![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 30%
![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 20%
Bhartrihari : Kaya Ke Van Mein (HB)
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹899 ₹719
Save: 20%
In stock
Ships within:
In stock
ISBN:
Page Extent:
राजा भर्तृहरि, प्रेमी भर्तृहरि, कवि भर्तृहरि, वैयाकरण भर्तृहरि और योगी भर्तृहरि। उनके आयाम, समय और देश का अपार विस्तार। भर्तृहरि के जीवन में एक ओर प्रेम और कामिनियों के आकर्षण हैं तो दूसरी ओर वैराग्य का शान्ति-संघर्ष। वह संसार से बार-बार भागते हैं, बार-बार लौटते हैं। इसी के साथ उनके समय की सामाजिक, धार्मिक उथल-पुथल भी जुड़ी है।
भर्तृहरि का द्वन्द्व सीधे गृहस्थ व वैराग्य का न होकर तिर्यक है। विशेष है। वह इसलिए कि वे कवि हैं, वैयाकरण भी। सुकवि अनेक होते हैं तथा विद्वान भी लेकिन भर्तृहरि जैसे सुकवि और विद्वान एक साथ बिरले ही होते हैं।
सुपरिचित कथाकार महेश कटारे का यह उपन्यास इन्हीं भर्तृहरि के जीवन पर केन्द्रित है। इस व्यक्तित्व को, जिसके साथ असंख्य किंवदन्तियाँ भी जुड़ी हैं, उपन्यास में समेटना आसान काम नहीं था, लेकिन लेखक ने अपनी सामर्थ्य-भर इस कथा को प्रामाणिक और विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया है। भर्तृहरि के निज के अलावा उन्होंने इसमें तत्कालीन सामाजिक और धार्मिक परिस्थितियों का भी अन्वेषण किया है। उपन्यास के पाठ से गुज़रते हुए हम एक बार उसी समय में पहुँच जाते हैं।
भर्तृहरि के साथ दो बातें और जुड़ी हुई हैं—जादू और तंत्र-साधना। लेखक के शब्दों में, ‘मेरा चित्त अस्थिर था, कथा के प्रति आकर्षण बढ़ता और भय भी, कि ये तंत्र-मंत्र, जादू-टोने कैसे समेटे जाएँगे? भाषा भी बहुत बड़ी समस्या थी कि वह ऐसी हो जिसमें उस समय की ध्वनि हो।’ इतनी सजगता के साथ रचा गया यह उपन्यास पाठकों को कथा के आनन्द के साथ इतिहास का सन्तोष भी देगा।
राजा भर्तृहरि, प्रेमी भर्तृहरि, कवि भर्तृहरि, वैयाकरण भर्तृहरि और योगी भर्तृहरि। उनके आयाम, समय और देश का अपार विस्तार। भर्तृहरि के जीवन में एक ओर प्रेम और कामिनियों के आकर्षण हैं तो दूसरी ओर वैराग्य का शान्ति-संघर्ष। वह संसार से बार-बार भागते हैं, बार-बार लौटते हैं। इसी के साथ उनके समय की सामाजिक, धार्मिक उथल-पुथल भी जुड़ी है।
भर्तृहरि का द्वन्द्व सीधे गृहस्थ व वैराग्य का न होकर तिर्यक है। विशेष है। वह इसलिए कि वे कवि हैं, वैयाकरण भी। सुकवि अनेक होते हैं तथा विद्वान भी लेकिन भर्तृहरि जैसे सुकवि और विद्वान एक साथ बिरले ही होते हैं।
सुपरिचित कथाकार महेश कटारे का यह उपन्यास इन्हीं भर्तृहरि के जीवन पर केन्द्रित है। इस व्यक्तित्व को, जिसके साथ असंख्य किंवदन्तियाँ भी जुड़ी हैं, उपन्यास में समेटना आसान काम नहीं था, लेकिन लेखक ने अपनी सामर्थ्य-भर इस कथा को प्रामाणिक और विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया है। भर्तृहरि के निज के अलावा उन्होंने इसमें तत्कालीन सामाजिक और धार्मिक परिस्थितियों का भी अन्वेषण किया है। उपन्यास के पाठ से गुज़रते हुए हम एक बार उसी समय में पहुँच जाते हैं।
भर्तृहरि के साथ दो बातें और जुड़ी हुई हैं—जादू और तंत्र-साधना। लेखक के शब्दों में, ‘मेरा चित्त अस्थिर था, कथा के प्रति आकर्षण बढ़ता और भय भी, कि ये तंत्र-मंत्र, जादू-टोने कैसे समेटे जाएँगे? भाषा भी बहुत बड़ी समस्या थी कि वह ऐसी हो जिसमें उस समय की ध्वनि हो।’ इतनी सजगता के साथ रचा गया यह उपन्यास पाठकों को कथा के आनन्द के साथ इतिहास का सन्तोष भी देगा।
About Author
महेश कटारे
आपका जन्म जनवरी, 1948 को ग्राम—बिल्हैटी, ज़िला—ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ। आपने असंस्थागत रहकर तीन विषयों में एम.ए. तक की पढ़ाई की। आजीविका के लिए खेती, फिर कुछ वर्ष स्कूल में अध्यापन।
आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘समर शेष है’, ‘इतिकथा अथकथा’, ‘मुर्दा स्थगित’, ‘पहरुआ’, ‘छछिया भर छाछ’, ‘सात पान की हमेल’, ‘मेरी प्रिय कथाएँ’, ‘गौरतलब कहानियाँ’ (कहानी); ‘महासमर का साक्षी’, ‘अँधेरे युगान्त के’, ‘पचरंगी’ (नाटक); ‘पहियों पर रात दिन’, ‘देस बिदेस दरवेश’ (यात्रावृत्त); ‘कामिनी काय कांतारे, ‘कालीधार’ (शीघ्र प्रकाश्य) (उपन्यास); ‘समय के साथ-साथ’, ‘नज़र इधर-उधर’ (अन्य)।
प्रायः सभी हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, नाट्य-समीक्षाएँ आदि प्रकाशित, नृत्य-नाटिकाओं का मंचन-प्रसारण।
आप ‘सारिका सर्वभाषा कहानी प्रतियोगिता-1983’ में प्रथम, ‘वागीश्वरी सम्मान’, म.प्र.सा. परिषद का ‘मुक्तिबोध पुरस्कार’, म.प्र.सा. अकादेमी से ‘सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘बिहार राजभाषा परिषद् सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान', ‘कथाक्रम सम्मान’, ‘ढींगरा फ़ाउंडेशन कथा सम्मान’ (स्कारबरो, कनाडा), ‘कुसुमांजलि सम्मान-2015’ से सम्मानित किए जा चुके हैं।
फ़िलहाल आप खेती और लेखन में व्यस्त हैं।
Reviews
There are no reviews yet.
Related products
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
RELATED PRODUCTS
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
Reviews
There are no reviews yet.