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Anusandhan Pravidhi : Sidhant Aur Prakriya (HB)
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₹400 ₹320
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अनुसन्धान की प्रेरणा और योजना से लेकर प्रबन्ध तैयार करने तक की विविध प्रक्रियाओं का परिचय और विविध दशाओं में उठनेवाली समस्याओं के समाधान इस पुस्तक में मिलेंगे। यद्यपि यह मुख्यतः साहित्यिक विषयों के शोधार्थियों को दृष्टि में रखकर लिखी गई है, तो भी मानविकी के विविध विषयों के शोध में भी यह उपयोगी सिद्ध होगी।
इसमें अनुसन्धान के उन सैद्धान्तिक और व्यावहारिक पहलुओं को विशेष महत्त्व दिया गया है, जो उच्च स्तर के शोध के आधार हैं और परिनिष्ठित मानदंडों के अनुसार आदर्श शोध-ग्रन्थ तैयार करने में उपयोगी हों। विश्व के ज्ञान-भंडार को जिन व्यक्तियों ने समृद्ध किया है, वे सबके सब महान प्रतिभाशाली नहीं थे, और सभी प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने ज्ञान भंडार के पोषण में योगदान नहीं दिया है। प्रतिभा ज्ञानार्जन में अवश्य एक मुख्य सहायक है, पर चरम श्रेणी की प्रतिभा न होने पर भी नियमित शिक्षण, अथक परिश्रम और अध्यवसाय के द्वारा बहुत कुछ किया जा सकता है जहाँ समुचित प्रशिक्षण और अध्यवसाय के अभाव में उत्कृष्ट प्रतिभा भी कुंठित रह जाती है। वहाँ सामान्य बौद्धिक शक्तियों और ईमानदारी के द्वारा महत्त्वपूर्ण सिद्धियाँ होती हैं। इस तथ्य को स्वीकृत कर यह पुस्तक लिखी गई है। आशा है कि यह शोध-छात्रों की अपेक्षाओं की पूर्ति करेगी और उनका उचित मार्गदर्शन होगा।
अनुसन्धान की प्रेरणा और योजना से लेकर प्रबन्ध तैयार करने तक की विविध प्रक्रियाओं का परिचय और विविध दशाओं में उठनेवाली समस्याओं के समाधान इस पुस्तक में मिलेंगे। यद्यपि यह मुख्यतः साहित्यिक विषयों के शोधार्थियों को दृष्टि में रखकर लिखी गई है, तो भी मानविकी के विविध विषयों के शोध में भी यह उपयोगी सिद्ध होगी।
इसमें अनुसन्धान के उन सैद्धान्तिक और व्यावहारिक पहलुओं को विशेष महत्त्व दिया गया है, जो उच्च स्तर के शोध के आधार हैं और परिनिष्ठित मानदंडों के अनुसार आदर्श शोध-ग्रन्थ तैयार करने में उपयोगी हों। विश्व के ज्ञान-भंडार को जिन व्यक्तियों ने समृद्ध किया है, वे सबके सब महान प्रतिभाशाली नहीं थे, और सभी प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने ज्ञान भंडार के पोषण में योगदान नहीं दिया है। प्रतिभा ज्ञानार्जन में अवश्य एक मुख्य सहायक है, पर चरम श्रेणी की प्रतिभा न होने पर भी नियमित शिक्षण, अथक परिश्रम और अध्यवसाय के द्वारा बहुत कुछ किया जा सकता है जहाँ समुचित प्रशिक्षण और अध्यवसाय के अभाव में उत्कृष्ट प्रतिभा भी कुंठित रह जाती है। वहाँ सामान्य बौद्धिक शक्तियों और ईमानदारी के द्वारा महत्त्वपूर्ण सिद्धियाँ होती हैं। इस तथ्य को स्वीकृत कर यह पुस्तक लिखी गई है। आशा है कि यह शोध-छात्रों की अपेक्षाओं की पूर्ति करेगी और उनका उचित मार्गदर्शन होगा।
About Author
एस.एन. गणेशन
प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई।
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