Angrezi-Hindi Anuvad Vyakaran

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Suraj Bhan Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Suraj Bhan Singh
Language:
Hindi
Format:
Paperback

200

Save: 50%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 450 g
Book Type

Page Extent:
310

यह पुस्तक अंग्रेजी और हिंदी सरचनाओं का एक अंतरण व्याकरण (Transfer Grammar) है, जो दोनों भाषाओं के व्याकरणों को एक साथ लेकर चलता है, उनके बीच समान और असमान तत्त्वों की पहचान करता है, उनका व्यतिरेकी (contrastive) विश्लेषण करता है और उनके संभावित अनुवाद पर्याय और विकल्प सुलभ कराता है। इस प्रकार यह अंग्रेजी से हिंदी और हिंदी से अंग्रेजी दोनों प्रकार की अनुवाद क्षमता विकसित करता है। तुलनात्मक विश्लेषण भाषा के सभी स्तरों पर किया गया है—ध्वनि, लिपि, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, पक्ष (aspect), वृत्ति (mood), वचन, पुरुष, वाच्य आदि। दो अध्यायों में क्रमशः अंग्रेजी और हिंदी की संरचनाओं के ऐतिहासिक विकास-क्रम का परिचय है। एक अध्याय में मशीन अनुवाद के तकनीकी और भाषाई पक्षों पर विचार किया गया है।

यह पुस्तक द्वितीय भाषा के रूप में अंग्रेजी या हिंदी सीखनेवाले छात्रों और उनसे जुडे़ अध्यापकों के लिए भी उतना ही उपयोगी है, जितना अनुवादकों के लिए। इनके अलावा ऐसे अनुवाद प्रशिक्षार्थियों, पत्रकारों और भाषाकर्तियों आदि के लिए भी सामान्य रूप से हिंदी का ज्ञान तो रखते हैं, लेकिन जिनकी पकड़ अंग्रेजी व्याकरण, अभिव्यक्तियों और मुहावरों पर बहुत कम है और जो अपने व्यावसायिक कार्य के लिए अंग्रेजी की अपनी क्षमता को बढ़ाना या पुष्ट करना चाहते हैं।

पुस्तक में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है और जहाँ कहीं भी तकनीकी या व्याकरणिक शब्दों का इस्तेमाल किया किया है, वहाँ कोष्ठक में उनके अंग्रेजी पर्याय दे दिए गए हैं। पुस्तक में सर्वत्र क्रॉस रेफरेंसिंग है और इसलिए अंत में दी गई अंग्रेजी अनुक्रमणिका (word index) की मदद से पाठक जिस शब्द या विषय पर जानकारी चाहता है, वह पुस्तक में सीधे उसी स्थान पर पहुँच सकता है।.

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Angrezi-Hindi Anuvad Vyakaran”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

यह पुस्तक अंग्रेजी और हिंदी सरचनाओं का एक अंतरण व्याकरण (Transfer Grammar) है, जो दोनों भाषाओं के व्याकरणों को एक साथ लेकर चलता है, उनके बीच समान और असमान तत्त्वों की पहचान करता है, उनका व्यतिरेकी (contrastive) विश्लेषण करता है और उनके संभावित अनुवाद पर्याय और विकल्प सुलभ कराता है। इस प्रकार यह अंग्रेजी से हिंदी और हिंदी से अंग्रेजी दोनों प्रकार की अनुवाद क्षमता विकसित करता है। तुलनात्मक विश्लेषण भाषा के सभी स्तरों पर किया गया है—ध्वनि, लिपि, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, पक्ष (aspect), वृत्ति (mood), वचन, पुरुष, वाच्य आदि। दो अध्यायों में क्रमशः अंग्रेजी और हिंदी की संरचनाओं के ऐतिहासिक विकास-क्रम का परिचय है। एक अध्याय में मशीन अनुवाद के तकनीकी और भाषाई पक्षों पर विचार किया गया है।

यह पुस्तक द्वितीय भाषा के रूप में अंग्रेजी या हिंदी सीखनेवाले छात्रों और उनसे जुडे़ अध्यापकों के लिए भी उतना ही उपयोगी है, जितना अनुवादकों के लिए। इनके अलावा ऐसे अनुवाद प्रशिक्षार्थियों, पत्रकारों और भाषाकर्तियों आदि के लिए भी सामान्य रूप से हिंदी का ज्ञान तो रखते हैं, लेकिन जिनकी पकड़ अंग्रेजी व्याकरण, अभिव्यक्तियों और मुहावरों पर बहुत कम है और जो अपने व्यावसायिक कार्य के लिए अंग्रेजी की अपनी क्षमता को बढ़ाना या पुष्ट करना चाहते हैं।

पुस्तक में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है और जहाँ कहीं भी तकनीकी या व्याकरणिक शब्दों का इस्तेमाल किया किया है, वहाँ कोष्ठक में उनके अंग्रेजी पर्याय दे दिए गए हैं। पुस्तक में सर्वत्र क्रॉस रेफरेंसिंग है और इसलिए अंत में दी गई अंग्रेजी अनुक्रमणिका (word index) की मदद से पाठक जिस शब्द या विषय पर जानकारी चाहता है, वह पुस्तक में सीधे उसी स्थान पर पहुँच सकता है।.

About Author

bout the Author प्रो.सूरजभान सिंह प्रख्यात भाषाविद्, शिक्षाविद्। अंग्रेजी, हिंदी और भाषाविज्ञान विषयों में एस.ए., दिल्ली विश्वविद्यालय से भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. की उपाधि। जन्म 1936, इेहीरइूल में। सन् 1988 से 1994 तक वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष। इससे पूर्व 1995 तक केंद्रीय हिंदी संस्थान में भाषाविज्ञान के प्रोफेसर और हिंदी केंद्र के प्रभारी। 1989-90 में केंद्रीय निदेशालय के निदेशक का अतिरिक्त दायित्व। 1997 से सी-डैक (संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) में सलाहकार। सन् 1978 से 1983 तक चार वर्ष बुखारेस्त विश्वविद्यालय, रोमानिया में विजिटिंग प्रोफेसर; 1983 में हिंदी शिक्षण-सामग्री विशेषज्ञ के रूप में पेरिस विश्वविद्यालय, फ्रांस गए। 1996 में पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय, अमेरिका में अतिथि विद्वान्, जहाँ मशीन अनुवाद के लिए हिंदी का एक कंप्यूटर व्याकरण विकसित किया। बारह से अधिक पुस्तकें और सौ से अधिक शोध लेख देश-विदेश से प्रकाशित, दो पुस्तकें फ्रांस से और दो पुस्तकें रोमानिया से प्रकाशित। चर्चित पुस्तकें—‘हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण’ (1985), ‘हिंदी भाषा-संरचना और प्रयोग’ (1991), ‘Manual de Hindi a l ’usage de Francophones’ (१९८६), Paris University सन् 1991 में हिंदी अकादमी, दिल्ली और 1992 में उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ से पुरस्कार-सम्मान प्राप्त। सन् 2000 में महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भारत सरकार के ‘आत्माराम पुरस्कार’ से सम्मानित।.

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Angrezi-Hindi Anuvad Vyakaran”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED