Nayi Kavita : Swaroop Aur Pravrittiyan

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Usha Kumari
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

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Book Type

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Page Extent:
216

Nayi kavita: Swaroop aur pravrittiyan न ई कविता अब कोई नई बात नहीं रह गई है। इस पर रचनाओं और आलोचनाओं का अंबार-सा लग गया है। यह क्रम हिंदी-जगत् में बढ़ता ही चला जा रहा है। इसके विकास-क्रम में इसकी अनेक धाराएँ भी फूटी हैं, लेकिन नई कविता की जो मूल गुणधर्मिता है, वह सबमें प्रवाहित दिखती है। तात्पर्य यह कि छायावादी युग के बाद से हिंदी-काव्य ने जो मोड़ लिया, वह अब तक अपने प्रयोगों एवं प्रयासों में विशिष्ट स्वरूप ग्रहण कर चुका है। फिर भी यह विधा इतनी नवीन, हलचलों से युक्त एवं भारतीयता-अभारतीयता के प्रश्नों से घिरी है कि इसका वास्तविक स्वरूप स्थिर कर पाना कठिन है। इसकी वास्तविक प्रकृति क्या है और इसकी मूलभूत प्रवृत्तियाँ कौन सी हैं? यह स्थिर करना एक दुरूह कार्य है। प्रस्तुत पुस्तक इसी दिशा में एक प्रयास है।.

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Description

Nayi kavita: Swaroop aur pravrittiyan न ई कविता अब कोई नई बात नहीं रह गई है। इस पर रचनाओं और आलोचनाओं का अंबार-सा लग गया है। यह क्रम हिंदी-जगत् में बढ़ता ही चला जा रहा है। इसके विकास-क्रम में इसकी अनेक धाराएँ भी फूटी हैं, लेकिन नई कविता की जो मूल गुणधर्मिता है, वह सबमें प्रवाहित दिखती है। तात्पर्य यह कि छायावादी युग के बाद से हिंदी-काव्य ने जो मोड़ लिया, वह अब तक अपने प्रयोगों एवं प्रयासों में विशिष्ट स्वरूप ग्रहण कर चुका है। फिर भी यह विधा इतनी नवीन, हलचलों से युक्त एवं भारतीयता-अभारतीयता के प्रश्नों से घिरी है कि इसका वास्तविक स्वरूप स्थिर कर पाना कठिन है। इसकी वास्तविक प्रकृति क्या है और इसकी मूलभूत प्रवृत्तियाँ कौन सी हैं? यह स्थिर करना एक दुरूह कार्य है। प्रस्तुत पुस्तक इसी दिशा में एक प्रयास है।.

About Author

शिक्षा: एम.ए., पी-एच.डी. (पटना विश्वविद्यालय)। रचनाएँ: ‘नई कविता की चिंतन भूमि’। अनुभव: प्रोजेक्ट एसोशिएट, एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली। व्याख्याता, सत्यवतीकॉलेज (सांध्य), दिल्लीविश्वविद्यालय (1994-1996)। संप्रति: एसोशिएट प्रोफेसर, स्नातकोत्तर हिंदी विभाग, पटना (मगध विश्वविद्यालय)।.

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