Bahati Ganga (PB)

Publisher:
RADHA
| Author:
Shivprasad Mishra 'Rudra'
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
RADHA
Author:
Shivprasad Mishra 'Rudra'
Language:
Hindi
Format:
Hardback

198

Save: 1%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 0.194 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788171194780 Category
Category:
Page Extent:

बहती गंगा’ अपने ढंग की अनूठी रचना है। यह अकेली रचना इसके लेखक शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ काशिकेय को अक्षय कीर्ति दे गई है। भिन्न-भिन्न शीर्षकों से सत्रह अध्यायों में विभक्त यह कृति आख्यान और किंवदंतियों का एक अद्भुत मिश्रण वाला उपन्यास है। अलग-अलग अध्याय अपने आप में पूर्ण एक कथा होने के साथ-साथ किसी चरित्र के माध्यम से विकसित होकर परवर्ती अध्याय की कथा से जुड़ते दिखाई पड़ते हैं। परम्परागत अर्थों में किसी केन्द्रीय चरित्र या कथानक की जगह सारे चरित्र और सभी आख्यान बनारस की भावभूमि, उसके इतिहास, भूगोल, उसकी संस्कृति और उत्थान-पतन की महागाथा बनते हैं। अध्यायों के शीर्षक ही नहीं, भाषा, मानवीय व्यवहार और वातावरण का चित्रण बेहद सटीक और मार्मिक है। सबसे बड़ी बात यह है कि रचनाकार यथार्थ और आदर्श, दंतकथा और इतिहास मानव-मन की दुर्बलताओं और उदात्तताओं को इस तरह मिलाता है कि उससे जो तस्वीर बनती है वह एक पूरे समाज, की खरी और सच्ची कहानी कह डालती है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bahati Ganga (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

बहती गंगा’ अपने ढंग की अनूठी रचना है। यह अकेली रचना इसके लेखक शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ काशिकेय को अक्षय कीर्ति दे गई है। भिन्न-भिन्न शीर्षकों से सत्रह अध्यायों में विभक्त यह कृति आख्यान और किंवदंतियों का एक अद्भुत मिश्रण वाला उपन्यास है। अलग-अलग अध्याय अपने आप में पूर्ण एक कथा होने के साथ-साथ किसी चरित्र के माध्यम से विकसित होकर परवर्ती अध्याय की कथा से जुड़ते दिखाई पड़ते हैं। परम्परागत अर्थों में किसी केन्द्रीय चरित्र या कथानक की जगह सारे चरित्र और सभी आख्यान बनारस की भावभूमि, उसके इतिहास, भूगोल, उसकी संस्कृति और उत्थान-पतन की महागाथा बनते हैं। अध्यायों के शीर्षक ही नहीं, भाषा, मानवीय व्यवहार और वातावरण का चित्रण बेहद सटीक और मार्मिक है। सबसे बड़ी बात यह है कि रचनाकार यथार्थ और आदर्श, दंतकथा और इतिहास मानव-मन की दुर्बलताओं और उदात्तताओं को इस तरह मिलाता है कि उससे जो तस्वीर बनती है वह एक पूरे समाज, की खरी और सच्ची कहानी कह डालती है।

About Author

शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’

 

जन्म : 27 सितम्बर, 1911; ज्ञानवापी, वाराणसी।

शिक्षा : बी.ए., एम.ए., बी.टी., काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

कार्यक्षेत्र : ‘रॉबटर्सगंज’ के दुद्धी चोपन में इंस्पेक्टर ऑव स्कूल। दैनिक ‘आज’, ‘सन्मार्ग’, ‘संसार’, ‘नागरी’ आदि पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन।

हरिश्चन्द्र कॉलेज, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में अध्यापन। काशी नागरीप्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री। रत्नाकर-रसिक मंडल, दीन सुकवि मंडल; लाला भगवानदीन साहित्य महाविद्यालय; अखिल भारतीय विक्रम परिषद्; हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग; भोजपुरी संसद; शनिवार गोष्ठी आदि संस्थानों में महत्त्वपूर्ण योगदान।

प्रमुख प्रकाशन : ‘बहती गंगा’, ‘सु-चि-ता-च’, ‘रामबोला रामबोले’ (उपन्यास); ‘ग़ज़लिका’ (ग़ज़ल-संग्रह); ‘तुलसीदास’ (लघु खंडकाव्य); ‘अध्यापन कला’ (शिक्षणशास्त्र); ‘महाकवि कालिदास’, ‘दशाश्वमेध’ (नाटक)। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ, निबन्ध, लेख, संस्मरण, समीक्षाएँ आदि प्रकाशित। विभिन्न कृतियों का सम्पादन जिनमें ‘तेगअली काशिका’, ‘चीन को चेतावनी’, ‘भारतेन्दु ग्रन्थावली’, ‘सत्य हरिश्चन्द्र’, ‘छिताईवार्ता’, ‘हकायके हिन्दी’, ‘नाथसिद्धों की बानियाँ’, ‘रास और रासान्वयी काव्य’ आदि।

निधन : 31 अगस्त, 1970; वाराणसी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bahati Ganga (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED