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Bharat Ke Pradhanmantri : Desh, Dasha, Disha (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
RASHEED KIDWAI
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
RASHEED KIDWAI
Language:
Hindi
Format:
Paperback

239

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SKU 9788195099597 Category
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तकनीक और संचार के अभूतपूर्व विस्तार तथा राजनीति में लोगों की बेहिसाब दिलचस्पी के मेल से हैरतअंगेज़ नतीजे सामने आए हैं। इसका एक चिन्ताजनक पहलू है—इतिहास के निर्माताओं, समाज के नेतृत्वकर्ताओं और उनके कार्यों के बारे में सचाई से परे मनगढ़ंत बातों का बड़े पैमाने पर प्रसार। यह स्थिति आम जनता को भ्रमित करती है। उन्हें अपने देश और समाज की वास्तविकता से दूर करती है, सही और तथ्यसंगत राय बनाने में अक्षम बनाती है। ऐसे में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तित्व, कार्यों, नीतियों और उनके प्रभावों पर केन्द्रित इस किताब का महत्त्व असंदिग्ध है।
आज़ादी के 75वें साल में प्रकाशित यह पुस्तक, पहले प्रधानमंत्री से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री तक, हमारे शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं के विचारों और कार्यों का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है तथा एक लोकतंत्र के रूप में भारत की प्रगति और उसके रास्ते में खड़े अवरोधों के बारे में सोचने का सूत्र देती है।
व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के दौर में यह किताब तथ्यपरक ढंग से बतलाती है कि जब कभी देश के विकास की ज़रूरतों पर शीर्षस्थ नेतृत्व की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा हावी हुई, भारतीय लोकतंत्र प्रभावित हुआ।
एक अनुभवी पत्रकार की क़लम से देश के सभी प्रधानमंत्रियों का निष्पक्ष आकलन पेश करती यह कृति भारतीय लोकतंत्र में दिलचस्पी रखनेवाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक ज़रूरी दस्तावेज़ साबित होगी।

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Description

तकनीक और संचार के अभूतपूर्व विस्तार तथा राजनीति में लोगों की बेहिसाब दिलचस्पी के मेल से हैरतअंगेज़ नतीजे सामने आए हैं। इसका एक चिन्ताजनक पहलू है—इतिहास के निर्माताओं, समाज के नेतृत्वकर्ताओं और उनके कार्यों के बारे में सचाई से परे मनगढ़ंत बातों का बड़े पैमाने पर प्रसार। यह स्थिति आम जनता को भ्रमित करती है। उन्हें अपने देश और समाज की वास्तविकता से दूर करती है, सही और तथ्यसंगत राय बनाने में अक्षम बनाती है। ऐसे में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तित्व, कार्यों, नीतियों और उनके प्रभावों पर केन्द्रित इस किताब का महत्त्व असंदिग्ध है।
आज़ादी के 75वें साल में प्रकाशित यह पुस्तक, पहले प्रधानमंत्री से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री तक, हमारे शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं के विचारों और कार्यों का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है तथा एक लोकतंत्र के रूप में भारत की प्रगति और उसके रास्ते में खड़े अवरोधों के बारे में सोचने का सूत्र देती है।
व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के दौर में यह किताब तथ्यपरक ढंग से बतलाती है कि जब कभी देश के विकास की ज़रूरतों पर शीर्षस्थ नेतृत्व की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा हावी हुई, भारतीय लोकतंत्र प्रभावित हुआ।
एक अनुभवी पत्रकार की क़लम से देश के सभी प्रधानमंत्रियों का निष्पक्ष आकलन पेश करती यह कृति भारतीय लोकतंत्र में दिलचस्पी रखनेवाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक ज़रूरी दस्तावेज़ साबित होगी।

About Author

रशीद किदवई

सुपरिचित पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ऑब्जर्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन के विजिटिंग फेलो हैं। सामुदायिक मामलों और हिन्दी सिनेमा पर भी उनकी विशेष पकड़ है। लम्बे समय तक ‘द टेलीग्राफ’ से जुड़े रहे। फ़िलहाल अंग्रेज़ी, हिन्दी और उर्दू के कई अख़बारों में कॉलम लिख रहे हैं। ‘24 अकबर रोड’ उनकी महत्वपूर्ण किताब है जो कांग्रेस पार्टी के बारे में एक विश्वसनीय काम समझा जाता है। उनकी अन्य चर्चित किताबें हैं—‘सोनिया : ए बायोग्राफी’, ‘बैलट : टेन एपिसोड्स दैट हैव शेप्ड इंडिया’ज़ डेमोक्रेसी’, ‘नेता-अभिनेता : बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ और ‘दि हाउस ऑफ़ सिंधियाज़ : ए सागा ऑफ़ पॉवर, पॉलिटिक्स एंड इंट्रीग’।

 

‘भारत के प्रधानमंत्री : देश, दशा, दिशा’ रशीद किदवई की हिंदी में पहली किताब है।

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