SaleHardback
Andhere Mein Hanshi
₹250 ₹188
Save: 25%
Bharat Mein Mahabharat
₹700 ₹525 (For PI Members: ₹420. Join PI Membership to get 40% off!)
Arawali
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
किशोर सिंह सोलंकी अनुवाद योगेन्द्र मिश्र
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
किशोर सिंह सोलंकी अनुवाद योगेन्द्र मिश्र
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹300 ₹225
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788126330034
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
290
अरावली –
‘अरावली’ किशोरसिंह सोलंकी द्वारा लिखित गुजराती उपन्यास है, जिसका हिन्दी में अनुवाद योगेन्द्र मिश्र ने किया है। लेखक ने इसे ‘ललित नवल’ या ‘लिखित उपन्यास’ कहा है। एक तरह से ‘अरावली’ इस रचना का प्रमुख चरित्र है। लेखक के अनुसार, ‘दो सौ चालीस करोड़ वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया यह अरावली न जाने कितने परिवर्तनों का साक्षी बना होगा! कितने वसन्त इसने देखे होंगे! कितने फागुन यहाँ फूले होंगे! कितने-कितने सौन्दर्यों का साज सजा होगा यह!’
किशोरसिंह सोलंकी ने भारत की इस अतिप्राचीन पर्वतमाला के पर्यावरण और अन्तःकरण का अत्यन्त आत्मीय चित्रण किया है। बनासकाँठा ज़िले के वन विभाग के कार्यालय में आर.एफ़.ओ. के पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद कथानायक अंचल की यात्रा प्रारम्भ करता है। इस दौरान ऐसी कथा-स्थितियाँ बनती हैं जो अरावली की किसी-न-किसी जातीय, सांस्कृतिक, प्राकृतिक या ऐतिहासिक विशेषता को प्रकट करती हैं। लेखक की भाषा इस उपन्यास का सर्वोपरि आकर्षण है, जिसके लिए अनुवादक भी प्रशंसा का पात्र है। एक वाक्य है——’इसी बीच सूरज के सामने थोड़े बादल आ गये थे और लगता था आकाश में परछाईं का लेप किया गया हो।’
अंचल विशेष को उसकी समग्र अस्मिता के साथ प्रस्तुत करने वाला उपन्यास ‘अरावली’ वनस्पतियों या सीमान्त वासियों को जानने का भी मोहक माध्यम है। रोचक, पठनीय और संग्रहणीय।
Be the first to review “Arawali” Cancel reply
Description
अरावली –
‘अरावली’ किशोरसिंह सोलंकी द्वारा लिखित गुजराती उपन्यास है, जिसका हिन्दी में अनुवाद योगेन्द्र मिश्र ने किया है। लेखक ने इसे ‘ललित नवल’ या ‘लिखित उपन्यास’ कहा है। एक तरह से ‘अरावली’ इस रचना का प्रमुख चरित्र है। लेखक के अनुसार, ‘दो सौ चालीस करोड़ वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया यह अरावली न जाने कितने परिवर्तनों का साक्षी बना होगा! कितने वसन्त इसने देखे होंगे! कितने फागुन यहाँ फूले होंगे! कितने-कितने सौन्दर्यों का साज सजा होगा यह!’
किशोरसिंह सोलंकी ने भारत की इस अतिप्राचीन पर्वतमाला के पर्यावरण और अन्तःकरण का अत्यन्त आत्मीय चित्रण किया है। बनासकाँठा ज़िले के वन विभाग के कार्यालय में आर.एफ़.ओ. के पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद कथानायक अंचल की यात्रा प्रारम्भ करता है। इस दौरान ऐसी कथा-स्थितियाँ बनती हैं जो अरावली की किसी-न-किसी जातीय, सांस्कृतिक, प्राकृतिक या ऐतिहासिक विशेषता को प्रकट करती हैं। लेखक की भाषा इस उपन्यास का सर्वोपरि आकर्षण है, जिसके लिए अनुवादक भी प्रशंसा का पात्र है। एक वाक्य है——’इसी बीच सूरज के सामने थोड़े बादल आ गये थे और लगता था आकाश में परछाईं का लेप किया गया हो।’
अंचल विशेष को उसकी समग्र अस्मिता के साथ प्रस्तुत करने वाला उपन्यास ‘अरावली’ वनस्पतियों या सीमान्त वासियों को जानने का भी मोहक माध्यम है। रोचक, पठनीय और संग्रहणीय।
About Author
किशोरसिंह सोलंकी -
जन्म: 1 अप्रैल, 1949 को मगरवाड़ा (ज़िला बनासकाँठा) गुजरात में।
गुजराती के सिद्धहस्त कवि, कहानीकार, उपन्यासकार एवं सम्पादक। शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाएँ। समर्पण कला व वाणिज्य महाविद्यालय, गाँधीनगर के प्राचार्य पद पर पन्द्रह वर्षों की सेवा के उपरान्त कैम्पस डायरेक्टर। इग्नू स्टडी सेंटर के कोआर्डिनेटर, अर्थ फाउंडेशन के प्रबन्धन्यासी, जी.एन.एफ़.सी. के चेयरमैन रहे। वर्तमान में गुजराती अध्यापक संघ के अध्यक्ष।
कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, यात्रा-वृत्त जैसी अनेक विधाओं में चालीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। प्रमुख हैं—'रझळता दिवस', 'भाइचारो', 'वीरवाडा', 'अडधा आकाशे ऊगतो सूरज', 'वसवसो', 'अरावली' (उपन्यास); 'मानसने मेले', 'धूपछाँह' (हिन्दी), 'तेज लिसोटा त्राड', 'हँका' (कविता-संग्रह); 'भीनी माटीनी महक', 'पाँखिनी पंखमा पड़र', 'सुगन्दनो स्वाद' (निबन्ध-संग्रह); 'सहप्रवासी' (कहानी-संग्रह); 'काला पानीने किनारे', 'देश रे जोया परदेश जोया', 'शोधयात्रा' (यात्रा वृत्तान्त)।
गुजराती मासिक पत्रिका 'शब्दसार' के एक दशक से सम्पादक। अनेक देशों की यात्राएँ।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Arawali” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन I Pakistan Athva Bharat Ka Vibhajan
1931- Desh ya Prem
Body Language
RELATED PRODUCTS
Aatmik Samriddhi Ki Oar
Bauddh Jeevan Kaise Jiyen
Body Language
Faiz Ahmed Faiz
Kaise Bharen Azadi Ki Udaan
Kranti Gitanjali
Meditations
Priti-Katha
Rishta
The Daily Laws
माँ हीराबेन और नरेंद्र I Maa Heeraben aur Narendra
1931- Desh ya Prem
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
Reviews
There are no reviews yet.