Bharat Mein Sampradayik Dange Aur Aatankvad (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Prateep K. Lahari, Tr. Sushil Trivedi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Prateep K. Lahari, Tr. Sushil Trivedi
Language:
Hindi
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भारत में जहाँ दोनों समुदायों का समान इतिहास और एक समान संस्कृति की साझेदारी है, उनकी राष्ट्रीयता एक है। कुछ मुसलमान हैं और कुछ हिन्दू हैं किन्तु दोनों भारतीय हैं। न्यस्त स्वार्थों या धार्मिक नेताओं द्वारा इनके बीच जानबूझकर अलगाव पैदा किया जाता है और फिर उसे बढ़ावा दिया जाता है जिससे कि चुनावी तथा अन्य कारणों के लिए दोनों समुदायों को एक-दूसरे से दूर रखा जाए। यह अलगाव पूर्वग्रह और धर्मान्धता का पोषण करता है।
एक विख्यात प्रशासनिक शासकीय अधिकारी पी.के. लाहिरी ने जो महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, उसके समक्ष मेरी अच्छी-से-अच्छी कोशिश भी तुच्छ लगेगी। उन्होंने अनेक हिन्दू-मुसलमान दंगों को क़रीब से देखा है और उनके कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करने का उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने दंगों का जो विवरण दिया है, उसमें छोटी-से-छोटी बात भी शामिल है, उससे मैं मंत्रमुग्ध हो गया हूँ।
मैं श्री लाहिरी से सहमत हूँ कि हिन्दू-मुसलमान दंगों की तुलना सभ्यताओं के संघर्ष से नहीं की जा सकती है और न ही उनका सम्बन्ध नस्लवाद के प्रश्न से है। इसका ज़्यादा सम्बन्ध पहचान को लेकर है, उस भय से कि बहुसंख्यक लोग कम संख्या वाले लोगों का नाश कर देंगे। शेष बात पूर्वग्रह या पक्षपात की है। धर्मान्ध और धार्मिकता के प्रति रूझान वाले राजनीतिक दल इसके लिए ज़िम्मेवार हैं। लाहिरी की पुस्तक ने मेरे ज्ञान को बढ़ाया है। पाठको, आपके साथ भी यही होगा। आपको भी यही अनुभव होगा। इस विद्वत्तापूर्ण कार्य को करने के लिए लाहिरी डॉक्टरेट के हक़दार हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि कोई विश्वविद्यालय उन्हें यह सम्मान देगा।
—कुलदीप नैयर
 

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Description

भारत में जहाँ दोनों समुदायों का समान इतिहास और एक समान संस्कृति की साझेदारी है, उनकी राष्ट्रीयता एक है। कुछ मुसलमान हैं और कुछ हिन्दू हैं किन्तु दोनों भारतीय हैं। न्यस्त स्वार्थों या धार्मिक नेताओं द्वारा इनके बीच जानबूझकर अलगाव पैदा किया जाता है और फिर उसे बढ़ावा दिया जाता है जिससे कि चुनावी तथा अन्य कारणों के लिए दोनों समुदायों को एक-दूसरे से दूर रखा जाए। यह अलगाव पूर्वग्रह और धर्मान्धता का पोषण करता है।
एक विख्यात प्रशासनिक शासकीय अधिकारी पी.के. लाहिरी ने जो महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, उसके समक्ष मेरी अच्छी-से-अच्छी कोशिश भी तुच्छ लगेगी। उन्होंने अनेक हिन्दू-मुसलमान दंगों को क़रीब से देखा है और उनके कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करने का उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने दंगों का जो विवरण दिया है, उसमें छोटी-से-छोटी बात भी शामिल है, उससे मैं मंत्रमुग्ध हो गया हूँ।
मैं श्री लाहिरी से सहमत हूँ कि हिन्दू-मुसलमान दंगों की तुलना सभ्यताओं के संघर्ष से नहीं की जा सकती है और न ही उनका सम्बन्ध नस्लवाद के प्रश्न से है। इसका ज़्यादा सम्बन्ध पहचान को लेकर है, उस भय से कि बहुसंख्यक लोग कम संख्या वाले लोगों का नाश कर देंगे। शेष बात पूर्वग्रह या पक्षपात की है। धर्मान्ध और धार्मिकता के प्रति रूझान वाले राजनीतिक दल इसके लिए ज़िम्मेवार हैं। लाहिरी की पुस्तक ने मेरे ज्ञान को बढ़ाया है। पाठको, आपके साथ भी यही होगा। आपको भी यही अनुभव होगा। इस विद्वत्तापूर्ण कार्य को करने के लिए लाहिरी डॉक्टरेट के हक़दार हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि कोई विश्वविद्यालय उन्हें यह सम्मान देगा।
—कुलदीप नैयर
 

About Author

प्रतीप के. लाहिरी

शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आधुनिक इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि और यूनाइटेड किंगडम के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से विकास अध्ययन विषय में विशेष योग्यता के साथ पत्रोपाधि प्राप्त की। श्री लाहिरी ने छत्तीस वर्षों तक आईएएस अधिकारी के रूप में उत्कृष्ट सिविल सेवा की। वे भारत शासन के खान और वित्त मंत्रालय के सचिव के शीर्ष पदों पर पदस्थ रहे। उन्होंने अनेक बार विदेश यात्राएँ की हैं और विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों में भारत शासन के प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया है।
श्री लाहिरी ने मध्य प्रदेश शासन के अन्तर्गत ग्वालियर सम्भाग के सम्भागीय आयुक्त और बाद में प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के पदों पर कार्य किया। सिविल सेवा के प्रारम्भिक वर्षों में उन्हें कई ज़िलों में ज़िला दंडाधिकारी के रूप में सेवा करते हुए साम्प्रदायिक संघर्षों और दंगों से निपटने का प्रत्यक्ष अनुभव रहा।
एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी), मनीला के रेजीडेंट मंडल में भारत के कार्यपालन निदेशक के रूप में उन्होंने लगभग चार वर्षों तक कार्य किया। इस दौरान उन्हें भारत के राजदूत का दर्जा प्राप्त था। सिविल सेवा से निवृत्त होने के उपरान्त वे भारत में समाचार-पत्र उद्योग के शीर्ष संगठन ‘इंडियन न्यूज़ पेपर सोसाइटी’ (आईएनएस) के महासचिव के रूप में मीडिया से सम्बद्ध रहे हैं।

नवम्‍बर 2019 में, उन्हें मैक्सेल लीडरशिप काउंसिल और इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा सार्वजनिक सेवा के लिए ‘लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।

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