनों से कविता, उपन्यास, नाटक और अनुवाद की 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
कविताओं और कहानियों का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशन।
बी.बी.सी. प्रसारण सेवा से अनेक रचनाएँ प्रसारित।
आपके रचनात्मक योगदान पर तीन आलोचनात्मक पुस्तकें प्रकाशित।
प्रमुख सम्मान : साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1986), रॉयल सोसायटी ऑफ लिटरेचर, लन्दन के फ़ेलो चयनित (1978) एवं पद्मभूषण (2001)।
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