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Begane Apne
Publisher:
Vani Prakashan(Pujy Prakashan )
| Author:
विष्णु चन्द्र शर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan(Pujy Prakashan )
Author:
विष्णु चन्द्र शर्मा
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹175 ₹174
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788181434900
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
96
बेगाने अपने –
वरिष्ठ साहित्यकार विष्णुचन्द्र शर्मा का ताजा उपन्यास है – बेगाने अपने जो साम्राज्यवाद के अपने ही घर की टूटन और आपसी बेगानगी एकाकीपन की खोजी दृष्टि से अंकन करता है। अमरीका में जा बसे भारतीय हो, या दूसरे देश के नागरिक अथवा अमरीकीवासी हर पात्र का अपना इन्द्र है, संघर्ष है। सारे चातुर्य और कुटिलता के बावजूद अमरीका के नागरिक हताश और निराश है। उपन्यास का यह उद्धरण समूची अमरीका की पूरी सच्चाई बयान कर देता है: “यहाँ न्यूयार्क में हरेक को यह निजी समस्या है। इस समाज में व्यक्ति के लिए सिमट जाना आवश्यक है। ‘सिमटे तो दिले-आशिक, फैले तो ज़माना है।’ यहाँ फैलाव नहीं है। यहाँ सिमटा हुआ आशिक बढ़ा भी है, युवा भी है। बस पर सब-वे में, सड़क पर तुम्हें ऐसे चेहरे मिल जायेंगे, जो जीवन निर्वाह के लिए सिमट गये हैं। यह डर का सिमटना भी है। बड़ क्लेयर का भाई है, वह डरकर एबनार्मल होता जा रहा। है। क्लेयर डरकर धन कमाने के लिए जान दे देती है। एक दृष्टिकोण से यह निष्ठुरता है। अपने को मारने की निष्ठुर प्रक्रिया है मित्र। यहाँ की सभ्यता के दो दरवाज़े हैं, एक दरवाज़ा साइकिक के पास ले जाता है। दूसरा दरवाज़ा अध्यात्म की दुकानों में व्यक्ति को पहुँचा देता है।”
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Description
बेगाने अपने –
वरिष्ठ साहित्यकार विष्णुचन्द्र शर्मा का ताजा उपन्यास है – बेगाने अपने जो साम्राज्यवाद के अपने ही घर की टूटन और आपसी बेगानगी एकाकीपन की खोजी दृष्टि से अंकन करता है। अमरीका में जा बसे भारतीय हो, या दूसरे देश के नागरिक अथवा अमरीकीवासी हर पात्र का अपना इन्द्र है, संघर्ष है। सारे चातुर्य और कुटिलता के बावजूद अमरीका के नागरिक हताश और निराश है। उपन्यास का यह उद्धरण समूची अमरीका की पूरी सच्चाई बयान कर देता है: “यहाँ न्यूयार्क में हरेक को यह निजी समस्या है। इस समाज में व्यक्ति के लिए सिमट जाना आवश्यक है। ‘सिमटे तो दिले-आशिक, फैले तो ज़माना है।’ यहाँ फैलाव नहीं है। यहाँ सिमटा हुआ आशिक बढ़ा भी है, युवा भी है। बस पर सब-वे में, सड़क पर तुम्हें ऐसे चेहरे मिल जायेंगे, जो जीवन निर्वाह के लिए सिमट गये हैं। यह डर का सिमटना भी है। बड़ क्लेयर का भाई है, वह डरकर एबनार्मल होता जा रहा। है। क्लेयर डरकर धन कमाने के लिए जान दे देती है। एक दृष्टिकोण से यह निष्ठुरता है। अपने को मारने की निष्ठुर प्रक्रिया है मित्र। यहाँ की सभ्यता के दो दरवाज़े हैं, एक दरवाज़ा साइकिक के पास ले जाता है। दूसरा दरवाज़ा अध्यात्म की दुकानों में व्यक्ति को पहुँचा देता है।”
About Author
विष्णुचन्द्र शर्मा -
जन्म : 1 अप्रैल, 1933, काशी में।
शिक्षा : एम.ए.एस. काशी विद्यापीठ, एम.ए. हिन्दी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय।
कृतियाँ : मौन शान्त सेंटर जल का, आकाश विभाजित है, तत्काल अन्तरंग, नयन है हिन्दुस्तानी, अनुबन्ध, अव्वल तो मैं सनद हूँ, अनुभव की बात कबीर कहे, तलाश वसन्त की तथा समय है परिपक्व (कविता); धीरज का रथ (काव्य-रूपक) जानवर तन्त्र (सांग-रूपक व्यंग्य) तालमेल मंजरी, चाणक्य की जय कथा, विडवना, दिल को मला करे तथा बेगाने अपने (उपन्यास); अपना पोस्टर तथा दोगले सपने (कहानी); अन्त की शुरुआत तथा बेज़बान (नाटक); यात्री का देश (यात्रा संस्मरण) इन लोगों के मध्य घराना, अभिन्न, हम अकेले कहाँ हैं मनमोहन ठाकौर तथा चुप हैं यो (संस्मरण), अग्नि सेतु (काजी नज़रूल इस्लाम), स्वराज के मन्त्रदाता (लोकमान्य तिलक) समय साम्यवादी (राहुल सांस्कृत्यायन), मुक्तिबोध की आत्मकथा तथा कबीर की डायरी (जीवनी); काल से होड़ लेता शमशेर, नागार्जुन : एक लम्बी जिरह, ग़ालिब और निराला : मेरा काव्यानुमान (आलोचना)।
सम्पादन : पं. रामानारायण मिश्रा स्मृति ग्रन्थ, यथार्थ से साक्षात्कार : यशपाल, नागर, रेणु, अमरकात 'नया मानदंड' के आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तथा शिवदान सिंह चौहान पर केन्द्रित विशेष अंक, अरधान (त्रिलोचन की कविताएँ), शिवदान सिंह चौहान की तीन पुस्तकों तथा 'कवि' मासिक, 'सर्वनाम' मासिक तथा त्रैमासिक का।
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